लोककलाओं का महासंगम : शिल्पग्राम उत्सव 2025 का भव्य आग़ाज़ 21 दिसंबर से

उदयपुर। पिछले एक वर्ष से प्रतीक्षित लोककलाओं का महासंगम शिल्पग्राम उत्सव 2025 आगामी 21 दिसंबर (रविवार) से उदयपुर में आरंभ होने जा रहा है। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर के तत्वावधान में आयोजित इस उत्सव का उद्घाटन राजस्थान के राज्यपाल एवं पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के अध्यक्ष हरिभाऊ किसनराव बागडे नगाड़ा बजाकर करेंगे। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे, जबकि अतिविशिष्ट आमंत्रित अतिथि के रूप में पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया उपस्थित रहेंगे।

उद्घाटन अवसर पर उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत, चित्तौड़गढ़ सांसद सी. पी. जोशी, राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया, उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन तथा उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा भी समारोह की शोभा बढ़ाएंगे। प्रथम दिवस, 21 दिसंबर को दोपहर 3 बजे से आमजन के लिए प्रवेश निःशुल्क रहेगा।

लोककलाओं का जीवंत मंच

मुख्यतया लोक कलाओं की प्रस्तुतियों के लिए पहचाने जाने वाले इस उत्सव में देशभर की उत्कृष्ट लोक परंपराओं का प्रदर्शन होगा। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि उदयपुर का शिल्पग्राम उत्सव संभवतः देश का एकमात्र ऐसा उत्सव है, जिसमें लोककलाओं पर आधारित प्रस्तुतियों से दर्शक इतने उत्साह और आत्मीयता के साथ जुड़ते हैं।

इस दस दिवसीय उत्सव में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखण्ड, असम, मेघालय, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मणिपुर, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा दादरा नगर हवेली सहित 22 राज्यों के लगभग 900 लोक कलाकार भाग लेंगे। इस दौरान 91 कला दलों द्वारा 82 से अधिक लोककलाओं की प्रस्तुतियां दी जाएंगी।

शिल्पग्राम परिसर के थड़ों पर बहरूपिया, कच्ची घोड़ी, कच्छी लोक गायन, राठवा, सुंदरी वादन, अल्गोजा वादन, गवरी, मशक वादन, मांगणियार, चकरी, तेरह ताल, कालबेलिया सहित अनेक लोक विधाओं का प्रदर्शन प्रतिदिन दिनभर किया जाएगा। दर्शकों को हर दिन कुछ नया देखने को मिले, इसके लिए प्रतिदिन नई प्रस्तुतियों को शामिल किया गया है।

डॉ. कोमल कोठारी स्मृति लाइफटाइम अचीवमेंट लोक कला पुरस्कार

इस वर्ष डॉ. कोमल कोठारी स्मृति लाइफटाइम अचीवमेंट लोक कला पुरस्कार से दो विशिष्ट लोक कलाकारों को सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान राजकोट (गुजरात) के लोकविद् डॉ. निरंजन वल्लभभाई राज्यगुरु तथा जयपुर (राजस्थान) के अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त अलगोजा वादक रामनाथ चौधरी को प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार के अंतर्गत प्रत्येक कलाकार को एक रजत पट्टिका एवं 2.51 लाख रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी। लोककला के क्षेत्र में इस प्रकार का पुरस्कार आरंभ करने वाला पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र देश का पहला केंद्र है। यह सम्मान पद्मश्री डॉ. कोमल कोठारी की स्मृति में दिया जाता है।

शिल्प और मूर्तिकला के विशेष आकर्षण

उत्सव के दौरान पत्थरों में तराशे गए 12 विशेष स्कल्पचर दर्शकों का ध्यान आकर्षित करेंगे। इनमें पुराना कैमरा, पुराना टेलीफोन, भाप का इंजन, लोमड़ी, बैग पाइप, रीढ़ की हड्डी, रेडियो, बल्ब, बूट, पर्दे से निहारते चेहरे, वायलिन और किताब शामिल हैं। ये सभी स्कल्पचर देश के युवा मूर्तिकारों द्वारा विशेष रूप से शिल्पग्राम उत्सव के लिए तैयार किए गए हैं। इसके साथ ही पूर्व में तराशे गए वाद्य यंत्रों और 12 राशियों के प्रतीक चिह्न भी दर्शकों को आकर्षित करेंगे।

घूमर नृत्य करती प्रतिमाएं

राजस्थानी वेशभूषा में घूमर नृत्य करती विभिन्न मुद्राओं की 12 प्रतिमाएं भी शिल्पग्राम की शोभा बढ़ाएंगी। इन प्रतिमाओं का निर्माण बंगाल से विशेष रूप से बुलाए गए कारीगरों द्वारा किया गया है।

