“कब तक तुम ग़ुलामी की बेड़ियों में जकड़ी रहोगी! उठो और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष तेज करो!” : सावित्रीबाई फुले
यह केवल एक कथन नहीं, बल्कि हर उस महिला के लिए एक प्रेरणास्रोत है, जो पितृसत्ता और असमानता के जाल को तोड़ने का हौसला रखती है। सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख, भारतीय समाज में शिक्षा और समानता की लौ जलाने वाली क्रांतिकारी हस्तियां, आज भी प्रगतिशील आंदोलन की रीढ़ हैं।
194वीं जयंती पर प्रेरणा के स्त्रोत
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा), उदयपुर द्वारा आयोजित “आज के दौर में महिला शिक्षा व स्वतंत्रता के सवाल” विषय पर आयोजित गोष्ठी में राज्य सचिव प्रो. फरहत बानू ने सावित्रीबाई फुले को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवन को महिलाओं की स्वतंत्रता और बेहतर समाज के निर्माण के लिए समर्पित किया। सावित्रीबाई ने देश की पहली शिक्षिका बनकर सामाजिक बदलाव का बिगुल बजाया।
सामाजिक बाधाओं के विरुद्ध संघर्ष
प्रो. हेमेन्द्र चंडालिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि केवल नौ साल की उम्र में सावित्रीबाई का विवाह हुआ, लेकिन शिक्षा के प्रति उनके जुनून ने उन्हें समाज की रुढ़ियों के खिलाफ खड़ा कर दिया। ब्राह्मणवादियों के विरोध के बावजूद, सावित्रीबाई ने शिक्षा को अपना हथियार बनाया। अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ, उन्होंने न केवल महिलाओं बल्कि समाज के दबे-कुचले वर्गों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया।
लड़कियों के पहले स्कूल की स्थापना
1848 में सावित्रीबाई और ज्योतिबा फुले ने पहला स्कूल खोला, जो सभी वर्गों की लड़कियों के लिए शिक्षा का केंद्र बना। उन्होंने शिक्षा का प्रकाश फैलाने के लिए अपमान और हिंसा का सामना किया। हर सुबह गोबर और पत्थरों से हमला झेलने के बावजूद, वे समाज में ज्ञान का दीपक जलाती रहीं।
सत्यशोधक समाज और सामाजिक सुधार
सत्यशोधक समाज की स्थापना और बाल विधवाओं, दलितों, और शोषित महिलाओं के अधिकारों के लिए उनका संघर्ष, आज भी प्रेरणा का स्रोत है। सावित्रीबाई ने न केवल शिक्षा को बढ़ावा दिया, बल्कि उन्होंने आश्रम खोलकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया।
महिला स्वतंत्रता की विरासत
कॉमरेड शंकर लाल चौधरी ने कहा कि सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख की साझी संघर्ष यात्रा, आज भी समाज को बदलने का आधार है। उनका मानना था कि जाति, धर्म और लिंगभेद से ऊपर उठकर मानवता की सेवा ही सच्चा धर्म है।
आज की चुनौतियां और विचारधारा
डॉ. मीनाक्षी ने कहा कि सावित्रीबाई और फातिमा शेख की विरासत आज के दौर की सामंती और दमनकारी ताकतों के खिलाफ संघर्ष में मार्गदर्शक है। उनकी क्रांतिकारी सोच आज भी सामाजिक बदलाव की प्रेरणा है।
नया समाज बनाने की पहल
आइए, सावित्रीबाई और फातिमा शेख की गंगा-जमुनी तहज़ीब की साझी विरासत को समझें और उनके सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ें। उनके विचारों का प्रकाश हर उस अंधेरे को चीरने का सामर्थ्य रखता है, जो मानवता के खिलाफ खड़ा है।
सावित्रीबाई फुले की क्रांतिकारी विरासत अमर रहे!
फातिमा शेख की सांस्कृतिक साझेदारी ज़िंदाबाद!
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