गणेश चतुर्थी : पर्यावरण संरक्षण के लिए पायोनियर पब्लिक स्कूल के बच्चे बोहरा गणेशजी मंदिर में सीखाएंगे मिट्‌टी के गणेशजी बनाना


उदयपुर। द पायोनियर पब्लिक स्कूल देबारी के बच्चों ने पर्यावरण को बचाने की पहल की है। स्कूल के बच्चे 17 सितंबर (रविवार) को बोहरा गणेशजी मंदिर में मिट्‌टी के गणेशजी बनाना सीखाएंगे। बनी हुई मूर्तियोंको निशुल्क वितरित की जाएगी। दरअसल प्लास्टर ऑफ पेरिस से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को बचाने के लिए गणेश उत्सव के मौके पर लोग अब प्लास्टर ऑफ पेरिस की बजाय मिट्‌टी के गणेशजी बना रहे हैं। यह स्कूल लगातार पर्यावरण और भारतीय संस्कारों को लेकर काम कर रहा है। इसी से यहां पढ़ने वाले बच्चे भी पर्यावरण को लेकर जागरूक हैं।


स्कूल के चेयरमैन नरेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि बाजार से खरीदी हुई मूर्ति में उतनी भावना नहीं होती है, जितनी हमारे हाथों से बनी हुई मूर्ति में आस्था और विश्वास की जाग्रति होती है। यहां आने वाले लोगों को बच्चे मिट्‌टी से बनी हुई मूर्तियां बनाना सीखाएंगे और बनी हुई मूर्तियों को निशुल्क वितरित किया जाएगा। उन्होंने लोगों से आह्वान किया है कि ज्यादा से ज्यादा लोग यहां आएं और मिट्‌टी के गणेशजी बनाना सीखें और अपने हाथों से बने गणेशजी को गणेश चतुर्थी पर घर ले जाकर स्थापित करें।


प्रोग्राम कोर्डिनेटर अंकित गुप्ता बताया कि यह परंपरागत और पर्यावरण के लिए सही कदम है, जो गणेश उत्सव को और भी अर्थपूर्ण बना रहा है और पर्यावरण की सुरक्षा में भी मदद कर रहा है।
स्कूल प्रबंधन की श्वेता गुप्ता ने बताया कि स्कूल में बच्चों ने मिट्‌टी के गणेश बनाना सीखा है और अब वे अन्य लोगों को भी गणेश प्रतिमा बनाना सीखाएंगे। उन्होंने बताया कि संस्कृति से जोड़े रखने के लिए प्रतिमाओं के अंदर तुलसी के बीज डाले जाएंगे, इससे हम घर में प्रतिमा का विसर्जन करने के बाद मिट्‌टी व बीज को गमले में डालकर पौधे तैयार कर सकेंगे।

ऐसा करने से बच्चे अपनी संस्कृति से जुड़ेंगे और पर्यावरण संरक्षण में भी अपनी भूमिका निभा सकेंगे। उनका कहना है कि हम पुरानी मान्यताओं में इस तरह उलझे हुए हैं कि बदलाव को सहज स्वीकार नहीं करते, लेकिन शुरुआत तो कर ही सकते हैं। कुछ बच्चे प्रतिमाएं बनाने में इतनी ट्रेंड हो गए हैं कि वे घर पर ही बड़ी संख्या में मिट्टी की गणेश प्रतिमा निर्माण कर पड़ोसियों को उपलब्ध करवा सकते हैं।

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