प्रदर्शनी और सजावट

संगम हॉल में शिल्पग्राम एवं शिल्पग्राम उत्सव विषय पर आयोजित फोटोग्राफी प्रतियोगिता की चयनित तस्वीरें, वर्षभर आयोजित कार्यशालाओं व शिविरों में बनी पेंटिंग्स तथा हाजी सरदार मोहम्मद द्वारा बनाए गए सहेलियों की बाड़ी, सज्जनगढ़, फतेहसागर पाल, घंटाघर आदि के मिनिएचर मॉडल प्रदर्शित किए जाएंगे।

शिल्पग्राम के मुख्य द्वार को सहरिया जनजाति की चित्रकारी से सजाया गया है। पूरे परिसर को मांडणे, शाही सवारी और पारंपरिक लोक अलंकरण से सजाया गया है।

युवाओं के लिए ‘हिवड़ा री हूक’

22 से 29 दिसंबर तक बंजारा मंच पर प्रतिदिन दोपहर 1 से 4 बजे तक ‘हिवड़ा री हूक’ कार्यक्रम आयोजित होगा। इसमें दर्शक स्वयं अपनी प्रस्तुतियां दे सकेंगे तथा सांस्कृतिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भाग लेकर सही उत्तर देने पर शिल्पग्राम स्मृति चिह्न प्राप्त कर सकेंगे।

कार्यशालाएं और पेंटिंग सिम्पोजियम

उत्सव के दौरान ट्राइबल मास्क, पेपरमैशी और कठपुतली की दस दिवसीय कार्यशालाएं आयोजित होंगी, जिनमें प्रतिभागी विषय विशेषज्ञों से कला की बारीकियां सीख सकेंगे।
इसके साथ ही 21 से 25 दिसंबर तक ‘विजन भारत 2047’ थीम पर पांच दिवसीय नेशनल पेंटिंग सिम्पोजियम आयोजित किया जाएगा, जिसमें देश के 15 वरिष्ठ एवं पद्मश्री कलाकार भाग लेंगे।

प्रथम दिवस की विशेष प्रस्तुतियां

उत्सव के पहले दिन राजस्थानी गीतों पर आधारित एक विशेष मेडले प्रस्तुति दी जाएगी, जिसका निर्देशन डॉ. प्रेम भण्डारी करेंगे। यह प्रस्तुति लोक गायन की मूल शैली को बनाए रखते हुए शास्त्रीय अंदाज़ में होगी। साथ ही महाराष्ट्र की लावणी और कथक का विशेष फ्यूजन भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेगा। इसके अलावा 14 राज्यों के लगभग 200 कलाकारों द्वारा भव्य कोरियोग्राफ नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा, जिसे प्रसिद्ध कोरियोग्राफर सुशील शर्मा द्वारा तैयार किया जा रहा है।

हर दिन लोकनृत्यों की छटा

प्रतिदिन विभिन्न मंचों पर दिनभर लोकनृत्यों और लोकसंगीत की प्रस्तुतियां चलती रहेंगी, जबकि शाम 6 बजे से मुख्य मंच पर विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे। अंतिम दो दिनों में ‘झंकार’ नाम से जानी जाने वाली विशेष प्रस्तुतियां भी होंगी।

क्राफ्ट स्टॉल्स और फूड ज़ोन

शिल्पग्राम उत्सव में करीब 400 क्राफ्ट स्टॉल्स लगेंगी, जहां लगभग दो दर्जन राज्यों के 800 शिल्पकार और कारीगर अपने उत्पादों का प्रदर्शन और विक्रय करेंगे। इस बार जोधपुर ऊन बोर्ड, कोलकाता जूट बोर्ड और ट्राइफेड की ओर से भी स्टॉल्स लगाई जाएंगी।

दर्शकों के लिए चार फूड ज़ोन बनाए गए हैं, जहां लगभग 12 राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकेगा।

कारीगरी का लाइव प्रदर्शन और डॉक्यूमेंट्री

मेले में ऐसे शिल्पकारों को भी आमंत्रित किया गया है, जो मौके पर ही अपनी कारीगरी का लाइव प्रदर्शन करेंगे। सालावास की दरियां, पट्टू शॉल, कोटा डोरिया, कश्मीरी बुनाई, मोलेला की मिट्टी शिल्प और लाख की चूड़ियां बनाने की प्रक्रिया को दर्शक प्रत्यक्ष देख सकेंगे।

इसके अलावा, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा लोक कला और शिल्प पर निर्मित डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का विभिन्न स्थानों पर स्क्रीनिंग किया जाएगा, जिससे लोक विरासत के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़े।

लोक प्रस्तुतियों की विविधता

उत्सव में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, गोवा, उत्तराखण्ड, असम, मेघालय, मणिपुर, तमिलनाडु, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर सहित अनेक राज्यों के लोकनृत्य, लोकसंगीत और शास्त्रीय नृत्य कथक व लावणी सिम्फनी की प्रस्तुतियां दी जाएंगी।

कुल मिलाकर, शिल्पग्राम उत्सव 2025 लोककला, शिल्प, संगीत और परंपरा का ऐसा विराट उत्सव बनने जा रहा है, जहां हर दिन, हर मंच और हर प्रस्तुति में भारत की सांस्कृतिक विविधता जीवंत रूप में दिखाई देगी।

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