साहित्यकार विमला महरिया को विद्या वाचस्पति की उपाधि


उदयपुर। मरू और मेरू की सिरमौर शेखावाटी धरा की प्रख्यात कवयित्री, साहित्यकार, समाजशास्त्री, समीक्षक एवं शिक्षाविद् विमला महरिया को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय द्वारा उनके द्वारा समाजशास्त्र विषय में किए गये शोध कार्य के लिए विद्या वाचस्पति की उपाधि से विभूषित किया गया है।

इस अवसर पर शोध निर्देशिका डॉ. आशा गुप्ता, विभागाध्यक्ष डॉ. पूरनमल यादव, प्रोफेसर राजू सिंह, प्रोफेसर ज्योति उपाध्याय (एक्टर्नल), डॉ. कामिनी व्यास सहित अन्य विभागीय अधिकारी और शोधार्थी उपस्थित रहे।


उल्लेखनीय है कि विमला महरिया ने डॉ. आशा गुप्ता के निर्देशन में “स्वास्थ्य और सामाजिक विकास में योग की भूमिका : राजस्थान का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन विषय पर अपना शोध कार्य पूर्ण किया है। अपने इस शोध में उन्होंने सामाजिक विकास में योग की भूमिका का विषद् अध्ययन किया है जिसमें व्यक्ति द्वारा योग को आत्मसात किये जाने के परिणामस्वरूप होने वाले सकारात्मक प्रभावों और परिणामों का व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, सामरिक और पर्यावरणीय और पारिस्थितिकी रूप में अनुसंधान किया है।

महरिया ने अपने शोध प्रबंध में योग को व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में लाभकारी बताते हुए सामाजिक विकास में इसकी आवश्यकता और महत्व को बताया है। उन्होंने बताया कि समाजशास्त्र विषय योग से पूर्णतः अछूता रहा है अतः सामाजिक विकास के लिए वैज्ञानिक आधार पर और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस प्रकार का शोध अध्ययन करना अति आवश्यक है क्योंकि भारतीय ज्ञान परम्परा में वैदिक काल से ही योग तथा विज्ञान का सामंजस्य देखने को मिलता है। यही आधारभूत कारण है कि योग का समाजशास्त्रीय दृष्टि से शोध अध्ययन करना अपेक्षित और अनिवार्य है।


ज्ञातव्य है कि विमला महरिया साहित्य जगत में निरंतर सक्रिय हैं और इनकी लगभग दो दर्जन से अधिक पुस्तकें तथा आधा दर्जन शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। अपने बहुआयामी और उपयोगितावादी लेखन क्षमता के कारण विभिन्न राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं से सम्मानित हो चुकी हैं।

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