नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव का सियासी दंगल खत्म हो चुका है। 70 सीटों पर हुए मतदान के बाद अब नजरें 8 फरवरी को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं। लेकिन उससे पहले एग्जिट पोल ने दिल्ली की सियासत में गर्मी बढ़ा दी है।
तमाम एग्जिट पोल के आंकड़ों में जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ी बढ़त मिलती नजर आ रही है, वहीं कुछ पोल में आम आदमी पार्टी (आप) के लिए वापसी की उम्मीदें जताई जा रही हैं। कांग्रेस का प्रदर्शन इन अनुमानों में एक बार फिर निराशाजनक रहा है।
कौन है आगे?
सभी एग्जिट पोल में भाजपा की बढ़त दिख रही है। हालांकि, आम आदमी पार्टी को भी 2015 के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन के बावजूद दूसरा स्थान मिलता दिख रहा है। कांग्रेस का सियासी वजूद इस बार भी लगभग न के बराबर नजर आ रहा है।
दिल्ली का सियासी समीकरण :
बहुमत के लिए 36 सीटें चाहिए। पिछले चुनाव में ‘आप’ ने 67 सीटें जीतकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था, जबकि भाजपा को मात्र 3 सीटों से संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस के हाथ तो कुछ भी नहीं आया था। लेकिन इस बार भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं ‘आप’ ने अपने विकास मॉडल को मुख्य एजेंडा बनाया है।
महिलाओं की भूमिका :
दिल्ली चुनाव में 96 महिला उम्मीदवारों ने भाग लिया, जो पिछले चुनाव से थोड़ी बढ़ोतरी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि महिलाओं का राजनीतिक प्रदर्शन कितना प्रभावी रहता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एग्जिट पोल अक्सर वास्तविक नतीजों से भिन्न होते हैं। ऐसे में 8 फरवरी का दिन ही यह तय करेगा कि दिल्ली की सत्ता की चाबी भाजपा के हाथ में जाएगी या ‘आप’ एक बार फिर अपने मजबूत गढ़ को बचा पाएगी।
चुनाव परिणाम की प्रतीक्षा :
एग्जिट पोल के इन अनुमानों के बीच राजनीतिक दल अपने-अपने आंकलन कर रहे हैं। लेकिन 8 फरवरी के नतीजे ही यह तय करेंगे कि दिल्ली के तख्त पर कौन सा दल बैठेगा।
नतीजों के साथ सियासी गणित की ये तस्वीर और साफ हो जाएगी। तब तक, दिल्ली की जनता और राजनीतिक दल सबकी धड़कनें तेज हैं।
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