उदयपुर : राजस्थान विद्यापीठ का 89वां स्थापना दिवस, पंडित जनार्दन राय नागर की प्रतिमा का अनावरण

उदयपुर। उदयपुर स्थित राजस्थान विद्यापीठ का 89वां स्थापना दिवस गुरुवार को धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर श्रमजीवी महाविद्यालय परिसर में संस्था के संस्थापक पंडित जनार्दन राय नागर, जिन्हें प्यार से ‘जनुभाई’ कहा जाता है, की प्रतिमा का लोकार्पण किया गया।

जनुभाई के सपनों को साकार करने का संकल्प

इस समारोह में कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर, कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, पीठ स्थविर कौशल नागदा और उनके परिवार के सदस्यों ने जनुभाई की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। पंडित लोकेश पालीवाल के नेतृत्व में 11 पंडितों ने मंत्रोच्चार के साथ प्रतिमा का अनावरण किया।

जनुभाई की दूरदृष्टि: कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने अपने संबोधन में कहा कि जनुभाई ने अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को शिक्षित करने का सपना देखा था। 1937 में जो पौधा उन्होंने लगाया था, वह आज एक विशाल वटवृक्ष बन गया है। उन्होंने कहा कि आज इस वटवृक्ष की देखभाल और उन्नति की जिम्मेदारी विद्यापीठ के सभी कार्यकर्ताओं की है।

शिक्षा का उद्देश्य : प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि जनुभाई ने साक्षरता, बेहतर शिक्षा और नैतिक मूल्यों के प्रसार के लिए इस संस्थान की स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि आज विद्यापीठ में 200 से अधिक पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं, जिनका वार्षिक बजट ₹70 करोड़ है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।

मेवाड़ के ग्रामीण समुदाय के लिए काम करने की अपील

कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर ने इस अवसर को बीते हुए वर्षों का मूल्यांकन और भविष्य के लिए नए दायित्वों का निर्धारण करने का दिन बताया। उन्होंने नई पीढ़ी से मेवाड़ के ग्रामीण समुदाय की समस्याओं को सुलझाने और जनुभाई के सपनों को पूरा करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विद्यापीठ ने राष्ट्र की शैक्षिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियां

झंडारोहण: समारोह से पहले, विद्यापीठ के प्रतापनगर परिसर में स्थित जनुभाई की आदमकद प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इसके बाद कुलाधिपति, कुलपति और पीठ स्थविर ने विद्यापीठ के ध्वज का झंडारोहण किया और संस्थान गीत का गायन किया।

विभिन्न वक्ताओं के विचार: मुख्य अतिथि डॉ. प्रफुल्ल नागर और पूर्व कुलपति प्रो. दिव्य प्रभा नागर ने पंडित नागर की शिक्षा के प्रति दूरदृष्टि और उनके व्यक्तित्व में सेवा व समर्पण के भावों को रेखांकित किया।

कार्यक्रम का संचालन रजिस्ट्रार डॉ. तरुण श्रीमाली और डॉ. हेमेंद्र चौधरी ने किया, जबकि आभार प्रो. मलय पानेरी ने व्यक्त किया। इस अवसर पर विद्यापीठ के डीन, डायरेक्टर और शहर के कई गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

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