
— छत्रपति संभाजीनगर में भावनात्मक और ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना महाराष्ट्र
मुंबई। जहां कहीं प्रताप की गूंज होती है, वहां भारत की आत्मा बोल उठती है।
ऐसा ही एक अनमोल पल शुक्रवार को महाराष्ट्र की भूमि पर घटित हुआ, जब मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के वंशज डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने महाराणा प्रताप की अश्वारूढ़ प्रतिमा का अनावरण किया।
यह कोई साधारण अनावरण नहीं था — यह एक परंपरा की पुनः प्रतिष्ठा, एक इतिहास के पुनः स्मरण और एक वीरता की पुनः उद्घोषणा थी। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर के कनॉट प्लेस गार्डन में जब प्रतिमा के ऊपर से परदा हटा, तो उपस्थित जनसमुदाय के हृदयों में गौरव, श्रद्धा और देशभक्ति की लहर दौड़ गई।
इस ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनीं देश की शीर्ष हस्तियाँ — महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजित पवार, और अन्य कई जनप्रतिनिधि — सभी ने सिर नवाकर प्रताप की प्रतिमा को नमन किया।
सभा को संबोधित करते हुए डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने कहा : “महाराणा प्रताप केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज नाम नहीं, वो एक जीवंत विचार हैं, एक ऐसा संकल्प हैं जो आने वाली पीढ़ियों में राष्ट्रभक्ति के स्थायी भाव भरते हैं।”
उन्होंने इस आयोजन के लिए महाराष्ट्रवासियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप के प्रति यहां की जनता की श्रद्धा और प्रेम देखकर उन्हें अपार गर्व और आत्मीयता की अनुभूति हुई।
यह केवल प्रतिमा नहीं, मर्यादा, मातृभूमि प्रेम और स्वाभिमान की एक मूर्त अभिव्यक्ति है।
समिति के अध्यक्ष कवरसिंह, उपाध्यक्ष जगत सिंह सहित राज्य के कई मंत्री, विधायक, सांसदों की उपस्थिति ने इस समारोह को एक ऐतिहासिक महाकाव्य की भांति गरिमा प्रदान की।
इस आयोजन ने सिद्ध कर दिया कि प्रताप केवल मेवाड़ के नहीं, भारतवर्ष के गौरव हैं — और उनका संदेश सीमाओं से परे, पीढ़ियों से परे, भारत की चेतना में अमर है।
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