
उदयपुर। भारत की एकमात्र और दुनिया की सबसे बड़ी इंटीग्रेटेड जिंक उत्पादक कंपनी, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड ने इंटरनेशनल काउंसिल ऑन माइनिंग एंड मेटल्स (आईसीएमएम) के प्रेसिडेंट और सीईओ रोहितेश धवन की अपनी प्रमुख सिंदेसर खुर्द खदान, राजस्थान में मेजबानी की। यह दौरा हिन्दुस्तान जिंक के आईसीएमएम में शामिल होने वाली पहली भारतीय कंपनी बनने के तुरंत बाद हुआ है। यह न केवल कंपनी बल्कि भारत के खनन क्षेत्र के लिए वैश्विक स्तर पर सस्टेनेबिलिटी और नवाचार के क्षेत्र में एक अहम उपलब्धि है।
दौरे के दौरान रोहितेश धवन के साथ हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा और कंपनी की वरिष्ठ नेतृत्व टीम मौजूद रही। धवन ने सिंदेसर खुर्द खदान का निरीक्षण किया, जो दुनिया की चौथी सबसे बड़ी चांदी उत्पादक खदान है। इस दौरान उन्होंने हिन्दुस्तान जिंक के विश्वस्तरीय परिचालन को करीब से देखा और तकनीकी नवाचार, पर्यावरण संरक्षण तथा ईएसजी नेतृत्व की सराहना की।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में हिन्दुस्तान जिंक ने आधुनिक तकनीक को ईएसजी, पर्यावरण, सामाजिक और कॉर्पोरेट प्रशासन नेतृत्व के साथ जोड़कर एक उदाहरण पेश किया है। एक हरित भविष्य का रास्ता भारत से होकर गुजरता है, जहां धातु और खनिज वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यहाँ सस्टेनेबिलिटी और सामाजिक जिम्मेदारी की गहरी प्रतिबद्धता देखकर उन्हें बेहद खुशी हुई।
धवन ने यह भी कहा कि सिंदेसर खुर्द खदान और भारत के अन्य खनन प्रोजेक्ट जिम्मेदार खनन का बेहतरीन उदाहरण हैं। हिन्दुस्तान जिंक अपनी सस्टेनेबिलिटी 2.0 कार्यसूची को तेजी से आगे बढ़ा रहा है, जिसका लक्ष्य विज्ञान-आधारित मानकों के अनुरूप 2050 या उससे पहले शुद्ध-शून्य उत्सर्जन हासिल करना है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 में हिन्दुस्तान जिंक को लगातार दूसरे वर्ष एसएंडपी ग्लोबल के कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट द्वारा दुनिया की सबसे सस्टेनेबल मेटल्स और माइनिंग कंपनी के रूप में मान्यता मिली थी। कंपनी एसबीटीआई-सत्यापित 1.5 डिग्री सेल्सियस-अनुकूल लक्ष्य रखने वाली पहली भारतीय धातु और खनन कंपनी भी बनी। वित्तीय वर्ष 2025 में हिन्दुस्तान जिंक ने अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की तीव्रता को 2020 के आधार वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत कम किया, जबकि उत्पादन में लगातार वृद्धि दर्ज की।
ये उपलब्धियां इस बात की पुष्टि करती हैं कि हिन्दुस्तान जिंक पर्यावरणीय जिम्मेदारी, तकनीकी नवाचार और हितधारकों के लिए दीर्घकालिक मूल्य सृजन को प्राथमिकता देते हुए स्थायी विकास की दिशा में निरंतर प्रगति कर रहा है।
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