नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक और कड़ा कदम उठाते हुए ऑनलाइन राइड हेलिंग प्लेटफ़ॉर्म रैपिडो (Roppen Transportation Services Pvt. Ltd.) पर ₹10 लाख का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई कंपनी के भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार प्रथाओं को लेकर की गई है। सीसीपीए ने साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि रैपिडो उन सभी उपभोक्ताओं को बिना किसी देरी या शर्त के मुआवज़ा लौटाए, जिन्हें “5 मिनट में ऑटो या ₹50” स्कीम के तहत वायदे के बावजूद लाभ नहीं मिला।
विज्ञापन का सच : गारंटी या छलावा?
रैपिडो ने देशभर में बड़े पैमाने पर “5 मिनट में ऑटो या ₹50 पाएं” और “गारंटीड ऑटो” जैसे विज्ञापनों का प्रचार किया। विज्ञापन देखने वाले उपभोक्ताओं को यह भरोसा दिलाया गया कि यदि उन्हें 5 मिनट के भीतर ऑटो उपलब्ध नहीं होगा तो उन्हें अनिवार्य रूप से ₹50 का मुआवज़ा मिलेगा।
लेकिन सीसीपीए की विस्तृत जांच में सामने आया कि—वास्तविक रूप से यह ₹50 नकद में नहीं बल्कि “रैपिडो कॉइन्स” के रूप में दिया जाता था। इन कॉइन्स का उपयोग केवल रैपिडो बाइक राइड्स में किया जा सकता था।
इनकी वैधता सिर्फ़ 7 दिनों की होती थी।
साथ ही यह “₹50 तक” ही होता था, यानी उपभोक्ताओं को हमेशा पूरे ₹50 का लाभ नहीं मिलता था। स्पष्ट है कि ऑफर के पीछे छिपी इन शर्तों ने वादे को पूरी तरह बदल दिया और उपभोक्ताओं को गुमराह किया।
नियम और शर्तें: अपठनीय और भ्रामक
जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि रैपिडो ने विज्ञापनों में नियम व शर्तों (Terms & Conditions) को इतने छोटे और अपठनीय फ़ॉन्ट में छापा कि वे उपभोक्ताओं की नज़र में नहीं आ सकते थे। इसके अलावा, विज्ञापन में दावा किया गया कि गारंटी कंपनी नहीं बल्कि व्यक्तिगत कैप्टन (ड्राइवर) की तरफ़ से है। इससे कंपनी ने अपने ऊपर से ज़िम्मेदारी हटाने की कोशिश की और उपभोक्ताओं को भ्रमित किया।
शिकायतों का अंबार: आँकड़े बयां कर रहे हैं कहानी
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) के आँकड़े इस मामले की गंभीरता को और स्पष्ट करते हैं।
अप्रैल 2023 से मई 2024 के बीच रैपिडो के खिलाफ 575 शिकायतें दर्ज हुईं।
जून 2024 से जुलाई 2025 के बीच शिकायतों की संख्या बढ़कर 1,224 तक पहुँच गई।
इन शिकायतों में ज़्यादातर उपभोक्ता—वादे के मुताबिक मुआवज़ा न मिलने, रिफंड न मिलने, अधिक शुल्क वसूलने, गारंटीड “5 मिनट” सेवा न मिलने, और वादा की गई सेवा में कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहे थे।
शिकायतों में लगातार बढ़ोतरी ने यह साफ़ कर दिया कि यह समस्या किसी एक-दो उपभोक्ता तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह एक व्यापक पैटर्न बन चुकी थी।
सीसीपीए की कानूनी कार्रवाई
सीसीपीए ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 10, 20 और 21 के तहत यह कार्रवाई की।
धारा 10 : सीसीपीए को उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और प्रवर्तन का अधिकार देती है।
धारा 20 : अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने का अधिकार।
धारा 21 : भ्रामक विज्ञापनों और समर्थन (endorsement) से जुड़े मामलों में जुर्माना लगाने का अधिकार।
इन्हीं प्रावधानों के तहत सीसीपीए ने रैपिडो पर ₹10 लाख का जुर्माना लगाया और कंपनी को उपभोक्ताओं को मुआवज़ा लौटाने का निर्देश दिया।
विज्ञापन दिशा-निर्देश और उल्लंघन
भ्रामक विज्ञापन और समर्थन रोकथाम दिशा-निर्देश, 2022 के अनुसार विज्ञापनों में किया गया अस्वीकरण मुख्य दावे का खंडन नहीं कर सकता। महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाया नहीं जा सकता। उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
लेकिन रैपिडो के विज्ञापन में : ‘गारंटीड ऑटो’ और ‘5 मिनट में ऑटो या ₹50 पाएं’ जैसे शब्दों से उपभोक्ताओं को झूठा भरोसा दिलाया गया। लाभ “₹50 तक” और केवल कॉइन्स तक सीमित कर दिया गया।
नियम व शर्तें अपठनीय रखी गईं।
इस तरह विज्ञापन न सिर्फ़ भ्रामक थे बल्कि उपभोक्ताओं के प्रति अनुचित व्यापार व्यवहार का उदाहरण भी बने।
उपभोक्ता संरक्षण की ज़रूरत और प्रभाव
सीसीपीए ने बताया कि रैपिडो ने 120 से अधिक शहरों में लगभग डेढ़ साल (548 दिन) तक इन भ्रामक विज्ञापनों का प्रचार किया। विज्ञापन कई क्षेत्रीय भाषाओं में प्रसारित किए गए, जिससे इनका प्रभाव लाखों उपभोक्ताओं तक पहुँचा।
ऐसे में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई करना आवश्यक हो गया। यह कदम न सिर्फ़ रैपिडो बल्कि अन्य कंपनियों के लिए भी एक सख्त संदेश है कि भ्रामक विज्ञापन कर उपभोक्ताओं को गुमराह करने की इजाज़त अब नहीं दी जाएगी।
उपभोक्ताओं के लिए सीसीपीए का संदेश
सीसीपीए ने उपभोक्ताओं को सतर्क रहने की सलाह दी है। उपभोक्ताओं से कहा गया है कि—ऐसे विज्ञापनों से सावधान रहें जो “गारंटीड” या “आश्वासन” जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं, लेकिन शर्तों को स्पष्ट नहीं बताते।
अगर किसी उपभोक्ता को भ्रामक विज्ञापन या अनुचित व्यापार प्रथाओं से परेशानी हो तो वे तुरंत शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
शिकायत करने के तरीके :
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (1915) पर कॉल करें।
एनसीएच ऐप या वेबसाइट के माध्यम से शिकायत दर्ज करें।
निष्कर्ष: उपभोक्ता अधिकारों की जीत
यह मामला भारतीय उपभोक्ता संरक्षण व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। रैपिडो पर कार्रवाई से यह संदेश स्पष्ट है कि बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी अगर भ्रामक वादों के जरिए उपभोक्ताओं को गुमराह करेंगी तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
सीसीपीए की यह सख्ती न केवल उपभोक्ताओं के हित में है बल्कि यह आने वाले समय में विज्ञापन उद्योग के लिए भी नए मानक स्थापित करेगी।
स्रोत : पीआईबी
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