नई दिल्ली। भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में पहली बार, सात भारतीय शहरों के लिए नेट-जीरो क्लाइमेट रेज़िलिएंट सिटी एक्शन प्लान (CRCAP) 2070 को एक साथ लॉन्च किया गया है। इस महत्वपूर्ण पहल में अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा, कोयंबटूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुनेलवेली, उदयपुर और सिलीगुड़ी जैसे शहर शामिल हैं। यह पहल भारत के 2070 तक नेट-जीरो ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में COP26 सम्मेलन, ग्लासगो में प्रस्तुत किया था।
कार्यशाला का आयोजन और महत्वपूर्ण उपस्थिति:
18 और 19 सितंबर 2024 को आयोजित इस ‘राष्ट्र स्तरीय बहु-स्तरीय कार्यशाला’ में विभिन्न मंत्रालयों, शहरों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के शीर्ष अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यशाला की अध्यक्षता माननीय राज्य मंत्री, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय, श्री तोखन साहू ने की, जिन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “2024 की अत्यधिक गर्मी, हाल की भारी बारिश और ठंडे मौसम की घटनाएं जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को दर्शाती हैं। इन प्रभावों से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले लोग बुजुर्ग, बच्चे और गरीब होते हैं। इसलिए, यह बेहद जरूरी है कि हम जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए इन योजनाओं पर गंभीरता से अमल करें।”
कार्यक्रम में अन्य प्रमुख व्यक्तित्वों में श्री राहुल कपूर, संयुक्त सचिव, MoHUA और मिशन निदेशक, स्मार्ट सिटीज़ मिशन, फिलिप सास, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रमुख और काउंसलर, स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन (SDC), डॉ. देबोलिना कुंडू, निदेशक, राष्ट्रीय शहरी मामलों के संस्थान (NIUA), और एमानी कुमार, कार्यकारी निदेशक, इकली साउथ एशिया शामिल थे। इस कार्यशाला में 30 से अधिक भारतीय शहरों के 150 से अधिक सरकारी अधिकारी और शहरी विशेषज्ञों ने भाग लिया।
उदयपुर के लिए विशेष योजनाएं और निष्कर्ष :
उदयपुर नगर निगम ने स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन द्वारा समर्थित कपैसिटीज़ परियोजना के तहत, इस महत्वाकांक्षी एक्शन प्लान को विकसित किया है। इस प्लान का मुख्य उद्देश्य 2070 तक शहर के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को शून्य करना और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए शहर को तैयार करना है।
मुख्य निष्कर्षों के अनुसार, पिछले शताब्दी में उदयपुर में औसत वार्षिक तापमान में 0.60°C की वृद्धि दर्ज की गई है। साथ ही, 1901 से 2016 के बीच शहर में वार्षिक वर्षा में भी गिरावट आई है। भविष्य के जलवायु अनुमानों के अनुसार, 2050 तक उदयपुर में कुल वर्षा में 6-10% की वृद्धि होने की संभावना है, जबकि मानसूनी वर्षा में 40-60 मिमी की वृद्धि का अनुमान है। अत्यधिक बारिश की घटनाएं और अतिविषम मौसम की घटनाएं भी बढ़ने की संभावना है, जिससे शहरी बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ सकता है।
शहर का भौगोलिक ढांचा भी इसे शहरी बाढ़ के प्रति संवेदनशील बनाता है। आयड़ नदी और शहर के मध्य क्षेत्रों के पास स्थित स्थानों में जलभराव की घटनाएं प्रमुख होती हैं। अध्ययन के अनुसार, शहरी बाढ़ से उदयपुर का लगभग 13% क्षेत्र प्रभावित होता है, जो कुल जनसंख्या का 17% है।
