पहलगाम आतंकी हमले की तीव्र भर्त्सना : – मुस्लिम संगठनों, समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों ने दी एकता की मिसाल, पीड़ितों के प्रति जताई गहरी संवेदना

जयपुर। जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। पर्यटकों को निशाना बनाकर की गई यह बर्बर घटना केवल मानवता ही नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता पर भी हमला है। इस हमले की देशभर में तीव्र निंदा हो रही है और विभिन्न समुदायों, संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने इसे “घोर अमानवीय” और “राष्ट्रविरोधी कृत्य” करार देते हुए सरकार से दोषियों के खिलाफ तत्काल और कठोर कार्रवाई की मांग की है।

आतंक का कोई मजहब नहीं होता: जमीयतुल उलेमा-ए-हिन्द
ऑल इंडिया जमीयतुल उलेमा-ए-हिन्द के प्रदेश उपाध्यक्ष हाफिज मंजूर अली खान ने इस कायराना हरकत की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि “आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, और जो निर्दोषों का खून बहाते हैं, वे किसी मजहब के नहीं हो सकते।” उन्होंने सरकार से मांग की कि खुफिया एजेंसियों को मजबूत कर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जाए। साथ ही उन्होंने कश्मीर के पर्यटन पर पड़ने वाले नकारात्मक असर को लेकर चिंता जताई और सरकार से पर्यटन सुरक्षा को प्राथमिकता देने की अपील की।

पूरा देश पीड़ित परिवारों के साथ: केसी घुमरिया
पूर्व प्रधान आयकर आयुक्त और अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के प्रदेश अध्यक्ष केसी घुमरिया ने घटना को “मानवता के खिलाफ अपराध” बताते हुए कहा कि “पूरा देश इस कठिन समय में पीड़ितों के साथ खड़ा है।” उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए आतंक के खिलाफ एकजुट राष्ट्रीय रवैया अपनाने का आह्वान किया।

शैतानों को मिले इबरतनाक सज़ा: सुरूर अहमद
वरिष्ठ समाजसेवी और बिजनेसमैन सुरूर अहमद ने तीव्र प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जो लोग निर्दोषों की जान लेते हैं, उन्हें सिर्फ सज़ा नहीं बल्कि ऐसी सज़ा मिलनी चाहिए जिससे वो नजीर बन जाए।” उन्होंने आतंकियों की ‘जाति और धर्म से परे पहचान’ पर जोर देते हुए सरकार से कठोर कदम उठाने की मांग की।

इंसानियत के हत्यारों को बख्शा न जाए: रूबी खान
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी माइनॉरिटी डिपार्टमेंट की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रूबी खान ने अपने बयान में तीखे शब्दों में आतंकियों की निंदा करते हुए कहा, “चाहे पर्यटकों के हत्यारे हों, अखलाक या तबरेज के या ग्राहम स्टैंस और उनके बच्चों को जिंदा जलाने वाले—इंसानियत के हत्यारे हैं ये सभी, और इन सबको एक जैसी सख्त सज़ा मिलनी चाहिए।” उनका यह बयान आतंकवाद की हर शक्ल के खिलाफ एक मजबूत और नैतिक स्वरूप प्रस्तुत करता है।

हर भारतवासी आहत है: असरार अहमद खान
पूर्व राज्य मंत्री असरार अहमद खान ने भी घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि “यह हमला केवल पर्यटकों पर नहीं बल्कि भारत की विविधता, सांस्कृतिक गरिमा और शांति पर हमला है।” उन्होंने सरकार से दोषियों को जल्द से जल्द कानून के कठघरे में लाने की अपील की।

कश्मीर की आत्मा पर हमला: अब्दुल सलाम जौहर
मुस्लिम प्रोग्रेसिव फेडरेशन के कन्वीनर अब्दुल सलाम जौहर ने इस हमले को ‘कश्मीर की आत्मा पर हमला’ बताया। उन्होंने सरकार से मृतकों के परिजनों और घायलों को आर्थिक सहायता देने की मांग की। साथ ही इस हमले को साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश करार दिया। संगठन के सह संयोजक सैय्यद अनवर शाह ने समाज से अपील की कि “ऐसे समय में सभी समुदायों को एकता और भाईचारा बनाए रखना चाहिए।”

बर्बरता की पराकाष्ठा: मुहम्मद नाजिमुद्दीन
जमाअत-ए-इस्लामी हिंद राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद नाजिमुद्दीन ने कहा, “यह हमला अमानवीयता की पराकाष्ठा है।” उन्होंने कहा कि निर्दोष पर्यटकों की हत्या, चाहे वे देशी हों या विदेशी, हमारे आतिथ्य और सभ्यता के चेहरे पर चोट है। उन्होंने निष्पक्ष जांच और दोषियों को सख्त सज़ा की मांग की।

साम्प्रदायिक सौहार्द को बचाना ज़रूरी: डॉ. ओपी टांक
राजस्थान कच्ची बस्ती महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. ओपी टांक ने विशेष तौर पर इस घटना की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय एकता को बचाए रखने की ज़रूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, “कश्मीर की आज़ादी की आड़ में जो लोग आतंक फैला रहे हैं, वे असल में उसी कश्मीर की अर्थव्यवस्था और पहचान को खत्म कर रहे हैं।”
उन्होंने भारत के मुसलमानों से अपील की कि इस हमले की खुलकर भर्त्सना करें और हर हिंदू भाई से भी आग्रह किया कि किसी एक आतंकी घटना को देश के करोड़ों मुसलमानों से जोड़कर न देखा जाए। उनके इस सधे हुए बयान में देश को जोड़ने का गंभीर प्रयास झलकता है।

वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया की तीखी प्रतिक्रिया: वकार अहमद खान
वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के प्रदेशाध्यक्ष वकार अहमद खान ने भी इस आतंकी वारदात को देश की आत्मा पर हमला बताते हुए कहा कि “दहशतगर्दों को तत्काल गिरफ्तार कर न्याय की कठोरतम प्रक्रिया के तहत सजा दी जाए।” उन्होंने इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सरकार को सुरक्षा नीति में ठोस परिवर्तन करने की भी सलाह दी।

 

इस भीषण और शर्मनाक आतंकी हमले ने पूरे भारत को झकझोर दिया है, लेकिन जिस प्रकार से विभिन्न समुदायों, संगठनों और नेताओं ने एक सुर में न केवल निंदा की बल्कि एकता, भाईचारे और इंसानियत की मिसाल पेश की है — वह यह सिद्ध करता है कि भारत की आत्मा अभी भी जीवंत है।

आतंक के विरुद्ध यह एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत है। यह वक्त नफरत फैलाने का नहीं, बल्कि देश को जोड़ने का है — क्योंकि यही आतंक के खिलाफ हमारी सबसे बड़ी जीत होगी।

About Author

Leave a Reply