
उदयपुर। सुबह का वक्त था। बारिश थम चुकी थी, लेकिन खेतों में अभी भी पानी की हल्की परत चमक रही थी। कुछ घरों के आंगन में मिट्टी धंस चुकी थी और बच्चे किनारे खड़े होकर पानी की लहरों को जिज्ञासा से देख रहे थे। इसी माहौल में सफ़ेद जीपों का काफ़िला गाँव की गलियों से गुज़रा—जिला कलेक्टर नमित मेहता खुद ग्रामीणों से मिलने पहुँचे थे।
गांववालों ने जैसे ही उन्हें देखा, भीगे कपड़ों और गीली ज़मीन के बीच एक उम्मीद की लहर दौड़ गई। कोई अपनी फसल का हाल बताने आगे आया, तो कोई घर के अंदर भरे पानी की चिंता लेकर।
कलेक्टर मेहता ने सबसे पहले खेतों में खड़े किसानों से संवाद किया। एक बुज़ुर्ग किसान, जिनकी 10 बीघा मक्का की फसल पानी में डूबी थी, उदासी से बोले—“साहब, सालभर की मेहनत पर पानी फिर गया।”
कलेक्टर ने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “चिंता मत करिए, सर्वे करवाकर आपको नियमानुसार मुआवजा मिलेगा। आपकी परेशानी अब सिर्फ़ आपकी नहीं, प्रशासन की भी है।”
उनके ये शब्द सुनकर ग्रामीणों के चेहरों पर हल्की मुस्कान लौट आई। आसपास खड़े लोगों ने राहत की सांस ली—उन्हें लगा कि वे अकेले नहीं छोड़े गए हैं।
हर गांव में रुके, हर आवाज़ सुनी
लकड़वास से लेकर मटुन तक, कलेक्टर का काफ़िला एक-एक गाँव में रुका। मिट्टी से सने पाँवों वाले किसान, चिंतित महिलाएँ और पानी में भीगते बच्चे सब उनके चारों ओर घिर आए। कलेक्टर ने न सिर्फ़ खेतों और नालों का जायजा लिया, बल्कि हर ग्रामीण से उनकी तकलीफ़ सुनी।
ग्रामीणों ने बाद में कहा कि प्रशासन की मौजूदगी से उन्हें भरोसा मिला—“साहब खुद आए हैं, मतलब सरकार को हमारी चिंता है।”

झील पर सतर्क नज़र
उदयसागर झील की पाल पर पहुंचकर कलेक्टर ने अधिकारियों के साथ पानी की निकासी की स्थिति देखी। तेज़ हवा के बीच खड़े होकर उन्होंने इंजीनियरों से पूछा—“क्या पानी पूरी तरह नियंत्रित तरीके से निकल रहा है? कहीं कोई खतरा तो नहीं?”
जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता मनोज जैन ने समझाया कि झील का गेज 27 फीट पर है और नियंत्रित रूप से पानी छोड़ा जा रहा है। अगले 24–48 घंटे में हालात सामान्य हो जाएंगे।
यह सुनकर पास खड़े ग्रामीणों ने राहत की साँस ली। उन्हें लगा कि स्थिति नियंत्रण में है और प्रशासन लगातार पहरे पर है।
“मिट्टी तो जाएगी, पर उम्मीद बची है”
निरीक्षण के दौरान पता चला कि लगभग 60–70 बीघा जमीन डूब क्षेत्र में आई है। कलेक्टर ने वहीं खड़े होकर घोषणा की—“इन ज़मीनों का मुआवजा नियमानुसार दिया जाएगा। किसी किसान को नुकसान उठाकर अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।”
गांव की एक महिला ने भावुक होकर कहा, “मिट्टी तो जाएगी, पर उम्मीद बची है। प्रशासन साथ खड़ा है तो डर कम लग रहा है।”

प्रशासन की मौजूदगी, जनता का विश्वास
इस दौरे में एसडीएम गिर्वा अवुला साईकृष्ण, तहसीलदार श्याम सिंह चारण और जल संसाधन विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे। उनकी त्वरित कार्रवाई देखकर ग्रामीणों ने आभार जताया।
जैसे-जैसे कलेक्टर आगे बढ़े, लोगों की आँखों में डर की जगह भरोसा नज़र आने लगा। कई ग्रामीणों ने कहा, “इतनी बारिश और नुकसान के बीच अगर अधिकारी गाँव-गाँव पहुँच रहे हैं, तो हमें भी ताक़त मिलती है।”
उदयपुर में अतिवृष्टि ने हालात चुनौतीपूर्ण बनाए, लेकिन कलेक्टर नमित मेहता का जमीनी दौरा न सिर्फ़ प्रशासनिक कार्रवाई साबित हुआ, बल्कि ग्रामीणों के लिए उम्मीद की डोर भी बना। गीली मिट्टी और भीगे खेतों के बीच प्रशासन की मौजूदगी ने लोगों को यह भरोसा दिलाया— “हम अकेले नहीं हैं, मदद पहुँच रही है।”
About Author
You may also like
-
How to Watch 2025 MLB World Series Game 3: Dodgers vs. Blue Jays Live Stream and TV Details
-
This Week’s Hottest Releases: Welcome to Derry, The Witcher Season 4, and More!
-
Dubai Run 2025: Key details about the 7th edition of the city’s biggest fitness event
-
Stunning NBA twist — gambling arrests expose mafia links. Here’s everything you need to know
-
लाखों लाल केकड़ों का वार्षिक सफ़र शुरू : क्रिसमस आइलैंड पर दिखा प्रकृति का अद्भुत नज़ारा