
उदयपुर। अमेरिका के बिलनियर परिवार ऑरलैंडो-आधारित फार्मा टाइकून रामा राजू मंटेना की बेटी नेत्रा मंटेना व उद्यमी वामसी गदिराजू की 21 व 22 नवंबर को होने वाली शादी उदयपुर की वैश्विक प्रतिष्ठा को नई उड़ान दे रही है, वहीं दूसरी ओर शहर के भीतर कुछ बेहद ज़रूरी और जटिल प्रश्न भी उठ रहे हैं। भव्यता, पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलने वाले लाभ से इनकार नहीं किया जा सकता—होटल उद्योग से लेकर ट्रैवल, लॉजिस्टिक्स और लोकल आर्टिज़न्स तक, हर स्तर पर इसकी सकारात्मक गूँज दिख रही है। लेकिन इसके समानांतर यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि शहर इस चमक-धमक के पीछे अपने प्राकृतिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संतुलन को न खो दे।
झीलों का शहर उदयपुर अपने शांत जल, पहाड़ियों और विरासत स्थलों की वजह से दुनिया में अनोखी पहचान रखता है। ऐसे में यह स्वाभाविक है कि सवाल उठे—क्या इस बड़े आयोजन ने केवल वीवीआईपी सुरक्षा पर ही बल दिया है, या फिर झीलों, पहाड़ी इलाकों और शहर के पर्यावरण को संभावित नुकसान का कोई आकलन भी किया गया है?
क्योंकि इतने विशाल पैमाने पर होने वाले इवेंट—जहां प्राइवेट जेट्स का आवागमन बढ़ता है, जलमार्ग पर बोट ट्रैफिक बढ़ता है, महलों के आसपास भारी सजावट और ध्वनि-विस्तारक उपयोग किए जाते हैं—अनदेखे रूप में पर्यावरण पर बोझ डाल सकते हैं।
इसी के साथ, आमजन और पर्यटकों के लिए भी अस्थायी असुविधाएं बढ़ जाती हैं-ट्रैफिक का दबाव, महत्त्वपूर्ण पर्यटन क्षेत्रों का ब्लॉक होना, सुरक्षा-कोरिडोर की वजह से सीमित गतिशीलता और शहर की सामान्य रफ़्तार में बाधा।
निश्चित रूप से, इस भव्य आयोजन का एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि शादी के बाद उदयपुर में डेस्टिनेशन-वेडिंग बुकिंग्स में उछाल आने की संभावना मजबूत है। इससे स्थानीय व्यापारियों, होटल उद्योग, टूर गाइड्स, टैक्सी सेवाओं और हस्तशिल्प कारोबारियों को सीधा लाभ पहुँचेगा। लेकिन शहर की प्राकृतिक विरासत और पर्यावरण संतुलन की कीमत पर यह विकास नहीं होना चाहिए।
अगर इतने बड़े इवेंट में प्रशासन इन बारीकियों को अनदेखा कर देता है, तो आने वाले वर्षों में छोटे आयोजनों के लिए भी नज़रंदाज करना मजबूरी बन जाएगी। यही वजह है कि आज, जब उदयपुर दुनिया के सामने एक शाही उत्सव का मंच बना है, तब यह और भी आवश्यक है कि शहर अपने मूल स्वरूप—स्वच्छ जल, शांत घाट, सुरक्षित विरासत और प्रदूषण-मुक्त वातावरण—की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे।
शहर की सुंदरता किसी एक आयोजन की भव्यता से कहीं अधिक मूल्यवान है। इसलिये आवश्यक है कि हम ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दिवाना’ बनने की बजाय इस धरती, इसकी झीलों और इसके प्राकृतिक वैभव की सुरक्षा को बराबर महत्व दें। क्योंकि अंततः—उदयपुर की असली पहचान उसके जल, उसकी हवा और उसकी विरासत में बसती है, न कि किसी एक अरबपति-वर्ग समारोह की झिलमिलाती रोशनियों में।
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