उदयपुर में सतही तापमान के बढ़ते प्रभाव का भी विश्लेषण किया गया, जिसमें पाया गया कि 2021 में लगभग 64% जनसंख्या, यानी 3,56,016 लोग, 37°C से अधिक भूमि सतह तापमान (LST) वाले क्षेत्रों में रहते हैं। औद्योगिक क्षेत्रों, शैक्षणिक संस्थानों, परिवहन केंद्रों, और हिलॉक पर स्थित रेजिडेंशियल क्षेत्रों में अक्सर तापमान 42°C से 43°C तक पहुंच जाता है।
नेट-जीरो प्लान की विशेषताएं और आर्थिक निवेश:
नेट-जीरो क्लाइमेट रेज़िलिएंट सिटी एक्शन प्लान 2070 में कुल 47 रणनीतियाँ और 137 एक्शन प्लान शामिल हैं, जिनका क्रियान्वयन शहर के विभिन्न शहरी क्षेत्रों में किया जाएगा। इनमें प्रमुख क्षेत्र हैं – बिल्ट एनवायरनमेंट और ऊर्जा, परिवहन, जल प्रबंधन, अपशिष्ट जल प्रबंधन, तूफानी पानी का प्रबंधन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, शहरी हरियाली और जैव विविधता, और वायु गुणवत्ता।
यह योजना राज्य और राष्ट्रीय सरकारों के विभिन्न नीतिगत और वित्तीय समर्थन के साथ ही संभव हो सकेगी। अनुमान है कि 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगभग ₹1,21,000 मिलियन की वित्तीय निवेश की आवश्यकता होगी।
कार्यक्रम में उदयपुर का प्रतिनिधित्व :
लॉन्च कार्यक्रम में उदयपुर नगर निगम से अधीक्षण अभियंता श्री मुकेश पुजारी, भूपेन्द्र सलोदिया, अखिल गोयल और करनेश माथुर ने भाग लिया। राजस्थान सरकार के स्थानीय निकाय निदेशालय के चीफ इंजीनियर श्री अरुण व्यास ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और राजस्थान तथा उदयपुर का प्रतिनिधित्व किया।
वक्ताओं के विचार :
श्री राहुल कपूर, आईएएस, संयुक्त सचिव, MoHUA ने कहा, “बढ़ती जलवायु घटनाओं के साथ, शहरों को स्थिरता के लिए योजना बनानी चाहिए, जलवायु वित्त को मजबूत करना चाहिए, ग्रीन नौकरियों को प्रोत्साहित करना चाहिए, और हस्तक्षेपों का विस्तार करना चाहिए।”
श्री फिलिप सास, स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन के प्रमुख ने कहा, “स्विट्जरलैंड की दीर्घकालिक योजना और नवाचार आधारित विकास रणनीतियाँ भारत के शहरी जलवायु अनुकूलन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।”
श्री इमानी कुमार, कार्यकारी निदेशक, इकली साउथ एशिया ने कहा, “भारत ने शहरी जलवायु कार्रवाई में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। यह कदम भारत को एशिया में जलवायु-स्थिरता के मामले में नेतृत्व प्रदान करेगा।”
भूपेन्द्र सलोदिया, मैनेजर इकली साउथ एशिया ने बताया कि “इस एक्शन प्लान का मुख्य उद्देश्य उदयपुर को जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के लिए तैयार करना है, ताकि म्यूनिसिपल सर्विसेज़ जैसे पानी, बिजली, ठोस कचरा प्रबंधन, सिवेज, बारिश के पानी का निकास, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बिल्डिंग एनर्जी कंजर्वेशन, और ग्रीनरी के क्षेत्र में सुधार किया जा सके। उदयपुर शहर इस योजना के तहत अपनी जलवायु अनुकूलन क्षमता को बढ़ाएगा और एक हरित और स्थायी भविष्य की ओर अग्रसर होगा।
यह पहल न केवल उदयपुर, बल्कि पूरे भारत के शहरी क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश के रूप में उभर रही है, जिससे भारतीय शहरों की जलवायु परिवर्तन से निपटने की क्षमता और भी मजबूत होगी। साथ हि यह एक्शन प्लान राजस्थान एवं अन्य भारतीय शहरों के लिए मॉडल एक्शन प्लान की तरह कार्य करेगा।“
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