लेकसिटी में पीने का साफ पानी भी न मिले तो क्या स्मार्ट सिटी का तमगा सिर्फ़ दिखावा है?

उदयपुर। लेकसिटी, जिसकी पहचान उसकी झीलों से है, वहां के बाशिंदों को पीने का साफ़ पानी तक न मिले, यह शर्मनाक है। आखिर कहां छिपे बैठे हैं वे जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि, जिन पर इस सुविधा को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी थी? उनकी कोई जवाबदेही भी है? स्थानीय निवासी एडवोकेट विजय दाधीच ने बताया कि इस तस्वीर में जो मटमेला पानी दिखाई दे रहा है, माली कॉलानी व आसपास इसी तरह का पानी सप्लाई हो रहा है। यह एक कॉलोनी की तस्वीर है, कई इलाकों में पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है।

सवाल ये है कि जब शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, तो क्या यह धन सिर्फ़ कागजों में बह रहा है? सड़कों पर जली हुई स्ट्रीट लाइट्स और आधे-अधूरे विकास कार्यों की तरह, लोगों को साफ़ पानी का हक़ भी बेमानी हो चुका है। क्या इसी स्मार्ट सिटी का सपना दिखाकर जनता को ठगा जा रहा है? ये वही जनता है, जिसे हर चुनाव में वादों का झुनझुना थमाकर भुला दिया जाता है।

यह सब उस समय हो रहा है जब देश के प्रधानमंत्री ‘हर घर जल’ पहुंचाने का दावा कर रहे हैं। राजस्थान में भी उन्हीं की पार्टी की सरकार है, तो फिर इस शहर के लोग क्यों इस बुनियादी जरूरत से वंचित हैं? क्या ये योजनाएं सिर्फ टीवी विज्ञापनों और सरकारी फाइलों में ही दम भर रही हैं?

यह पानी की कमी नहीं है, बल्कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी है। लोगों को पीने के पानी की ज़रूरत पर सवाल उठाना उनकी जायज मांग है। जवाब मांगा जाना चाहिए—क्योंकि जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, ये शहर सिर्फ़ झीलों और स्मारकों का सुंदर भ्रम बनकर रह जाएगा।

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