फोटो : ,कमल कुमावत

उदयपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, समाजसेवी और पूर्व विधानसभा प्रत्याशी दलपत सुराणा का रविवार को लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे पिछले कई महीनों से अस्वस्थ चल रहे थे और एक निजी अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से न केवल भारतीय जनता पार्टी, बल्कि पूरे उदयपुर जिले के राजनीतिक, सामाजिक और नागरिक जीवन में शोक की लहर फैल गई।
दलपत सुराणा राजनीति में एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिन्होंने जीवनभर सेवा और सिद्धांत को सर्वोपरि रखा। पार्टी के प्रति उनका समर्पण, संगठन के लिए उनका समर्पित परिश्रम और समाज के लिए उनकी सोच ने उन्हें एक अद्वितीय जननेता बना दिया। वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक विचार थे – ऐसी विचारधारा, जिसमें सत्ता नहीं, सेवा प्रमुख थी; जिसमें पद नहीं, कर्तव्य महत्वपूर्ण था।
उनकी अंतिम यात्रा रविवार सुबह 9:30 बजे उनके निवास स्थान 33-B अंबामाता (आईजी बंगले के सामने) से आरंभ हुई। इससे पहले भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें पार्टी का ध्वज ओढ़ाकर अंतिम सम्मान अर्पित किया। यह क्षण अत्यंत भावुक था – उस कर्मयोगी के प्रति पार्टी का कृतज्ञता-प्रदर्शन, जिसने संगठन को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया था। अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। सैंकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता, समर्थक, समाजसेवी और जनप्रतिनिधि उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। यात्रा रानी रोड स्थित मोक्षधाम पहुंची, जहां विधिपूर्वक उनका अंतिम संस्कार किया गया।
भाजपा कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने इस मौके पर कहा कि दलपत सुराणा का जाना केवल एक व्यक्ति की नहीं, एक मूल्य की, एक परंपरा की और एक प्रेरणा की विदाई है। उन्होंने जो राह दिखाई, वह आने वाली पीढ़ियों को सत्य, सेवा और संगठन की दिशा में चलने की प्रेरणा देती रहेगी।
दलपत सुराणा ने भाजपा संगठन को अपनी युवावस्था से ही मजबूत करने में जुटे रहे। वे एक जमीनी कार्यकर्ता की तरह पार्टी में सक्रिय रहे और फिर संगठनात्मक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए विधानसभा चुनाव तक लड़े। उन्होंने हमेशा जनसरोकारों को प्राथमिकता दी और राजनीति को जनसेवा का माध्यम माना। उनके नेतृत्व में संगठन को केवल राजनीतिक लाभ नहीं, वैचारिक गहराई भी मिली। वे उन नेताओं में से रहे, जो पार्टी से ऊपर विचारधारा को मानते थे और हर कार्य में अनुशासन, त्याग और समर्पण का भाव रखते थे।
सामाजिक जीवन में भी सुराणा की छवि अत्यंत सम्मानित रही। वे शिक्षा, स्वास्थ्य और जनकल्याण से जुड़ी गतिविधियों में सदैव सक्रिय रहे। हर वर्ग के व्यक्ति को सहज अपनत्व से जोड़ लेने की उनकी क्षमता ही उन्हें जनता के बीच प्रिय बनाती थी। उन्होंने अनेक सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास, चिकित्सा और युवा सशक्तिकरण से जुड़े कई कार्य किए, जो आज भी लोगों की स्मृतियों में जीवित हैं।
उनकी अंतिम यात्रा में भाजपा के कई प्रमुख नेता और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। शहर जिला अध्यक्ष गजपाल सिंह राठौड़, राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया, उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत, शहर विधायक ताराचंद जैन, ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा, पूर्व विधायक धर्म नारायण जोशी, त्रिलोक पूर्बिया, पूर्व जिला अध्यक्ष दिनेश भट्ट, मांगीलाल जोशी, वरिष्ठ नेता रवींद्र श्रीमाली, अनिल सिंघल, चंद्रगुप्त सिंह चौहान, कुंतीलाल जैन, पूर्व उप महापौर पारस सिंघवी, लोकेश द्विवेदी, भाजपा महामंत्री दीपक शर्मा, कोषाध्यक्ष रवि नाहर, पूर्व मंडल अध्यक्ष राजेश वैष्णव, देवीलाल सालवी, बलबीर सिंह दिगपाल, मंडल अध्यक्ष रणजीत सिंह दिगपाल, कमल कुमावत सहित बड़ी संख्या में भाजपा पदाधिकारी, कार्यकर्ता और आम नागरिक उपस्थित रहे। उद्योगपति व समाजसेवनी राहुल अग्रवाल भी उपस्थित थे।
दलपत सुराणा को श्रद्धांजलि देने के लिए कांग्रेस पार्टी से भी अनेक नेता पहुंचे। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष फतेह सिंह राठौड़, पूर्व जिला अध्यक्ष गोपाल शर्मा सहित अन्य नेताओं ने उनकी समाज सेवा और सौहार्दपूर्ण राजनीति की सराहना की। यह दुर्लभ दृश्य था जब दलगत सीमाएं टूटती दिखाई दीं और हर वर्ग ने सुराणा को श्रद्धा से विदाई दी।
हर आंख नम थी, हर दिल उनके लिए दुआ कर रहा था। दलपत सुराणा भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके सिद्धांत, उनका समर्पण, उनका कर्म और उनकी विचारशीलता सदैव हमारे बीच जीवित रहेगी। वे राजनीति में उस पीढ़ी के प्रतिनिधि थे, जो सत्ता नहीं, सेवा के लिए काम करती थी।
उनका जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो राजनीति को केवल चुनाव जीतने या पद पाने का माध्यम नहीं, बल्कि जनकल्याण की एक मिशन भावना मानते हैं। सुराणा ने यह सिखाया कि एक कार्यकर्ता, अगर निष्ठा से काम करे, तो वह संगठन की रीढ़ बन सकता है।
उनकी यादें केवल संगठन तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि समाज के प्रत्येक कोने में, हर वह व्यक्ति जो कभी उनसे मिला, उसकी स्मृति में वे सादगी, सहृदयता और सजगता के प्रतीक के रूप में बसे रहेंगे।
दलपत सुराणा को विनम्र श्रद्धांजलि।
ओम् शांति।








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