
उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर के ऐतिहासिक गणगौर घाट पर आज सुबह 6:30 से 8:00 बजे तक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के भव्य पूर्वाभ्यास का आयोजन हुआ, जिसने न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया बल्कि लोगों के मन में योग की आध्यात्मिक और सामाजिक महत्ता को भी गहराई से समझाया।
आस्था और आत्मिक जागरण की पहल
योग केवल शारीरिक कसरत नहीं है, बल्कि यह भारतीय सभ्यता और संस्कृति का अनमोल उपहार है, जो आत्मा और शरीर के बीच संतुलन स्थापित करता है। गणगौर घाट जैसे पवित्र और ऐतिहासिक स्थल पर योगाभ्यास का आयोजन आस्था के प्रति श्रद्धा को पुनर्जीवित करता है। यहाँ मौजूद लोग न केवल आसनों और प्राणायाम का अभ्यास कर रहे थे, बल्कि योग के माध्यम से अपने भीतर की ऊर्जा और शांति का अनुभव भी कर रहे थे। योग के मंत्रों और ध्यान की गूंज इस घाट की पावनता को और भी बढ़ा रही थी, जो जीवन में आंतरिक शांति और परमात्मा के प्रति समर्पण की भावना को प्रज्वलित करती है।
प्रेरणा और जीवनशैली का परिवर्तन

इस आयोजन में भाग लेने वाले हर व्यक्ति के चेहरे पर उत्साह और संकल्प की झलक साफ देखी जा सकती थी। युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक ने योग को एक प्रेरणादायक जीवनशैली के रूप में अपनाने का संकल्प लिया। विशेष रूप से इस सामूहिक योगाभ्यास से यह संदेश गया कि योग केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है जो हमें जीवन की प्रत्येक चुनौती का सामना आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा के साथ करने की क्षमता प्रदान करती है। इस भावना ने उपस्थित जनों में प्रेरणा का संचार किया कि वे नियमित योग को अपनी दिनचर्या का अभिन्न अंग बनाएं।
स्वास्थ्य : शरीर, मन और आत्मा का संपूर्ण विकास
डॉ. राजीव भट्ट और डॉ. शोभालाल औदीच्य जैसे विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में हुए इस योगाभ्यास ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी योग के लाभों को उजागर किया। ताड़ासन, त्रिकोणासन, कपालभाति, अनुलोम-विलोम जैसे प्राणायामों का अभ्यास शरीर को न केवल तंदुरुस्त बनाता है, बल्कि मानसिक तनाव को भी दूर कर मानसिक स्थिरता प्रदान करता है। आधुनिक जीवनशैली में बढ़ते तनाव, प्रदूषण और अस्वास्थ्यकर आहार के चलते मानसिक और शारीरिक रोगों का बढ़ना चिंताजनक है। ऐसे में योग एक सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति बनकर उभरा है, जो स्वास्थ्य की रक्षा, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और आत्मिक शांति प्रदान करने में सहायक है। यह आयोजन इस दृष्टि से भी अत्यंत सार्थक था क्योंकि इसमें युवा, वृद्ध, महिलाएं और बच्चे सभी ने भाग लेकर योग के समग्र स्वास्थ्य लाभ को महसूस किया।

भावनात्मक जुड़ाव और सामाजिक एकता
योग दिवस का यह पूर्वाभ्यास सामाजिक समरसता का भी एक जीवंत उदाहरण था। स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ देश-विदेश से आए पर्यटकों ने भी इसमें भाग लेकर यह संदेश दिया कि योग एक वैश्विक भाषा है जो सभी सीमाओं को पार कर लोगों को जोड़ती है। विभिन्न आयु वर्ग, पृष्ठभूमि और पेशे के लोग एक साथ योग करते हुए एक भावनात्मक और आध्यात्मिक जुड़ाव का अनुभव करते हैं। यह सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करता है और सामूहिक चेतना को जागृत करता है कि स्वस्थ समाज तभी संभव है जब उसके प्रत्येक सदस्य शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से स्वस्थ हों।
सामाजिक विश्लेषण: योग की बढ़ती भूमिका और भविष्य की दिशा
आज के दौर में जहाँ तकनीकी प्रगति और जीवन की रफ्तार बढ़ने से शारीरिक गतिविधियों में कमी आई है, वहीं तनाव, चिंता और मानसिक विकार बढ़े हैं। ऐसे में योग न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में स्वास्थ्य के लिए एक प्रभावशाली उपकरण के रूप में उभरा है। गणगौर घाट पर यह पूर्वाभ्यास दिखाता है कि किस प्रकार स्थानीय प्रशासन, आयुर्वेद विभाग, स्वयंसेवी संस्थाएं और आम नागरिक मिलकर योग को एक सामूहिक प्रयास के रूप में प्रोत्साहित कर रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि योग सिर्फ एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि सामाजिक स्वास्थ्य की नींव भी है।

आयोजन में भाग लेने वालों ने सामूहिक संकल्प लिया कि वे नियमित योग करेंगे और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे। यह संकल्प समाज के हर वर्ग में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने और योग को जीवन का स्थायी अंग बनाने का प्रयास है। इससे उदयपुर जैसे ऐतिहासिक शहर का सांस्कृतिक और सामाजिक चेहरा भी स्वस्थ, प्रसन्न और ऊर्जावान बनता है।
समापन : योग, जीवन का आदर्श साथी
गणगौर घाट पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 का यह पूर्वाभ्यास इस बात का प्रमाण है कि योग अब केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन के सभी पहलुओं को जोड़ने वाली एक समग्र प्रक्रिया है। यह हमें शारीरिक तंदुरुस्ती के साथ मानसिक स्थिरता और आत्मिक शांति प्रदान करता है। ऐसे आयोजनों से समाज में स्वास्थ्य, आस्था, प्रेरणा और सामाजिक जुड़ाव की भावना मजबूत होती है, जो समृद्ध, स्वस्थ और खुशहाल भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
जैसे सभी प्रतिभागियों ने संकल्प लिया — “मैं नियमित योग करूंगा और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करूंगा,” — यह संकल्प समाज को स्वस्थ, ऊर्जावान और एकजुट बनाने का संदेश है, जो आने वाले समय में योग के महत्व को और भी व्यापक बनाएगा।
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