
बेंगलुरु | पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा के पोते और पूर्व JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना को घरेलू मेड से रेप के मामले में बेंगलुरु की स्पेशल कोर्ट ने आजीवन कारावास और ₹10 लाख जुर्माना सुनाया।
यह फैसला सिर्फ एक आपराधिक मुकदमे का नतीजा नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि राजनीतिक रसूख भी कानून के आगे टिक नहीं सकता।
कल अदालत ने दोषसिद्धि सुनाई थी, आज सजा हुई—और अब यह मामला कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास में एक मील का पत्थर बन गया है।
फार्महाउस से कोर्ट तक
2023 के अप्रैल में मैसूर के पास स्थित रेवन्ना परिवार के फार्महाउस में काम करने वाली 47 वर्षीय महिला ने FIR दर्ज कराई।
उसका आरोप था कि 2021 से प्रज्वल ने कई बार उसका यौन शोषण किया और अश्लील वीडियो लीक करने की धमकी देकर चुप कराया।
यह आरोप ऐसे समय आए जब प्रज्वल 2024 लोकसभा चुनाव में हासन सीट से दोबारा किस्मत आजमा रहे थे।
कर्नाटक सेक्स स्कैंडल: एक विस्फोटक खुलासा
3.1 पेन ड्राइव और हजारों वीडियो
26 अप्रैल 2024 को बेंगलुरु के सार्वजनिक स्थलों से कई पेन ड्राइव बरामद हुए।
जांच में पाया गया कि इनमें 3,000–5,000 वीडियो क्लिप थे, जिनमें प्रज्वल अलग-अलग महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थे—किसी का चेहरा ब्लर नहीं था।
SIT की जांच रिपोर्ट
50 से ज्यादा पीड़िताएं — उम्र 22 से 61 वर्ष के बीच।
12 महिलाओं का रेप, बाकी को नौकरी/लालच देकर सेक्शुअल फेवर।
कुछ को सब-इंस्पेक्टर, तहसीलदार या फूड डिपार्टमेंट में नौकरी।
यह नतीजे यह संकेत देते हैं कि मामला सिर्फ व्यक्तिगत अपराध नहीं, बल्कि सत्ता के दुरुपयोग का संगठित पैटर्न था।
विदेश भागना और गिरफ्तारी
26 अप्रैल 2024: चुनाव।
27 अप्रैल: प्रज्वल जर्मनी रवाना।
23 मई : देवगौड़ा की चेतावनी – “भारत लौट आओ, वरना परिवार से नाता खत्म”।
27 मई : प्रज्वल का वीडियो बयान – “आरोप झूठे हैं”।
31 मई : जर्मनी से लौटते ही बेंगलुरु एयरपोर्ट पर गिरफ्तारी।
राजनीतिक और कानूनी हलकों में इसे “भागने की कोशिश” के रूप में देखा गया, जिसने उनकी छवि को और नुकसान पहुंचाया।
- अदालत की सुनवाई और दोषसिद्धि
स्पेशल कोर्ट ने प्रज्वल के खिलाफ आरोप तय किए—
IPC धारा 376 (रेप)
IPC 354 (छेड़छाड़)
IPC 506 (आपराधिक धमकी)
IT एक्ट की धाराएं (अश्लील सामग्री का प्रसार)
अभियोजन पक्ष ने : पीड़िता का विस्तृत बयान, वीडियो और डिजिटल सबूत, गवाहों के बयान पेश किए। बचाव पक्ष ने सबूतों को “राजनीतिक साजिश” बताया, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया।
राजनीतिक असर
JDS ने आरोपों के बाद प्रज्वल को पार्टी से निलंबित किया। 2024 लोकसभा चुनाव में वे हारे। देवगौड़ा परिवार की साख को गहरा धक्का। विपक्ष के लिए यह मुद्दा सत्ता और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रचार हथियार बन गया।
यह सजा यह संदेश देती है कि पार्टी वफादारी या पारिवारिक ताकत कानूनी जवाबदेही से बचा नहीं सकती।
सामाजिक निहितार्थ : सत्ता और लैंगिक हिंसा
यह मामला भारत में सत्ता और लैंगिक हिंसा के रिश्ते का कठोर उदाहरण है। यह दर्शाता है कि प्रभावशाली लोग किस तरह नौकरी, प्रमोशन या आर्थिक लाभ के लालच से शोषण कर सकते हैं।
साथ ही यह भी दिखाता है कि महिलाएं अब चुप्पी तोड़ रही हैं और मीडिया/कानून की मदद से न्याय तक पहुंच रही हैं।
आगे का रास्ता
प्रज्वल के खिलाफ 3 और केस लंबित हैं। वे हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं। अगर अन्य मामलों में भी दोषसिद्धि हुई, तो कानूनी स्थिति और गंभीर हो सकती है।
प्रज्वल रेवन्ना केस सिर्फ एक व्यक्ति की सजा की कहानी नहीं है। यह सत्ता के दुरुपयोग, कानून की ताकत, और महिलाओं की बढ़ती कानूनी जागरूकता का सम्मिलित चित्र है। कर्नाटक सेक्स स्कैंडल ने यह साफ कर दिया है कि अब राजनीतिक रसूख भी न्याय प्रक्रिया में ढाल नहीं बन सकता।
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