लतीफ

- शॉल पर कलमकारी से किया गया है राजा के दरबार का चित्रण
- बुजुर्ग ही बना पाते है इस कलाकारी को, 10 से 12 माह लगते है
- बारीकी से होता है काम, कभी-कभी आंखों की रोशनी भी कम हो जाती है
उदयपुर। उदयपुर के टाउनहॉल में इन दिनों पश्मीना की ढाई लाख रूपए की शॉल चर्चा का विषय बनी हुई है। इस शॉल को तैयार करने में 10 से 12 माह का समय लगा। शॉल कलमकारी से बहुत बारीकी से राजा के दरबार का चित्रण किया गया है।।
कश्मीर से आए दानिश व आमिर ने बताया कि अमूमन पश्मीना की शॉल 15 हजार से 50 हजार रूपए कीमत की रहती है लेकिन यह शॉल जो एंटीक शॉल के रूप में बनाई जाती है जिस पर बड़ी बारीकी से काम किया जाता है। आमिर ने बताया कि शॉल पर पहले कलमकारी से चित्रण का काम किया जाता है। आज के युवा इस बारीकी से इस काम को नहीं कर सकते है ऐसे में यह शॉल बुजुर्ग व तर्जुबा रखने वाले लोग ही बना सकते है।- उनके पास मौजूद इस शॉल की कीमत ढाई लाख रूपए है जिस पर राजा का दरबार की पूरी कहानी को दर्शाया गया है जिसमें राजा, दरबार, दरबारी, महल में मौजूद कई प्रकार के जानवरों को चित्र के माध्यम से बताया गया है। अमूमन शॉल दो गज की होती है लेकिन यह शॉल ढाई गज की बनी हुई है। इसे अब्र्दुरशीद जो 55 साल है उन्होंने अपने बेटे की मदद से बनाई है। इसे बनाने के दौरान इस पर बहुत बारीक काम होने से कई बार आंखों की रोशनी भी कम हो जाती है।
आमिर ने बताया कि ऐसी शॉल एंटीक होती है जिन्हें हाई प्रोफाइल लोगों के घरों पर ले जाकर ही दिखाया जाता है ताकि उन्हें कला व कलमकारी की पहचान कराई जा सके। इसके अलावा वे नेशनल सिल्क एक्स्पो जो दिल्ली, मुंबई, चैन्नई, गुडगांव आदि स्थानों पर लगता है वहां हिस्सा लेते है जहां हाई प्रोफाइल व एनआरआई लोग जो पश्मीना व उसकी कलाकारी को समझते है खरीदते है। छोटे शहरों में केवल पश्मीना पर किए गए काम व कला को प्रदर्शित करने व लोगों को बताने के लिए वे इसे यहां लेकर आते है। पश्मीना कश्मीर में पाई जाने वाली एक विशेष बकरी से बालों से प्राप्त होता है जिसका धागा इंसानी बाल से छह गुना पतला होता है। पश्मीना इतना महंगा इसलिए होता है क्योंकि इसे तैयार करने के लिए कंघी, कताई, बुनाई, रंगाई व कढाई जैसे कई चरण होते है वहीं पश्मीना से बनी शॉल व चादर 40 से 45 साल तक चलती है।
About Author
You may also like
-
अयोध्या की रोशनी सरयू पर, तो उदयपुर की झीलों में उतरी दिव्यता…फोटो जर्नलिस्ट कमल कुमावत के कैमरे से देखिए उदयपुर की दीपावली
-
शहर विधायक ताराचंद जैन के प्रयासों से बड़ी राहत — अब वॉलसिटी में रोज मिलेगी पेयजल आपूर्ति
-
भक्ति, प्रकाश और समृद्धि का उत्सव : उदयपुर के भटियानी चौहट्टा में शुरू हुआ महालक्ष्मी दीपोत्सव
-
फास्टैग वार्षिक पास : इस दिवाली यात्रियों के लिए बेहतरीन उपहार
-
भई ये उदयपुर के कलेक्टर और निगम के कमिश्नर कौन है…? तारीफ तो करनी पड़ेगी जी…कुछ मुद्दे हैं जिन पर काम करने की जरूरत है