नई दिल्ली में नीति आयोग ने ‘ट्रेड वॉच क्वार्टरली’ का तीसरा संस्करण जारी किया

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अमेरिकी व्यापार नीतियों के बदलते स्वरूप और भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा पर केंद्रित है यह संस्करण

नई दिल्ली। नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने आज राजधानी में वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2024) के लिए ‘ट्रेड वॉच क्वार्टरली’ पुस्तिका के तीसरे संस्करण का विमोचन किया। यह प्रकाशन भारत के वस्तु और सेवा व्यापार का डेटा-समृद्ध, समयबद्ध और विश्लेषणात्मक अवलोकन प्रस्तुत करता है। इस संस्करण का विशेष फोकस अमेरिकी टैरिफ ढांचे में हालिया बदलावों और भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता पर उनके प्रभाव पर है।

डॉ. विरमानी ने इस मौके पर कहा,

“ट्रेड वॉच क्वार्टरली का यह नवीनतम संस्करण भारत की व्यापारिक गतिविधियों की जटिलताओं को गहराई से प्रस्तुत करता है और उभरती अमेरिकी व्यापार नीतियों के आलोक में भारत के लिए रणनीतिक अवसरों का खाका भी पेश करता है।”

तीसरी तिमाही: व्यापार की सतर्क गति, सेवा क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में भारत ने अस्थिर वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण के बीच संतुलित व्यापार प्रदर्शन किया।

वस्तु निर्यात में 3% वृद्धि दर्ज की गई, जो 108.7 बिलियन डॉलर पर पहुँचा।

आयात में 6.5% की वृद्धि के साथ यह 187.5 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया।

जबकि सेवा निर्यात में उल्लेखनीय 17% वृद्धि देखी गई, जिससे 52.3 बिलियन डॉलर का सेवा अधिशेष बना — इसने कुल व्यापार घाटे को काफी हद तक संतुलित किया।

रिपोर्ट बताती है कि भारत की निर्यात संरचना स्थिर रही है, और विमान, अंतरिक्ष यान और उनके पुर्जों जैसे उच्च तकनीकी उत्पादों ने 200% से अधिक की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि दर्ज की, जो उन्हें शीर्ष दस निर्यात क्षेत्रों में शामिल करता है।

भारत बना विश्व का पाँचवाँ सबसे बड़ा डिजिटल सेवा निर्यातक
एक और उल्लेखनीय उपलब्धि यह रही कि वर्ष 2024 में भारत ने 269 बिलियन डॉलर मूल्य की डिजिटली डिलीवर की गई सेवाओं (DDS) का निर्यात किया, जिससे वह विश्व का पाँचवाँ सबसे बड़ा डिजिटल सेवा निर्यातक बन गया। यह परिघटना भारत के तकनीकी कौशल, आईटी सेवाओं और डिजिटल बुनियादी ढाँचे की मजबूती को रेखांकित करती है।

अमेरिकी टैरिफ संरचना: भारत के लिए नया अवसर

इस संस्करण का थीमैटिक सेक्शन विशेष रूप से अमेरिका की बदलती टैरिफ नीतियों पर केंद्रित है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे भारत को, अपने प्रमुख प्रतिस्पर्धियों की तुलना में, अमेरिकी बाज़ार में टैरिफ लाभ प्राप्त हो रहा है — विशेषकर फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र और इलेक्ट्रिकल मशीनरी जैसे क्षेत्रों में।

“यह टैरिफ लाभ भारत को अमेरिकी बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का एक रणनीतिक अवसर प्रदान करता है,” रिपोर्ट में कहा गया है।

साथ ही यह भी रेखांकित किया गया है कि भारत को इन अवसरों का पूर्ण लाभ उठाने के लिए बेहतर नीति निर्माण, निर्यात रणनीति, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्गठन की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

डॉ. विरमानी की टिप्पणियाँ: भारत की रणनीतिक व्यापार यात्रा

विमोचन कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. विरमानी ने कहा कि यह प्रकाशन न केवल व्यापारिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण है, बल्कि यह भारत की नवोन्मेषी, प्रतिस्पर्धी और वैश्विक दृष्टिकोण से परिपक्व होती अर्थव्यवस्था की तस्वीर भी पेश करता है।

उन्होंने कहा, “भारत की उभरती व्यापारिक भागीदारी, रणनीतिक नवाचार और अमेरिका जैसे बाज़ारों में मज़बूत होती उपस्थिति, देश को वैश्विक व्यापार में अग्रणी भूमिका निभाने की दिशा में आगे ले जा रही है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह रिपोर्ट नीति-निर्माताओं, उद्योगों और शिक्षाविदों के लिए एक मूल्यवान संसाधन के रूप में कार्य करेगी, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक व्यापार भू-राजनीतिक बदलावों, तकनीकी नवाचारों और नीति-अनिश्चितताओं से गुजर रहा है।

महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष व सिफारिशें:

अमेरिका की नई टैरिफ संरचनाएं भारत के लिए टैरिफ मार्जिन बढ़ाने का अवसर प्रदान कर रही हैं। सेवा क्षेत्र में भारत का प्रभुत्व बढ़ रहा है, जिससे व्यापार घाटा कम करने में सहायता मिल रही है। डिजिटल सेवाओं में भारत का वर्चस्व आने वाले समय में और अधिक रणनीतिक महत्व प्राप्त करेगा।

रिपोर्ट यह भी रेखांकित करती है कि नीतिगत स्पष्टता, बाजार विविधता, और लॉजिस्टिक्स सुधार के ज़रिए भारत वैश्विक व्यापार में और तेज़ी से अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकता है।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए एक दृष्टिकोण

‘ट्रेड वॉच क्वार्टरली’ का यह तीसरा संस्करण भारत की व्यापार नीतियों, वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता और रणनीतिक दिशा को समझने के लिए एक आवश्यक दस्तावेज़ है। नीति आयोग का यह प्रयास न केवल वर्तमान व्यापारिक परिदृश्य का चित्रण करता है, बल्कि भविष्य की दिशा को भी इंगित करता है — जहाँ भारत न केवल एक भागीदार है, बल्कि एक लीडर बनने की ओर अग्रसर है।

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