उदयपुर में जुटे वैश्विक विशेषज्ञ : पर्यावरण और तकनीकी प्रगति पर हुआ मंथन

फोटो : कमल कुमावत

“RSA का 30वां सम्मेलन: तकनीक और नैतिकता के संगम से स्थायी समाज की खोज”

उदयपुर। राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय, उदयपुर में 10-11 जनवरी 2025 को आयोजित 30वें राजस्थान समाजशास्त्रीय संघ (RSA) के अंतर्विषयक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का भव्य समापन 11 जनवरी को हुआ। इस वर्ष सम्मेलन का विषय था “तकनीक, नैतिकता और पर्यावरण : सतत समाज के भविष्य की दिशा।”

अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागिता और विचारों का आदान-प्रदान

सतत विकास के लिए संवाद: RSA सम्मेलन में 150 शोध पत्र प्रस्तुत


सम्मेलन के दूसरे दिन 150 से अधिक शोध-पत्रों का वाचन तीन तकनीकी सत्रों में हुआ। इन सत्रों में भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ USA और रूस के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
प्रमुख वक्ताओं में प्रो. एस.एल. शर्मा ने हरित क्रांति और पर्यावरण संरक्षण पर चर्चा की, जबकि प्रो. महेश शुक्ला ने मानव और प्रकृति के आंतरिक संबंधों को संस्कृत के मंत्रोच्चारण से जोड़ते हुए व्याख्यान दिया। प्रो. राकेश राणा ने 21वीं सदी की तकनीकी चुनौतियों और उनके खतरों से आगाह किया।

समापन समारोह : विचारों और सम्मान का संगम


समारोह का शुभारंभ प्राचार्य प्रो. दीपक माहेश्वरी के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और नैतिक मूल्यों के अनुपालन पर जोर दिया। कार्यक्रम की आयोजन सचिव डॉ. अंजु बेनीवाल ने सम्मेलन की दो दिवसीय रिपोर्ट प्रस्तुत की।

विशिष्ट अतिथि सांसद मन्नालाल रावत ने अपने संबोधन में विकास और अध्यात्म के समन्वय पर बल देते हुए ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ का संदेश दिया। कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने शिक्षा को विद्यार्थी-केंद्रित बताते हुए AI के सदुपयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। रूस के प्रो. मिखाइल सिनियुटीन ने तकनीकी युग में पर्यावरणीय चुनौतियों को सकारात्मक दृष्टिकोण से हल करने की बात कही।

सम्मेलन में उपलब्धियां और विमोचन


समारोह के दौरान पर्यावरण और सतत विकास पर दो नई पुस्तकों का विमोचन किया गया। उत्कृष्ट शोध पत्र के लिए गगन ओझा और पोस्टर प्रेजेंटेशन के लिए महिमा सांखला को सम्मानित किया गया।

RSA अध्यक्ष की शुभकामनाएं

जियो और जीने दो’ का संदेश: RSA सम्मेलन ने दिया पर्यावरण संरक्षण का आह्वान


RSA अध्यक्ष प्रो. आशुतोष व्यास ने आयोजन की सराहना करते हुए सभी प्रतिभागियों और आयोजकों को बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन प्रो. मोनिका दवे और प्रो. रेणुका वर्मा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सुदेशना पारिजा ने किया।

यह सम्मेलन तकनीक, नैतिकता और पर्यावरण पर वैश्विक दृष्टिकोण के आदान-प्रदान के लिए एक ऐतिहासिक मंच बना, जिसने सतत समाज की ओर नई दिशा दिखाई।

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