जश्न-ए-मस्तान बाबा का 27वां उर्स मुबारक : सूफ़ियाना कलामों से गूंज उठी वादी-ए-मस्तान

उदयपुर। वादी-ए-मस्तान, मुल्लातलाई में सय्यद ख़्वाजा मुहम्मद अब्दुर्रऊफ़ उर्फ़ मस्तान बाबा के 27वें उर्स मुबारक के दूसरे दिन का इज़्तिमा बड़े रुहानी माहौल में हुआ। मस्तान बाबा दरगाह ट्रस्ट के नुमाइंदे अनीस इक़बाल के मुताबिक़, 01/09/2024 को इस मुबारक मौक़े पर दोनों औक़ात में ज़ाइरीन के लिए मुनासिब लंगर का बंदोबस्त किया गया था।

नमाज़-ए-इशा के बाद मुल्क के मशहूर क़व्वाल क़ौनेन वारसी ब्रदर्स ने जश्न-ए-मस्तान में अपनी सूफ़ियाना शायरी से ज़ाइरीन के दिलों को मोतरिब कर दिया। उन्होंने मस्तान बाबा की शान में अपना मशहूर कलाम “आज है नूर की बरसात हुसैन आए हैं” और “दामन-ए-तलब फैलाकर है या मस्तान पुकारा करते हैं” जैसे नग़मे पेश किए। इसी के साथ क़व्वाल महबूब साबरी, रामपुर (यू.पी.) ने अपना मशहूर कलाम “नज़र में जलवे समा रहे हैं, वो रुख़ से पर्दा उठा रहे हैं” पढ़ा और महफ़िल को और भी रुहानी बना दिया।

इस मुबारक मौक़े पर देर रात तक सूफ़ियाना कलामों का लुत्फ़ उठाने के लिए मुल्क और सूबे से हज़ारों की तादाद में ज़ाइरीन ने हाज़िरी दी। इसके इलावा, दरगाह के चीफ़ ट्रस्टी और साबिक़ वज़ीर-ए-मरकज़ी जनाब सीएम इब्राहीम साहब ने तमाम ट्रस्ट अरकान के साथ एक अहम मीटिंग रखी, जिसमें ज़ाइरीन के लिए बेहतरीन इंतिज़ामात करने की हिदायत दी गई।

उर्स के इस मुबारक मौक़े पर वादी-ए-मस्तान में सूफ़ी रंग और इश्क़-ओ-शोक़ का बेनज़ीर मंज़र देखने को मिला।

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