जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने गुरुवार को भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। इस कार्रवाई में एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर के न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख (एचओडी) और अतिरिक्त प्रिंसिपल डॉ. मनीष अग्रवाल को ₹1 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई एसीबी मुख्यालय के निर्देश पर स्पेशल इंवेस्टिगेशन यूनिट (SIU), जयपुर की टीम ने की।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस स्मिता श्रीवास्तव ने बताया कि एसीबी को शिकायत मिली थी कि एक सप्लायर, जो न्यूरो सर्जरी में प्रयुक्त होने वाले ‘ब्रेन कॉइल’ की आपूर्ति करता है, उसे अपने बिलों पर काउंटर सिग्नेचर करवाने के लिए डॉ. मनीष अग्रवाल द्वारा रिश्वत देने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
शिकायतकर्ता के अनुसार, बिना भुगतान मंज़ूर किए डॉ. अग्रवाल बार-बार धनराशि की मांग कर रहे थे।
शिकायत की सत्यता परखने के लिए एसीबी जयपुर रेंज के उपमहानिरीक्षक अनिल कयाल की निगरानी में एक गुप्त सत्यापन प्रक्रिया चलाई गई। शिकायत सत्य पाई जाने पर टीम ने ट्रैप कार्रवाई की योजना बनाई।
ट्रैप ऑपरेशन के दौरान, डॉ. मनीष अग्रवाल को परिवादी से ₹1 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया। एसीबी अधिकारियों के अनुसार, यह रकम उसी बिल से जुड़ी थी जिसके लिए डॉक्टर ने काउंटर सिग्नेचर करने की मांग की थी।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने बताया कि आरोपी डॉक्टर से पूछताछ जारी है, और उससे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या यह रिश्वतखोरी का व्यवस्थित पैटर्न था या कोई व्यक्तिगत मामला। प्राथमिक जांच के बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर अग्रिम अनुसंधान शुरू किया गया है।
ACB की सख्त निगरानी में सरकारी संस्थान
हाल के वर्षों में एसीबी ने राजस्थान में कई सरकारी चिकित्सालयों, शैक्षणिक संस्थानों और विभागीय कार्यालयों में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई तेज़ की है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज राज्य का सबसे बड़ा चिकित्सा संस्थान माना जाता है, और वहां के एक वरिष्ठ अधिकारी का इस तरह पकड़ा जाना न केवल प्रशासनिक ढांचे की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में नैतिक आचरण के मानकों पर भी गहरी चोट करता है।
एसीबी की एडीजी स्मिता श्रीवास्तव ने कहा — “भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में दोषी चाहे कितना भी बड़ा अधिकारी क्यों न हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एसीबी निरंतर कार्रवाई कर रही है।”
उन्होंने बताया कि रिश्वत लेने के इस मामले में फॉरेंसिक जांच, रिकॉर्ड सत्यापन और डिजिटल सबूतों का संकलन किया जा रहा है। इसके साथ ही डॉ. अग्रवाल के कार्यालय और आवास पर तलाशी की भी संभावना जताई जा रही है।
डॉ. मनीष अग्रवाल की गिरफ्तारी की खबर फैलते ही एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन में हड़कंप मच गया। कई फैकल्टी मेंबर्स और कर्मचारियों को एसीबी ने प्रारंभिक पूछताछ के लिए बुलाया है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इस प्रकार की रिश्वत प्रणाली पहले से प्रचलित थी या नहीं।
कॉलेज प्रशासन ने फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि डॉ. अग्रवाल को निलंबित करने की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है।
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