आदरणीय राजस्थान वासियों,
आप सभी को बहुत बहुत बधाई । देश के संविधान ने एक बार फिर आपको 25 नवम्बर 23 तक के लीये राजस्थान का मालिक बना दिया है।
याद करो, जब आप अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए चुने हुए जन सेवक के घर जाते थे, तो उनका कुत्ता या सरकारी गनमैन ही आपको दरवाजे के बाहर से टरका देता था, फिर भी अगर आपको उनसे मिलना ही है, तो आपको उनकी गैंग के किसी सदस्य से संपर्क करना पड़ता था ।
हमारे संविधान के कारण, अब बहुत शीघ्र ही वह जन सेवक ओर उनकी गैंग के सदस्य चुनाव के द्वारा ” सेवा का पट्टा” रिनुअल कराने के लीये बेशर्म याचक बनकर आपकी चौखट पर हाथ जोड़ कर खड़े रहेंगे।
वास्तव में हमारे देश का संविधान महान है, और मैं इस लोकतांत्रिक देश के संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि को नमन करता हूँ, जिन्होंने देश की जनता को ही इस देश का मालिक बनाया है ओर चुनिन्दा जन प्रतिनिधियो को जनता का सेवक बनाया है, साथ ही हमारे संविधान में किसी विशेष धर्म या जाति को नही बल्कि सर्व धर्म को सम्मान दिया है, ओर तो ओर देश मे अमीर – गरीब, शहर – गांव, ऊँच- नीच, पढ़े लिखे और अनपढ़ सभी को बराबर के अधिकार दिए है। लेकिन दुर्भाग्य है, आज हमारे देश में लोकतंत्र के रक्षक ओर संविधान के पुजारी माने जाने वाले चुनिन्दा जन सेवक ही हमारे संविधान की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे है, देश में जाती, धर्म और मजहब के नाम की दीवारें चुन रहे है, भाई को भाई से लड़वा रहे है, गरीब ओर अमीर के बीच खाई खोद रहे है, सेवा के नाम पर जनता का शोषण कर रहे है, आपके पैसों पर मजे कर रहे है और अपने घर की तिजोरियां भर रहे है ।
सोचो, अगर आपका सेवक ही आपके साथ विश्वासघात करके मालिक बन गया है और आपको सेवक बना दिया है तो इसका जिम्मेदार कौन है, क्या कोई नेता है, कोई अफसर है या भगवान है, जी नहीं आप स्वयं इसके जिम्मेदार हैं क्योंकि आपने पहले तो वोट देकर इसे सेवक बनाया ओर फिर अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लालच में इसे मालिक बना कर सिर पर बिठाया और आज जब आपके इस सेवक को आपकी कमजोरियों का पता चल गया है कि आप जाती और धर्म के नाम पर वोट देते हो, गरीबी के नाम पर वोट देते हो, कर्ज माफी ओर मुफ्त की रेवड़ी के नाम पर वोट देते हो या आप अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लीये कुछ भी कर सकते हो, तो अब आप ही बताओ वह सेवक संविधान की पालना क्यो करेगा, जब आप ही उसे संविधान के विपरीत काम करने के लीये प्रोत्साहित कर रहे हो तो वो विकास के काम क्यो करेगा या आपकी सेवा और सम्मान क्यो करेगा ।
इन जन सेवकों को आपने औऱ हमने बिगाड़ा है ओर आप यह अच्छी तरह से जानते हो कि सेवा करने का संवैधानिक पट्टा लेने के लिए यह आपस मे क्यो लड़ रहे हैं? इस पट्टे से इन्हें ऐसा क्या लाभ है कि यह पैसा भी लुटा रहे है ?
जागो देश के मालिकों जागो, अपने लिए नहीं भी जागो तो कम से कम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लीये जागो, संविधान ने आपको मालिक बनाया है, मालिक बनो, न कि अपने छोटे मोटे स्वार्थो की पूर्ति के लीये गुलाम बनो ओर देश को भी कमजोर करो ।
याद रखो, संविधान के विरुद्ध ज्यादा लंबे समय तक कोई भी नही चल पाया है और न ही चल पायेगा, कहते है काठ की हांडी एक बार चढ़ती है, दो बार चढ़ती है लेकिन बार बार नही चढ़ती । वैसे कोई भी चुन कर आये, आपको तो मेहनत करनी ही पड़ेगी तो काहे को इन नेताओं की हथेली में चांद देखते हो ।
अरे महाभारत में हनुमान जी को अपनी शक्तियों का पता नही था कि वह हवा में उड़ भी सकते है तो उन्हें भालुओ के राजा जाम्बवान ने याद दिलाया था तब हनुमान जी समुद्र को एक ही छलांग में पर कर लिया था, आज आपको भी अपनी शक्तियों की ताकत का अहसास नही है इसलिये मेरा निवेदन है कि एक बार आप हमारे देश के संविधान को पढ़ो ओर अपनी शक्तियों को पहचानो ।
अपने वोट की कीमत को समझो, यह वोट आपकी बेटी है, जिस प्रकार आप अपनी बेटी का हाथ किसी को देने से पहले सो बातों का विचार करते हो उसी प्रकार वोट को देने से पहले भी विचार करो।
आप अपना वोट किसी व्यक्ति की जाती ओर धर्म को मत दो, न ही उसके पद, पैसे और प्रतिष्ठा को दो और न ही उसकी गैंग (पार्टी) के नाम पर, न ही परिवार के नाम पर ओर न ही किसी के भी कहने पर वोट दो।
वैसे भी हमारे यहाँ पर एक कहावत है कि मोटे घरे बेटी दी दी अन मलवाऊ साँ साँ पड़िया , यानी कि आप अपनी बेटी( वोट) को इतने बड़े व्यक्ति या घर में भी मत दो कि आपको उससे मिलने के लीये भी विचार करना पड़े।
अतः आप अपना वोट अपने स्वयं की बुद्धि और विवेक से दो, व्यक्ति के आचरण और व्यवहार को वोट दो, उसकी काबलियत को वोट दो, उसके सेवा भाव को वोट दो।
इसी में आपका भला है, आपकी बेटी (वोट) का भला है, देश का भला है ओर हमारी आने वाली पीढ़ियों का भला है।
हबीब की रिपोर्ट का एक पाठक
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