भुवनेश्वर। ओडिशा में एक बोरवेल में नवजात बच्ची फंस गई। सर्द रात के बीच पांच घंटे से ज्यादा समय तक चले ऑपरेशन में सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। सर्दी के असर को कम करने के लिए बोरवेल में सौ वॉट का एक बल्ब लगाया गया था, जिससे बच्ची को जरूरी गर्माहट मिलती रही और अंत में उसे सकुशल बाहर निकाल लिया गया।
अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि बच्ची बोरवेल के अंदर फंसी प्लास्टिक की एक बोतल पर जा गिरी, जिसकी वजह से वह बोरवेल की सतह से टकराने से बच गई, जहां टूटी हुई कांच की बोतलें भी पड़ी हुई थीं।
उन्होंने बताया कि फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि बच्ची किसकी है। अधिकारियों के मुताबिक, बच्ची को फिलहाल 60 किलोमीटर दूर संबलपुर कस्बे में वीर सुरेन्द्र साई मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
उन्होंने बताया कि बच्ची को मंगलवार रात रेंगाली इलाके के लारीपाली गांव में एक अलग-थलग बने 20 फुट गहरे बोरवेल से सुरक्षित बाहर निकालने के बाद ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के जरिए अस्पताल पहुंचाया गया था।
अस्पताल में बाल चिकित्सक डॉ. शुभम सिंघा ने कहा, ”बच्ची की हालत ठीक है। उसके शरीर पर हल्की-फुल्की खरोंच हैं। वह होइपोथर्मिया से जूझ रही है (एक ऐसी स्थिति, जिसमें शरीर का तापमान खतरनाक रूप से कम होता जाता है)।”
20 फुट जमीन के नीचे मौत से जंग
अस्पताल ने बच्ची के इलाज के लिए एक टीम गठित कर दी है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बच्ची को बचाने के लिए चलाए गए अभियान में शामिल सभी लोगों को धन्यवाद दिया है। उन्होंने एक बयान में कहा, ”मैं बच्ची की दीर्घायु की कामना करता हूं। भगवान उसे आशीर्वाद दे। जय जगन्नाथ।” फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि बच्ची 20 फुट गहरे बोरवेल में कैसे गिरी। स्थानीय लोगों को अंदेशा है कि नवजात बच्ची को किसी ने इस बोरवेल में गिराया है। बोरवेल से बच्ची के रोने की आवाज सुनाई पड़ने पर ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस को दी थी।
बोरवेल से बच्ची के रोने की आवाज
एक अधिकारी ने बताया कि इसबीच पुलिस का एक दल लारीपाली गांव पहुंचा और बच्ची की पृष्ठभूमि से जुड़ी जांच शुरू कर दी। अधिकारी ने बताया, ”गांववालों से बच्ची के बारे में किसी भी तरह की जानकारी पुलिस को देने को कहा गया है। कई गांववालों ने कहा कि उन्होंने जंगल से एक महिला को अकेले आते हुए देखा है, जो लारीपाली की नहीं थी। ” बोरवेल जंगल के नजदीक स्थित है।
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