उदयपुर। उदयपुर के पानेरियों की मादड़ी में करोड़ों की जमीन को मामूली कीमत पर पट्टे जारी करने के मामले में राजस्थान सरकार ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। कार्मिक विभाग ने नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त आईएएस हिम्मत सिंह बारहठ को नोटिस जारी कर 15 दिन में स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए हैं। यदि वे ऐसा नहीं करते, तो उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला तब सामने आया जब उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन ने इसे विधानसभा में जोरदार तरीके से उठाया। उनकी मांग थी कि करोड़ों की सरकारी जमीन को औने-पौने दामों में निजी व्यक्तियों को सौंपने की जांच होनी चाहिए। उनकी इस पहल के बाद सरकार हरकत में आई और मामले की गंभीरता को समझते हुए कार्मिक विभाग ने बारहठ को नोटिस जारी किया। यह स्पष्ट करता है कि विधायक की भूमिका सिर्फ एक आलोचक की नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि की भी रही, जिसने शहर की संपत्तियों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।
272 भूखंड प्रकरण से भिन्न मामला
यह पूरा मामला 272 भूखंड प्रकरण से बिल्कुल अलग है। 272 भूखंड प्रकरण में जहां भूखंड आवंटन की प्रक्रिया पर प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक प्रभाव के आरोप लगे थे, वहीं पानेरियों की मादड़ी में मामला सरकारी भूमि को बाजार दर से कहीं कम दाम में देने से जुड़ा है। यहां सीधा आरोप नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त पर है, जिन्होंने मास्टर प्लान 2031 की अनदेखी कर पट्टे जारी किए। 272 भूखंड प्रकरण में कथित लोग मीडिया ट्रायल के जरिये श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं, जो मामला भी विधायक ताराचंद जैन के विधानसभा में उठाने के बाद आगे बढ़ा।
न्यायपालिका की मुहर, भ्रष्टाचार उजागर
इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने भी फैसला सुनाते हुए जमीन आवंटन को अवैध माना और स्पष्ट किया कि यह भूमि नगर विकास प्रन्यास की है, न कि किसी निजी आवंटी की। इस फैसले के बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ा कि दोषियों पर कार्रवाई की जाए।
सकारात्मक राजनीति का उदाहरण
यह मामला सिर्फ एक प्रशासनिक घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि यदि कोई विधायक अपनी जिम्मेदारी को समझे, तो वह जनता के हित में ठोस कदम उठा सकता है। ताराचंद जैन ने इसे दबाने की बजाय सरकार तक पहुंचाया, जिससे पारदर्शिता बनी और न्याय की दिशा में कदम बढ़े।
अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि हिम्मत सिंह बारहठ का जवाब क्या होगा और सरकार कितनी सख्ती से कार्रवाई करती है। लेकिन एक बात तो साफ है—विधायक की सतर्कता और जवाबदेही ने यह सुनिश्चित किया है कि जनता की संपत्ति का दुरुपयोग अब आसानी से नहीं हो सकेगा।
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