आवाज़ जो रूह बन गई : नुसरत फ़तह अली ख़ान की कहानी
कुछ आवाज़ें सिर्फ़ कानों को नहीं छूतीं, बल्कि रूह तक पहुँचती हैं। ऐसी ही एक
कुछ आवाज़ें सिर्फ़ कानों को नहीं छूतीं, बल्कि रूह तक पहुँचती हैं। ऐसी ही एक
उदयपुर। शहर के ब्रह्मपोल बाहर वाक़े (स्थित) दरगाह हज़रत इमरत रसूल शाह बाबा के तीन