निम्स युनिवर्सिटी के प्रो चांसलर, प्रो. अमेरिका सिंह ने वीर कुंवर सिंह आरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शैलेन्द्र चतुर्वेदी से की शिष्टाचार भेंट

निम्स युनिवर्सिटी द्वारा आयोजित होने वाली इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन (IEA) की अंतराष्ट्रीय कांफ्रेंस में प्रो. शैलेन्द्र चतुर्वेदी को “विशिष्ट अतिथि” के रूप में किया आमंत्रित

निम्स युनिवर्सिटी राजस्थान तथा वीर कुंवर सिंह आरा विश्वविद्यालय के मध्य भविष्य में नई शिक्षा नीति, सांस्कृतिक विरासत तथा भारतीय ज्ञान परम्परा को लेकर होगा एमओयू

आरा, बिहार। निम्स यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर तथा मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रो. अमेरिका सिंह ने वीर कुंवर सिंह आरा विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. शैलेन्द्र चतुर्वेदी से शिष्टाचार भेंट की। इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य दोनों संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाना और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल करना था।

इस दौरान, प्रो. अमेरिका सिंह ने वीर कुंवर सिंह आरा विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो. शैलेन्द्र चतुर्वेदी को निम्स यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन (IEA) की अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में “विशिष्ट अतिथि” के रूप में आमंत्रित किया। यह कांफ्रेंस भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगी और इसमें देश-विदेश के विशेषज्ञों और विद्वानों की भागीदारी होगी।

मुलाकात के दौरान, दोनों शिक्षाविदों ने शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशा देने के लिए एक संयुक्त प्रयास की योजना बनाई। इसके तहत, निम्स यूनिवर्सिटी और वीर कुंवर सिंह आरा विश्वविद्यालय के बीच भविष्य में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाने की संभावना जताई गई। इस एमओयू के अंतर्गत नई शिक्षा नीति, सांस्कृतिक विरासत और भारतीय ज्ञान परंपरा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

प्रो. अमेरिका सिंह ने कहा, “हमारी कोशिश है कि हम शिक्षा के क्षेत्र में न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नई संभावनाएं तलाशें।” वहीं, प्रो. शैलेन्द्र चतुर्वेदी ने इस सहयोग की सराहना करते हुए कहा, “यह पहल हमें हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी।”

इस तरह की भेंट और सहयोग से न केवल दोनों विश्वविद्यालयों के बीच संबंध मजबूत होंगे, बल्कि इससे छात्रों और शोधकर्ताओं को भी लाभ होगा। आने वाले समय में इन पहलों के जरिए उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की उम्मीद की जा रही है।

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