
उदयपुर। रात के करीब 10 बजे थे। मार्च की वो आख़िरी तारीख़ थी—29 तारीख़, जब उदयपुर के सबसिटी सेन्टर की एक झुग्गी में अफरा-तफरी मच गई। धन्ना बावरी, उम्र तीस के करीब, अचानक कांपने लगा। शरीर अकड़ने लगा, आंखें उलटने लगीं। परिवार घबरा गया। मेडिकल नहीं, सीधे मोबाइल उठाया गया—फोन किया गया तांत्रिक रोशन मोगिया को।
रोशन मोगिया, एक खुद-घोषित ओझा, जो खुद को देवरे का रखवाला बताता है। धोल की पाटी में रहता है, और इलाके में “साया हटाने” के लिए कुख्यात है। उसने आते ही ताश का पहला पत्ता फेंका – “इस पर डायन का साया है”।
फिर शुरू हुआ खेल… तंत्र का, अंधविश्वास का, और हैवानियत का।
अगले दिन का सच : सुबह होते ही धन्ना को उसके ही परिवार वाले रोशन के बताए ठिकाने पर ले गए – धोल की पाटी, उसके घर में बने कथित ‘देवरे’ के सामने। पहले तीन हज़ार रुपए झाड़-फूंक के नाम पर लिए गए। फिर… रोशन मोगिया ने अपने पुराने औज़ार निकाले – चिमटा, अंगारे, राख…
फिर जो हुआ, वो सभ्यता के नाम पर एक तमाचा था – गर्म चिमटे को आग में तपाया गया… और फिर सीधे धन्ना की कनपटी पर दाग दिया गया। चीखों का कोई असर नहीं हुआ। ‘तांत्रिक लीला’ जारी रही। धन्ना को पीटा गया। लात-घूंसे बरसाए गए।
और शायद सबसे बड़ी सजा ये थी कि… ये सब कुछ परिवार की आंखों के सामने हो रहा था।
जुर्म बेनक़ाब होता है : घटना के कुछ घंटे बाद जब दर्द असहनीय हो गया, तब जाकर नन्दलाल बावरी – धन्ना का भाई – सवीना थाने पहुंचा।
रिपोर्ट दर्ज की गई, और पुलिस ने कार्रवाई करते हुए रोशन मोगिया उर्फ रोशनलाल बावरी को गिरफ्तार कर लिया।
उस पर आरोप हैं – जादू-टोना कर रुपए ऐंठने का। जानबूझकर गर्म औज़ार से दागकर ज़ख्मी करने का। अंधविश्वास फैलाने और अमानवीय कृत्य करने का।
सवाल जो अभी बाकी हैं…क्या ये पहली बार था, जब रोशन मोगिया ने ऐसा किया?
या ये एक लंबे समय से चल रही तांत्रिक दहशत की पहली पोल है?
और सबसे बड़ा सवाल – क्या ये आख़िरी बार था?
उदयपुर – एक शहर, जो झीलों और महलों के लिए जाना जाता है, आज तंत्र-मंत्र और डायन के साये में सुलगती हकीकत का चेहरा भी दिखा गया। कानून ने अपना काम किया, पर अब ज़रूरत समाज के जागने की है। क्योंकि जब तक ‘डायन’ हमारे दिमाग़ में ज़िंदा है, तब तक तांत्रिक हमारे दरवाज़े पर दस्तक देते रहेंगे।
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