
उदयपुर। यहां घाणेराव घाटी में रविवार की रात खुशियों के बीच एक अनहोनी ने सबको झकझोर कर रख दिया। 45 वर्षीय अरविंद पालीवाल के लिए यह रात उनकी आखिरी साबित होगी, किसी ने सोचा भी नहीं था। एयरगन की सफाई करते वक्त एक चूक हुई, और वही चूक उनकी जिंदगी को छीन ले गई।
घर में गूंजा धमाका, और फिर सन्नाटा…
परिवार फर्स्ट फ्लोर पर बैठा था, अरविंद नीचे ग्राउंड फ्लोर पर एयरगन की सफाई कर रहे थे। अचानक एक धमाके की आवाज आई—परिजनों का दिल दहल गया। जब दौड़कर नीचे पहुंचे तो देखा कि अरविंद बेसुध पड़े थे, उनके सिर से खून बह रहा था। उनकी आंखों की चमक बुझ चुकी थी, सांसें थमने को थी। हड़बड़ाहट में परिवार ने तुरंत उन्हें एमबी हॉस्पिटल पहुंचाया, लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। सोमवार दोपहर 11:30 बजे जिंदगी ने उनसे अंतिम विदाई ले ली।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
जो इंसान चंद घंटे पहले परिवार के साथ हंस रहा था, वो अब हमेशा के लिए खामोश हो चुका था। उनकी दो मासूम बेटियां अभी तक इस सदमे को समझ भी नहीं पा रही हैं। कल तक जो पिता उनकी हंसी का कारण थे, आज वो ही एक तस्वीर में सिमट गए हैं। पूरे परिवार पर ग़मों का पहाड़ टूट पड़ा है। घर में जहां जश्न की मिठास घुली थी, अब वहां सिर्फ सिसकियों की गूंज रह गई है।
एक छोटी सी गलती, और जिंदगी खत्म…
यह हादसा एक सीख भी छोड़ गया—कभी-कभी छोटी-छोटी लापरवाहियां कितनी भारी पड़ जाती हैं। अरविंद की मौत ने एक हंसते-खेलते परिवार की दुनिया बदल दी। अब सिर्फ उनकी यादें रह गई हैं, और रह गया है एक सवाल—क्या वाकई एक खुशी का पल इतना भारी पड़ सकता है कि वह हमेशा का दर्द बन जाए?
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