
जयपुर। राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने जयपुर के विद्याधर नगर स्थित ‘नंद घर’ का दौरा करते हुए वेदांता समूह की इस प्रमुख सामाजिक पहल को ग्रामीण और शहरी समुदायों के लिए परिवर्तनकारी बताया। उन्होंने कहा कि नंद घर जैसी पहलें केवल बुनियादी सुविधाएं नहीं देतीं, बल्कि समाज की सबसे संवेदनशील इकाइयों — महिलाएं और बच्चे — को सशक्त बनाने की दिशा में एक मजबूत आधारशिला रखती हैं।
नंद घर, जो अनिल अग्रवाल फाउंडेशन की एक प्रमुख परियोजना है, पारंपरिक आंगनवाड़ियों को आधुनिक, तकनीकी रूप से सक्षम और बाल-हितैषी केंद्रों में बदल रहा है। जयपुर दौरे के दौरान उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने स्मार्ट टीवी, ई-लर्निंग मॉड्यूल और BaLA (बिल्डिंग एज लर्निंग एड) डिज़ाइन युक्त इंटरैक्टिव कक्षाओं का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास न केवल बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में सहायक हैं, बल्कि वे समाज को जड़ों से सशक्त करने की दिशा में कारगर साबित हो रहे हैं।
दौरे के दौरान दीया कुमारी ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आस-पास की बस्तियों से आई महिलाओं से संवाद किया। इनमें कई महिलाओं ने हस्तशिल्प, फूड प्रोसेसिंग जैसी गतिविधियों में प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बनने की कहानियां साझा कीं। उन्होंने बताया कि कैसे नंद घर के माध्यम से उन्हें पहली बार घर से बाहर आकर सीखने, कमाने और निर्णय लेने का अवसर मिला।
वेदांता समूह ने राजस्थान में 25,000 नंद घरों की स्थापना का संकल्प लिया है। वर्तमान में राज्य में 2 लाख से अधिक बच्चे और 1.5 लाख महिलाएं इस परियोजना से लाभान्वित हो रही हैं। नंद घर के सीईओ शशि अरोड़ा ने उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी को ‘संस्थागत मान्यता’ बताते हुए कहा कि यह प्रोत्साहन न केवल टीम के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि यह सरकार और निजी क्षेत्र के बीच की साझेदारी को और मज़बूती देता है।
अरोड़ा ने कहा, “हमारा उद्देश्य एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत करना है जो पोषण, प्राथमिक स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में एकीकृत समाधान दे सके और पूरे देश में अपनाया जा सके। सरकार के साथ मिलकर हम कुपोषण, कम वजन, शिक्षा में कमी और सामाजिक भेदभाव जैसी समस्याओं से जूझ रहे समुदायों तक पहुंच बना रहे हैं।”
यह परियोजना वर्तमान में 15 राज्यों में 8,500 से अधिक केंद्रों के माध्यम से संचालित हो रही है। राजस्थान में विशेष रूप से धौलपुर जिले में ‘बालवर्धन परियोजना’ शुरू की गई है, जो JSI (John Snow Inc.) और Rocket Learning जैसे साझेदारों के सहयोग से प्रारंभिक बाल विकास के वैज्ञानिक और डेटा-आधारित मॉडल पर काम कर रही है। यह परियोजना डिजिटल शिक्षा, क्षमता निर्माण और स्थानीय भागीदारी के ज़रिए न केवल बच्चों के विकास में बल्कि सामाजिक समावेशन में भी योगदान दे रही है।
उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने यह भी कहा कि सरकार POSHAN 2.0, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को ज़मीन पर उतारने के लिए ऐसे प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने नंद घर मॉडल को एक “स्थायी और दोहराए जा सकने वाला सामाजिक समाधान” करार दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि नंद घर जैसी पहलें भारत के सामाजिक ढांचे में गुणात्मक परिवर्तन ला सकती हैं। यह पहल न केवल सेवा प्रदान करती है, बल्कि समाज की जड़ में जाकर एक ऐसा परिवेश रचती है जहां महिला अपने पैरों पर खड़ी होती है, बच्चा अपनी क्षमता को पहचानता है और समुदाय एक नई चेतना के साथ आगे बढ़ता है।
नंद घर की यह यात्रा अब केवल आंगनवाड़ी सुधार तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह ग्राम स्तर पर सामाजिक न्याय, लैंगिक समानता और शिक्षा जैसे मूलभूत अधिकारों को सशक्त बनाने की दिशा में एक नई क्रांति का प्रारंभ बन चुकी है।
सरकार और निजी क्षेत्र के इस साझे प्रयास ने यह साबित कर दिया है कि यदि इरादा स्पष्ट हो, तो सामाजिक परिवर्तन केवल भाषणों तक सीमित नहीं रहता — वह ज़मीनी हकीकत में बदलता है, और नंद घर उसका जीवंत प्रमाण है।
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