दिल की तमन्ना और सूफी परंपरा का संगम : 134वें उर्स का समापन
دل کی تمنّا اور صوفیانہ روایت کا سنگم: 134ویں عرس کا اختتام
ادے پور۔ شہر کے برہمپول کے باہر واقع درگاہ حضرت امیر رسول شاہ بابا کے 134ویں تین روزہ عرس کا اختتام شنیچر شام نماز عصر، رنگ و صلات و سلام، اور کل کی فاتحہ و دعا کے ساتھ ہوا۔ اس روحانی موقع پر، درگاہ کمیٹی نے قرآن خوانی، محافل میلاد اور مختلف مذہبی پروگرامز کا اہتمام کیا۔
درگاہ کمیٹی کے میڈیا انچارج محسن حیدر نے بتایا کہ عرس کے دوران صدر حاجی سروَر خان، سابق صدر محمد یوسف، سیکریٹری شاداب خان اور دیگر معززین نے چادر، پھول اور عطر پیش کیے۔ زائرین کے لیے لنگر اور تبرک کا انتظام کیا گیا، اور مستان بابا ٹرسٹ کی جانب سے چادر شریف پیش کی گئی۔
شنیچر کی صبح قرآن خوانی کے ساتھ عرس کے تیسرے دن کی ابتدا ہوئی، جس میں کلام پاک کی تلاوت کی گئی۔ دوپہر کو نماز ظہر اور محفل سماع قوالی کا اہتمام کیا گیا۔ محفل سماع میں مقامی قوال اسلم سبری ادے پوری نے حضرت امیر رسول بابا کی شان میں ‘میرے امیر رسول بابا، دکھا کر جھلک اب نہ کرو پردہ’ پڑھا۔ یوپی رامپور کے قوال محبوب سبری رامپوری نے پیغمبر اسلام کی شان میں ‘دل جس سے زندہ ہے، وہ تمنّا تم ہی تو ہو’ پڑھ کر محفل کو روحانی رنگ دے دیا۔
عرس کے اختتام پر قوالوں نے مل کر حضرت امیر خسرو کا کلام ‘آج رنگ ہے اے ماں رنگ ہے، میرے امیر رسول کے گھر رنگ ہے’ پیش کیا۔ کل کی رسم کے تحت، کلام پاک کی تلاوت اور فاتحہ خوانی مسجد درگاہ امیر رسول بابا کے امام حافظ محمود الزما نے کی۔ دعا کے بعد، زائرین نے ایک دوسرے کو گلے مل کر عرس کی مبارکباد دی اور تین روزہ 134ویں عرس کا اختتام ہوا۔
दिल की तमन्ना और सूफी परंपरा का संगम: 134वें उर्स का समापन
उदयपुर। शहर के ब्रह्मपोल बाहरी दरगाह हजरत इमरत रसूल शाह बाबा के 134वें तीन दिवसीय उर्स का समापन शनिचर सायं नमाजे अस्र, रंग-सलातो-सलाम, और कुल की फातिहा व दुआ के साथ हुआ। इस रूहानी मौके पर, दरगाह कमेटी ने कुरआन ख्वानी, महफिले मीलाद और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया।
दरगाह कमेटी के मीडिया प्रभारी मोहसिन हैदर ने बताया कि उर्स के दौरान सदर हाजी सरवर खान, पूर्व सदर मुहम्मद यूसुफ, सेक्रेट्री शादाब खान और अन्य सम्मानित व्यक्तियों ने चादर, फूल और इत्र पेश किए। ज़ायरिनों के लिए लंगर और तबर्रूक का वितरण किया गया, और मस्तान बाबा ट्रस्ट ने चादर शरीफ पेश की।
शनिचर प्रातः कुरआन ख्वानी के साथ उर्स के तीसरे दिन की शुरुआत हुई, जिसमें कलामे पाक की तिलावत की गई। दोपहर को नमाज जौहर और महफिल समां कव्वाली का आयोजन किया गया। महफिले समां में स्थानीय कव्वाल असलम साबरी उदयपुरी ने हजरत इमरत रसूल बाबा की शान में ‘मेरे इमरत रसूल बाबा दिखाकर झलक अब ना करो पर्दा’ पढ़ा। यूपी रामपुर के कव्वाल मेहबूब साबरी रामपुरी ने पैगम्बरे इस्लाम की शान में ‘दिल जिससे जिन्दा है वो तमन्ना तुम ही तो हो’ पढ़कर समां को रूहानी रंग दे दिया।
उर्स के समापन के मौके पर कव्वाल पार्टियों ने हजरत अमीर खुसरों की रचना ‘आज रंग है ऐ मां रंग है री, मेरे इमरत रसूल के घर रंग है’ पढ़कर माहौल को और भी दिव्य बना दिया। कुल की रस्म के तहत, कलामे पाक की तिलावत और फातिहा ख्वानी मस्जिद दरगाह इमरत रसूल बाबा के इमाम हाफिज मेहमूदुज्जमा ने पेश की। दुआ के बाद, ज़ायरिनों ने एक-दूसरे को गले मिलकर उर्स की मुबारकबाद दी और तीन दिवसीय 134वें उर्स का समापन हुआ।
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