बोहरा समाज के रूहानी पेशवा सैयदना मुफ़द्दल सैफ़ुद्दीन का उदयपुर आगमन — ईमान, मोहब्बत और बरकतों का मंजर

फोटो : लतीफ

 

उदयपुर। दाऊदी बोहरा समाज के आलमी सरबराह, रूहानी पेशवा और 53वें दाई-उल-मुतलक़ हज़रत डॉ. सैयदना मुफ़द्दल सैफ़ुद्दीन (त.उ.श) मंगलवार की दोपहर उदयपुर तशरीफ़ लाए। यह आगमन न सिर्फ़ बोहरा समाज बल्कि पूरे शहर के लिए एक रूहानी और ऐतिहासिक लम्हा साबित हुआ। मुंबई से हवाई सफ़र के बाद दोपहर क़रीब 1:30 बजे आपका काफ़िला सड़क मार्ग से गुज़रते हुए फतहपुरा स्थित बुरहानी मस्जिद पहुंचा। इस पूरे सफ़र में आस्था, मोहब्बत और अकीदत का ऐसा आलम देखने को मिला जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है।

इस्तक़बाल का आलम — फूलों की बारिश और पलक पांवड़े

आस्था मंदिर गली से लेकर खारोल मस्जिद तक, दोनों ओर अकीदतमंदों का हुजूम खड़ा था। हाथों में फूल, लबों पर नात और सलाम, और दिलों में अपने रूहानी पेशवा की दीदार की तड़प। बच्चे, बुज़ुर्ग, औरतें — सभी ने अपने-अपने तरीक़े से इस्तक़बाल किया। रास्ते भर फूलों की बारिश होती रही, सफ़ेद और सुनहरे कपड़े लहराते रहे, और “मरहबा, मरहबा” की सदाएं गूंजती रहीं। मानो पूरा शहर ईमान और मोहब्बत के रंग में रंग गया हो।

दस रोज़ा मुक़द्दस प्रवास — रूहानी इनायत का दौर

सैयदना साहब का यह प्रवास पूरे दस दिनों का होगा। इस दौरान शहर की मस्जिदें, मजलिसगाह और इलाक़े रूहानियत से सराबोर रहेंगे। पहले ही दिन निकाह की पाक रस्में और ख़ास मजलिसें शुरू हो गईं। समाज के कई घरों में इस मुक़द्दस मौक़े पर मेहमान नवाज़ी और लंगर का सिलसिला जारी रहेगा।

14 अगस्त — चेहल्लुम का रूहानी मरकज़

इस प्रवास का सबसे अहम लम्हा 14 अगस्त को आएगा, जब इमाम-ए-हुसैन (अ.स) की चेहल्लुम की याद में सैयदना साहब अपनी इलाही वायज़ फ़रमाएँगे। चेहल्लुम, करबला की जंग में हक़ के लिए दी गई कुर्बानियों का प्रतीक है। यह दिन बोहरा समाज के लिए सिर्फ़ ग़म का नहीं, बल्कि ईमान की मजबूती, सब्र और अल्लाह की रज़ा में राज़ी रहने का पैग़ाम देता है। सैयदना साहब की वायज़ से अकीदतमंदों को वह रूहानी ताक़त और ईमान अफ़रोज़ हिदायतें मिलेंगी जो उनकी ज़िंदगी को नई दिशा देंगी।

बोहरा समाज में सैयदना साहब का मक़ाम

सैयदना मुफ़द्दल सैफ़ुद्दीन साहब सिर्फ़ एक धार्मिक नेता नहीं, बल्कि बोहरा समाज की पहचान और उनकी रूहानी ज़िंदगी के रहनुमा हैं। आपकी अगुवाई में दुनिया भर के बोहरा मुसलमान इल्म, तिजारत, इंसानी ख़िदमत और दीन की हिदायतों पर अमल करते हैं। आपका हर प्रवास समाज में ईमान, तालीम, भाईचारे और मोहब्बत का पैग़ाम छोड़ जाता है।

उदयपुर में रूहानियत का नूर

इन दस दिनों में उदयपुर की فضाएं बदल जाएंगी। मस्जिदों में अज़ान की पुकार और मजलिसों की नातों से माहौल महक उठेगा। शहर में दूर-दराज़ से आने वाले मेहमानों की आमद से गली-कूचों में रौनक बढ़ जाएगी। समाज के बुज़ुर्ग अपने तजुर्बे से नयी नस्ल को दीन की तालीम देंगे, और बच्चे भी इस रूहानी महफ़िल में अपना हिस्सा लेंगे।

इंतज़ार की घड़ियां ख़त्म

लंबे अरसे से अकीदतमंद इस मुक़द्दस सफ़र का इंतज़ार कर रहे थे। जैसे ही सैयदना साहब का काफ़िला शहर में दाख़िल हुआ, वह इंतज़ार इश्क़ और अकीदत के समंदर में डूब गया। अब हर रोज़ मजलिसों में बैठकर, उनकी बातें सुनकर और उनकी दुआओं में शामिल होकर अकीदतमंद अपने दिलों को रोशन करेंगे।

सैयदना मुफ़द्दल सैफ़ुद्दीन साहब का यह प्रवास न सिर्फ़ बोहरा समाज बल्कि पूरे उदयपुर के लिए एक बरकत और रूहानी इनायत का मौक़ा है। यह वह वक़्त है जब ईमान की रोशनी हर दिल में उतरती है, और मोहब्बत का रंग हर रूह में घुल जाता है।

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