Editore’ Comment : यह अच्छी बात है कि संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में मरीजों व उनके परिजनों के लिए कई सुविधाएं मुहैया करवाई गई है। यह सिलसिला जारी है। इमरजेंसी में सबसे ज्यादा वार्डबॉय की कमी खलती है, जिनकी संख्या और बढ़ाए जाने की जरूरत है। फिलहाल हॉस्पिटल कैंपस में ई-रिक्शा या गोल्फ कार्ट चलाए जाने की जरूरत है ताकि मरीजों, डॉक्टरों, कंपाउंडरों को ज्यादा लंबा पैदल नहीं चलना पड़े।
उदयपुर। एमबी हॉस्पिटल में एनएबीएच मिलने के साथ ही रोगियों की सुरक्षा के लिए नवाचार होने लगे हैं। हाल ही हॉस्पिटल प्रशासन ने सभी वार्डों में इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम या ईसीजी टेस्ट की सुविधा शुरू कर दी है। कुल 35 ईसीजी मशीन विभिन्न वार्डों में स्थापित की है। इसके पीछे उनका मकसद परिजन ईसीजी के लिए रोगी को लेकर हॉस्पिटल में भटके नहीं।
असल में देखने में यह आया है कि एमबी हॉस्पिटल में सभी सुविधा होने के बावजूद भी कुछ कमियां इन सुविधाओं को समस्या बना देती है। ऐसी ही एक दिक्कत इन दिनों देखने में आई कि वार्ड में भर्ती रोगी के परिजन ईसीजी के लिए उसे नीचे इमरजेंसी में लेकर आते हैं। इसके लिए ट्रोमा वार्ड, सर्जरी, मेडिसिन के कुछ वार्ड, बाल चिकित्सालय आदि के वार्डों से सड़क पार करके रोगी को इमरजेंसी में ईसीजी कराने के लिए लाते हैं। ऐसे में किसी हादसे से रोगी की जिन्दगी सुरक्षित करने के लिए हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. आर. एल. सुमन ने सभी वार्डों में ही ईसीजी की व्यवस्था करवा दी। उनका कहना है कि हॉस्पिटल के कई वार्डों में पहले से ईसीजी मशीन हैं। जिन वार्डों में नहीं थी वहां उन्होंने हाल ही ईसीजी मशीन लगवा दी है। करीब 35 ईसीजी मशीन क्रय की है। इससे रोगियों की ईसीजी उनके वार्ड में ही होने की सहूलियत हो गई है।
इस नवाचार से इमरजेंसी में होने वाली ईसीजी की संख्या घट गई है। पहले वार्डों में भर्ती सभी रोगी नीचे ईसीजी कराने आते थे, अब ऐसे रोगियों की ईसीजी वार्ड में ही हो रही है। पहले जहां एक इमरजेंसी में 250 से 300 ईसीजी होती थी वहीं इमरजेंसी की एक मशीन पर अब यह संख्या घटकर 50 रह गई है।
इनका कहना है
-हार्ट की हेल्दी स्थिति जानने के लिए वार्डों से गंभीर रोगियों को भी ईसीजी कराने के लिए इमरजेंसी में भेजा जाता था। इस शिफ्टिंग से उन्हें कोई खतरा नहीं हो और परिजनों को परेशान भी नहीं होना पडे इसके लिए उन्होंने वार्डों में ही ईसीजी की व्यवस्था कर दी है। ईसीजी मशीन बहुत महंगी नहीं है, ऐसे में 35 मशीन क्रय की गई है और जरूरत होगी तो लगवा दी जाएगी।
डॉ. आर. एल. सुमन, अधीक्षक, एमबी हॉस्पिटल
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