
उदयपुर। शिल्पग्राम उत्सव-2025 का सोमवार को अंतिम दिन रहा और रंग-बिरंगे लोक संगीत व नृत्यों ने समूचे उदयपुर को सुरमई शाम का अनुभव दिया। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की ओर से आयोजित इस उत्सव की थीम ‘लोक के रंग-लोक के संग’ ने विभिन्न प्रदेशों की सांस्कृतिक विविधता को बखूबी दर्शाया।
फोक इंस्ट्रूमेंट्स की धमाकेदार सिंफनी
मुक्ताकाशी मंच पर सोमवार को प्रस्तुत फोक इंस्ट्रूमेंट्स की म्यूजिकल सिंफनी ने श्रोताओं के दिलों के तार झंकृत कर दिए। खरताल, रबाब, मोरचंग, पुंग सहित तीन दर्जन से अधिक लोक वाद्य यंत्रों ने तालमेल के अद्भुत संगम के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राजस्थान के बाॅर्डर जैसलमेर-बाड़मेर से लेकर कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के वाद्य यंत्रों ने प्रस्तुति में भाग लिया। शंखनाद से आरंभ हुई यह प्रस्तुति गगनभेदी सुरमई आलाप और विभिन्न धुनों के सवाल-जवाब से समां बांधने में सफल रही।
लोक नृत्यों में अदाकारी और रंग
सिंफनी से पूर्व मंच पर विभिन्न राज्यों के लोक नृत्यों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
मयूर नृत्य में मोर पंखों वाले कॉस्ट्यूम और राधा-कृष्ण की लीला आधारित प्रस्तुतियों ने झूमने पर मजबूर किया।
मणिपुर का पुंग ढोल चेलम नृत्य मार्शल आर्ट और तीव्र पदचाप के साथ ऊर्जा भरपूर रहा।
पश्चिम बंगाल के राय बेंसे और पुरुलिया छाऊ, महाराष्ट्र के लावणी और राजस्थान के कालबेलिया नृत्यों ने अपनी अदाकारी और करतब से खूब वाहवाही लूटी।
सौम्य वाद्य और लोक धुनों ने जीते दिल
मेवात क्षेत्र के भपंग वादन, उत्तराखंड की छापेली, असम का बिहू और मणिपुर का थांग-ता स्टिक डांस दर्शकों के बीच रोमांच और उत्साह का संचार करने में सफल रहे। गुजरात के सिद्धि धमाल, पंजाब का भांगड़ा और सिंघी छम ने भी अपनी ऊर्जा से मंच पर रौनक बढ़ाई।
मुख्य कार्यक्रम से पहले, सुंदरी वादन, तेराताली, मांगणियार गायन और भवई नृत्य की प्रस्तुतियों को भी दर्शकों ने खूब सराहा।
‘हिवड़ा री हूक’ और थड़ों पर प्रस्तुतियां
शिल्पग्राम के बंजारा मंच पर ‘हिवड़ा री हूक’ कार्यक्रम ने मेलार्थियों को क्विज और उपहारों के माध्यम से जोड़ा।
विभिन्न थड़ों पर सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक आदिवासी और लोक प्रस्तुतियों का दौर जारी रहा।
आदिवासी गेर व चकरी, बाजीगर, तेरहताली, बीं जोगी व भवई, मांगणियार गायन, गलालेंग (लोक कथा), घूघरा-छतरी, कठपुतली, पारंपरिक आदिवासी नृत्य तारपा और पीपली, स्कल्पचर्स और झोंपड़ियां जैसे आकर्षणों ने मेलार्थियों का मनोरंजन किया।
उत्सव का आखिरी दिन: नृत्य और संगीत की बहार
मुक्ताकाशी मंच पर उत्सव के अंतिम दिन मंगलवार को उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान द्वारा निर्देशित म्यूजिकल सिंफनी ने श्रोताओं का मन मोह लिया।
लावणी, पुरुलिया छाऊ, ढेड़िया, पुंग ढोल चेलम, गोटीपुआ, डांग, बिहू, कालबेलिया, राय बेंसे, कावड़ी कड़गम, सिद्धि धमाल, सिंघी छम, मयूर, छापेली, भांगड़ा, नटुआ और थांग-ता-स्टिक जैसे लोक नृत्यों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मेवात क्षेत्र के भपंग वादन ने समां बांधते हुए संगीत प्रेमियों के दिलों में खास जगह बनाई।
Keywords : Shilpgram Utsav 2025, Folk Music Udaipur, Folk Instruments Symphony, Indian Folk Dances, Peacock Dance, Pung Dhol Chelam, Lavni Dance, Kalbelia Dance, Raibeshe Dance, Bhangra, Folk Arts Rajasthan, Cultural Festival India, Folk Music & Dance Showcase
About Author
You may also like
-
उदयपुर: IT कंपनी मैनेजर से चलती कार में गैंगरेप, तीन आरोपियों को जेल भेजा
-
मेवाड़ कुमावत महाकुंभ 2025 : अनुमान से कहीं अधिक समाजजन हुए शामिल
-
अलविदा 2025 : बॉलीवुड के वो गाने, जिन्होंने सालभर मचाया धमाल
-
ग्रिगोरी रासपुतिन : रहस्यमयी ‘बाबा’ जिसकी भविष्यवाणी से हिल गई रूसी राजशाही
-
अरावली संरक्षण : सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रकृति प्रेमियों ने किया स्वागत, कहा– जनभावनाओं की हुई जीत