वाणिज्यिक कर विभाग की बड़ी कार्रवाई कर 9 करोड़ 59 लाख की जीएसटी चोरी पकड़ी, फर्जी चालान व ई-वे बिल से आयरन स्क्रेप की फर्जी खरीद दिखाई

जयपुर। राज्य में बोगस, फेक फर्मो द्वारा की जा रही राजस्व क्षति रोकने के लिए राज्य कर विभाग सर्तक है। विभाग के मुख्य आयुक्त श्री कुमार पाल गौतम के निर्देशन में इस सम्बंध निरन्तर की जा रही कार्रवाई की कड़ी में  प्रवर्तन शाखा प्रथम की टीम ने जयपुर स्थित विश्वकर्मा इण्डस्ट्रियल एरिया में  आयरन एवं स्क्रेप का कागजी कारोबार करने वाली दो फर्मों बाबा मैटल्स तथा खण्डेलवाल एण्टरप्राईजेज पर एक साथ सर्च और सर्वे की कार्रवाई की।

मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर 29 सितम्बर तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है।  मुख्य आयुक्त ने बताया कि कार्रवाई से पूर्व विभाग ने जीएसटी पोर्टल पर दोनों फर्मो के खरीद फरोख्त संबंधी आंकड़ो का विश्लेषण किया तथा अपने गुप्त स्त्रोतों से इन फर्मो की व्यापारिक गतिविधियों की सूचना जुटाई । इस दौरान पाया गया कि दोनों फर्मो का संचालन मास्टरमाइंड महेन्द्र खण्डेलवाल द्वारा किया जा रहा है।

विभागीय जांच में स्पष्ट हुआ कि महेन्द्र खण्डेलवाल द्वारा अपनी दोनों फर्मो में कूटरचित बोगस बिलों के आधार पर कुल 53 करोड़ 27 लाख रूपये की खरीद दिखाकर 9 करोड़ 59 लाख रूपये की राजस्व हानि की गई है।

महेन्द्र खण्डेलवाल ने सुनियोजित तरीके से राज्य के बाहर स्थित आयरन एवं स्क्रेप के बोगस कारोबारियों से संबंध स्थापित किये तथा दिल्ली, उत्तरप्रदेश, आगरा स्थित बोगस फर्मो से बिलों की खरीद कर  आगत कर (आईटीसी) का अनुचित लाभ लेकर राजस्व की हानि की। 

गौतम ने बताया कि जब विभाग ने इन फर्मो में माल की खरीद के लिए निर्मित ई-वे बिलों की गहनता से पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आये। ई-वे बिल में जिन वाहनों का नम्बर दर्ज किया गया था, उनका फर्मों के घोषित व्यवसाय स्थल, गोदाम आदि पर आगमन होना नही पाया गया। इनमें से कई वाहनो का संचालन तो राज्य के बाहर होना पाया गया।

इस प्रकार मास्टरमाइंड महेन्द्र खण्डेलवाल द्वारा आगत कर दुरूपयोग (आईटीसी मिसयूज) की सोची समझी रणनीति के तहत माल की वास्तविक आपूर्ति प्राप्त किये बिना ही कूटरचित ई-वे बिलों का निर्माण किया गया और केवल कागजी संव्यवहार के द्वारा बोगस बिलों से खरीद दिखाकर मिथ्या आगत कर का लाभ प्राप्त कर राजस्व की क्षति की गई। श्री गौतम ने बताया कि सर्च कार्यवाही के पश्चात् बोगस कारोबारी महेन्द्र खण्डेलवाल विभाग को चकमा देकर भूमिगत हो गया। मास्टरमांइड ने अपना मोबाइल फोन बन्द कर लिया और रोज नये ठिकाने बदलता रहा। विभाग के बार-बार सम्मन जारी करने पर भी पेशी पर उपस्थित नही हुआ।

जिस पर मुख्य आयुक्त के सुपरविजन में प्रवर्तन शाखा प्रथम की टीम गठित की गई और मास्टरमाइंड के सभी संभावित ठिकानों, रिश्तेदारो के घरों पर रैकी करवायी गयी। टीम के कई सदस्य बोगस ग्राहक बनकर आयरन एवं स्क्रेप कारोबारियों से सम्पर्क करते रहे। इसी बीच टीम को अपने गुप्त स्त्रोतो से किसी सामाजिक कार्यक्रम में मास्टरमाइंड के उपस्थित होने के सूचना मिली। जिस पर टीम के दो सदस्य कैटरिंग वाले बनकर कार्यक्रम में शामिल हो गये और बाकी टीम को सूचित कर अभियुक्त महेन्द्र खण्डेलवाल को आरजीएसटी/सीजीएसटी एक्ट 2017 के प्रावधानो के तहत राजस्व चोरी करने के आरोप में गिरफ्तार कर आर्थिक अपराध न्यायालय में पेश किया गया। अभियुक्त को 29 सितंबर तक न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है। विभाग द्वारा सम्पूर्ण प्रकरण की गहनता से जाँच की जा रही है।

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