दु:ख के कारणों को निकाले बिना दुख नहीं जाएगा : साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री

– पद्मावती माता का जाप एवं सामूहिक एकासना किया
उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में शुक्रवार को परमात्मा की वाणी के माध्यम से सामायिक का विवेचना विषय पर विशेष प्रवचन हुए।

महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में दोनों साध्वियों के सान्निध्य में पद्मावती माता का जाप एवं सामूहिक एकासना का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि प्रात: सवा नौ बजे पारस देवी, शालू मेहता की ओर से भक्तामर स्तोत्र पाठ के पश्चात पारसनाथ भगवान की चरण सेविका राजराजेश्वरी एक भवावतारी, पद्मावती माता का जाप करवाया गया। उसके बाद लाभार्थी परिवार का एकासना किया गया।


 चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने चातुर्मासिक प्रवचन के माध्यम से बताया कि जगत के सभी जीवों को सुखी होने की इच्छा है सभी जीव सुखी होने के लिए मेहनत भी कर रहे है परन्तु सुख की सच्ची दिशा क्या है? यह समझ नहीं होने के कारण लाख प्रयत्न करने पर भी जीव सुखी नही हो सकता है। दु:ख किन कारणों से आता है? विचार किए बिना इसे दूर करने की मेहनत कर रहा है परन्तु इससे परिणाम नहीं आएगा, दु:ख दूर नही होगा। जिस प्रकार मलेरिया, टाइफाइड, कैंसर या टी. बी. किस कारण से बुखार आ रहा है, यह निदान किए बिना मात्र बुखार की दवा लेने से सही होने की बजाए और बढ़ता ही जाएगा।

इसी प्रकार के दुख के उद्गम स्थान दु:ख के कारण पर विचार किए कभी बिना उसे दूर करने का प्रयत्न करने से दु:ख भी दूर नहीं होगा। आज माता पद्मावती देवी का जाप अनुष्ठान किया गया।
जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

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