“जहाँ याद एक सेवा बन गई : प्रो. विजय श्रीमाली की पुण्यतिथि पर रक्त और रोटी का संकल्प”

उदयपुर। कुछ लोग चले जाते हैं, लेकिन पीछे छोड़ जाते हैं अपनी सोच, अपने मूल्य और सेवा की वो लौ, जो समय के साथ और भी तेज़ होती जाती है। प्रोफेसर विजय श्रीमाली उन्हीं में से एक थे — एक शिक्षाविद, एक समाजसेवी और सबसे पहले एक संवेदनशील इंसान।


उनकी सातवीं पुण्यतिथि पर, 21 जुलाई को उनकी याद को कर्म में बदलने का व्रत लिया है उनके नाम से स्थापित फाउंडेशन ने। इस दिन दो भावनात्मक पहलें की जाएंगी —सुबह रक्तदान, और
शाम को भूख से जूझ रहे परिजनों के लिए भोजन सेवा।


रक्त की एक बूंद, किसी की ज़िंदगी की डोर
सुबह 9 बजे, टाइगर हिल स्थित प्रताप गौरव केंद्र के पास संस्कार भवन में एक रक्तदान शिविर आयोजित होगा। यह सिर्फ रक्त संग्रह नहीं, जीवन बांटने का उत्सव होगा।


जतिन श्रीमाली, प्रो. श्रीमाली के परिजन और फाउंडेशन के प्रतिनिधि बताते हैं,
“रक्तदान एक मौन व्रत है—जहाँ हम बिना शोर किए किसी अनजान की साँसों को थाम लेते हैं।”
उनका संदेश साफ है— जो चला गया, वो अब हमारे कर्मों में ज़िंदा है। और उसे जीवित रखने का सबसे अच्छा तरीका है, उसके मूल्यों को जीना।
भोजन: एक थाली, एक आशीर्वाद
शाम को, उसी दिन एमबी अस्पताल (महाराणा भूपाल चिकित्सालय) में उन परिजनों को भोजन कराया जाएगा, जो अपनों की तकलीफ में खुद भूख भूल जाते हैं। ये वो लोग हैं, जिनकी थकान अस्पताल की सीढ़ियों से टपकती है, जिनके आंसू पोंछने कोई नहीं आता।
फाउंडेशन उनकी ओर एक थाली बढ़ाएगा—जिसमें सिर्फ रोटियाँ नहीं होंगी, सम्मान और सहानुभूति का स्वाद भी होगा।


याद से यज्ञ तक: एक पुनीत परंपरा


यह आयोजन एक परंपरा का हिस्सा है। प्रो. विजय श्रीमाली फाउंडेशन समय-समय पर शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक जागरूकता से जुड़ी पहल करता रहा है। इस शिविर और सेवा कार्य के माध्यम से फाउंडेशन एक बार फिर “सेवा ही सच्ची श्रद्धांजलि” का संदेश दे रहा है।


जतिन श्रीमाली कहते हैं: “एक यूनिट रक्त, किसी माँ की उम्मीद बन सकता है। और एक थाली भोजन, किसी पिता की विवशता को कुछ देर के लिए रोक सकता है।”


21 जुलाई: आइए, सिर्फ याद न करें… निभाइए
इस दिन आइए—
एक बूंद रक्त दें,
एक मुस्कान बाँटें,
एक थाली बढ़ाएं,
और
एक दिवंगत आत्मा को कर्मों के दीप से श्रद्धांजलि दें।
प्रो. विजय श्रीमाली की स्मृति में, आइए समाज के साथ खड़े हों… क्योंकि जब स्मृति सेवा बन जाए, तो वो अमरता पा लेती है।

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