कौशल विकास के लिए एकीकृत नीति बनाई जाए : मन्नालाल रावत


सांसद रावत ने युवाओं में कौशल विकास का मुद्दा संसद में उठाया
उदयपुर। सांसद मन्नालाल रावत ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि युवाओं में कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कार्य करने की रणनीति अपनाई जाए। ताकि ज्यादा से ज्यादा युवा रोजगार परक कौशल कार्यक्रमों में निपुण हो सके।
सांसद रावत ने शुक्रवार को संसद में नियम 377 के तहत युवाओं में कौशल विकास को लेकर मुद्दा उठाया था।
सांसद रावत ने संसद में कहा कि युवाओं के देश में कौशल अन्तराल एक बहुत बड़ी चुनौती है, जो विकसित भारत-2047 के मार्ग में एक बड़ी बाधा दिखती है। वर्तमान में महाविद्यालयों से सीधे निकलने वाले प्रत्येक 2 में से 1 युवा आसानी से रोजगार योग्य नहीं माना गया है। इसमें कई चुनौतियां हैं, जिसमें आम धारणा है कि कौशल अंतिम विकल्प है, जो प्रगति नहीं कर पाए है। सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम 20 से अधिक मंत्रालयों में फैला है, जिसमें मजबूत समन्वय एवं निगरानी तंत्र का अभाव है, प्रशिक्षकों की कमी, क्षेत्रीय एवं स्थानिक स्तरों पर मांग और आपूर्ति में अंतराल, कौशल एवं उच्च शिक्षा कार्यक्रमों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच सीमित गतिशीलता, प्रशिक्षण कार्यक्रमों का बहुत कम कवरेज, महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी में गिरावट, औपचारिक शिक्षा प्रणाली में उद्यमशीलता को व्यापक स्तर पर शामिल ना करना, विविध स्तर पर मार्गदर्शन एवं वित्त की पहुंच का अभाव प्रमुख है। सांसद रावत ने सभापति के माध्यम से सरकार से आग्रह किया कि इन विषयों पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कार्य करने की तीव्र रणनीति बनाई जाए।
क्या है नियम 377
लोकसभा में नियम 377 के तहत, सांसद सदन में मुद्दा उठाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति लेते हैं। इस नियम के तहत, एक दिन में 20 सांसदों को मामला उठाने की अनुमति है। सप्ताह में एक विषय पर मुद्दा रखा जा सकता है और किसी सप्ताह के पूर्व के शुक्रवार को ही आवेदन की अनुमति है। सदन की कार्यवाही के दौरान और प्रश्न काल के तुरंत बाद नियम 377 के तहत मामले उठाए जाते हैं।

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