
उदयपुर। झील संरक्षण कार्यकर्ताओं ने रूप सागर सहित उदयपुर के सभी छोटे तालाबों में हो रहे अतिक्रमण को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह निर्माण न केवल उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है, बल्कि राज्य सरकार के जलस्रोतों के संरक्षण के निर्देशों की भी खुलेआम अवहेलना की जा रही है।
रविवार को आयोजित झील संवाद कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि अतिक्रमण के लिए सरकारी अधिकारियों और भूमाफियाओं की मिलीभगत की जा रही है। डॉ. अनिल मेहता ने कहा, “उदयपुर के छोटे तालाब जल स्थायित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन तालाबों पर हो रहे हमले को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
उच्च न्यायालय द्वारा 2007 में तालाबों के संरक्षण के लिए आदेश पारित किए गए थे, लेकिन इसके बावजूद तालाबों पर अतिक्रमण जारी है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह न्यायालय की अवमानना है और प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने बताया कि 2019 में बनी एक समिति ने छोटे तालाबों की स्थिति का आकलन कर रिपोर्ट दी थी, लेकिन रिपोर्ट के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाए गए। उन्होंने प्रशासन से सवाल किया कि अब तक अतिक्रमण क्यों नहीं हटाया गया और यह काम कौन करवा रहा है?
गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि छोटे तालाबों को उनके मूल स्वरूप में वापस लाया जाए, लेकिन अफसोस है कि इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।
युवा पर्यावरणविद कुशल रावल ने चेतावनी दी कि छोटे तालाबों का नष्ट होना उदयपुर में जल संकट और बाढ़ जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह और अन्य जागरूक नागरिकों ने रूप सागर और अन्य तालाबों की अधिकतम भरावटल सीमा का सीमांकन करने और इस सीमा के भीतर हुए निर्माण को हटाने की मांग की।
इससे पहले, झील स्वच्छता श्रमदान कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं ने तालाबों से कचरा हटाया, जिससे झीलों की स्वच्छता और संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता स्पष्ट हुई।
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