उदयपुर। शहर के हाथीपोल, चमनपुरा और अम्बावगढ़ कच्ची बस्ती के हजारों लोग इन दिनों पानी के लिए तरस रहे हैं। पिछले चार दिनों से एक बूंद पानी तक की सप्लाई नहीं हुई, जिससे लोगों का रोज़मर्रा का जीवन ठप पड़ गया है। महिलाएं सिर पर मटके ढोने को मजबूर हैं, बच्चों की स्कूल तैयारी प्रभावित हो रही है, और बुजुर्गों को पीने तक का पानी जुटाना मुश्किल हो गया है।
यह समस्या कोई अचानक नहीं आई — पिछले दो महीने से लगातार जल संकट बना हुआ है। क्षेत्रवासियों के मुताबिक, बार-बार शिकायत के बाद भी जिम्मेदार अफसर सिर्फ आश्वासन देकर चुप बैठ जाते हैं।
खराब पम्प और विभागीय उदासीनता
कनिष्ठ अभियंता, सहायक अभियंता और अधिशाषी अभियंता से बार-बार की गई बातचीत में यही बताया गया कि पुराने पम्प हटाकर नए दो पम्प लगाए गए हैं। लेकिन शर्मनाक यह है कि दोनों पम्प बार-बार खराब हो रहे हैं। अफसरों का दावा है कि कंपनी रिपेयर कर रही है, लेकिन महीनों से रिपेयर के नाम पर लोगों को प्यासा रखा जा रहा है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जल विभाग ने कंपनी से घटिया क्वालिटी के पम्प खरीदे, जो वारंटी में होने के बावजूद बदले नहीं जा रहे। और हैरानी की बात यह है कि विभाग न तो कंपनी पर कोई कार्रवाई कर रहा है, न ही त्वरित समाधान निकाल रहा है। यह सीधे-सीधे सरकारी धन और जनता के विश्वास से खिलवाड़ है।
ज्ञापन और आंदोलन की चेतावनी
12 अगस्त 2025 को क्षेत्रवासियों ने अधिशाषी अभियंता अखिलेश शर्मा को ज्ञापन सौंपा। पूर्व पार्षद दिनेश गुप्ता, बूथ अध्यक्ष भूपेन्द्र सूर्यवंशी, सदीक मोहम्मद समेत बड़ी संख्या में महिलाएं और नागरिक मौजूद रहे। लोगों ने साफ चेतावनी दी कि यदि जल्द पानी की समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया गया, तो जन आंदोलन शुरू होगा।
जनता की पीड़ा, प्रशासन की चुप्पी
यह सवाल हर नागरिक के मन में है — जब वारंटी में पम्प बदले जा सकते हैं, तो क्यों नहीं बदले जा रहे? क्या विभागीय अधिकारी कंपनी के साथ मिलीभगत में हैं? क्या जनता की प्यास सिर्फ फाइलों में बुझाई जा रही है?
जल विभाग के उच्च अधिकारियों को अब समझना होगा कि यह सिर्फ “सप्लाई समस्या” नहीं है, बल्कि जन स्वास्थ्य, गरिमा और बुनियादी अधिकार का सवाल है। अगर प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई नहीं की, तो यह मामला सड़कों से लेकर अदालत तक पहुंचेगा — और जिम्मेदारी से भागने वाले हर अफसर को जवाब देना होगा।
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