लिस्बन/मैड्रिड। अगर आपकी जिंदगी मोबाइल, लिफ्ट और इंटरनेट जैसी सुविधाओं के भरोसे चलती है, तो स्पेन और पुर्तगाल का यह संकट आपके लिए चेतावनी से कम नहीं। शनिवार को आए इस अचानक और भीषण बिजली संकट ने यूरोप के इन विकसित देशों को कुछ घंटों में ही घुटनों पर ला दिया। एयरपोर्ट से लेकर रेलवे स्टेशन, पेट्रोल पंप से लेकर सुपरमार्केट तक सब कुछ थम गया। और इस रुकने के साथ ही उभरा एक बड़ा सवाल: आधुनिक जीवन की नींव कितनी नाजुक है?
अंधेरे में डूबे शहर: तकनीक पर निर्भरता की भयावह तस्वीर
लिस्बन और मैड्रिड जैसे चमचमाते शहर रातोंरात अंधेरे के गर्त में चले गए। हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द, मेट्रो सेवाएं ठप और रेलवे ट्रैक पर फंसे लोग — यह दृश्य महज बिजली गुल होने का नहीं था, यह उस खतरनाक निर्भरता का आईना था, जो आधुनिक समाज ने अपने लिए खुद तैयार की है।
मोबाइल नेटवर्क ढह गए, इंटरनेट गायब हो गया, और डिजिटल लेनदेन ठप पड़ गया। नतीजा यह कि लोगों को फिर से नकदी लेकर बाजारों में भटकना पड़ा।
आधुनिक जीवन की सबसे बड़ी कमजोरी: ऊर्जा की निर्भरता
स्पेन और पुर्तगाल में बिजली संकट ने यह स्पष्ट कर दिया कि आज की दुनिया की जीवन रेखा ऊर्जा है।
लिफ्टें बंद, एटीएम निष्क्रिय, इलेक्ट्रिक गाड़ियों के चार्जिंग स्टेशन बेकार — हर तरफ एक ही कहानी थी: बिना बिजली के हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते।
विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि इतने उन्नत बुनियादी ढांचे वाले देश भी इतनी आसानी से चरमरा सकते हैं, तो बाकी दुनिया के लिए खतरे की घंटी और तेज बजनी चाहिए।
सरकारें फौरन हरकत में आईं, लेकिन संकट गहरा है
स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ ने इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा संकट’ बताते हुए आपात बैठक बुलाई। पुर्तगाल के प्रधानमंत्री लुइस मोंटेनेग्रो ने कहा कि बिजली बहाली में कम से कम एक सप्ताह लग सकता है।
यानी, एक सप्ताह तक दो बड़े देश लगभग ठहर से जाएंगे — यह आज की डिजिटल दुनिया में एक खतरनाक ठहराव है।
साइबर हमले की आशंका से इनकार किया गया है, लेकिन पावर ग्रिड की अस्थिरता ने एक नए खतरे को जन्म दिया है: प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और बुनियादी ढांचे की कमजोरियों का संयुक्त प्रभाव।
संकट का असली चेहरा: जनजीवन की त्रासदी
बिजली कटौती ने आम नागरिकों के जीवन को बुरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। लिस्बन के सैलूनों में अधकटे बालों के साथ लौटते लोग, बाजारों में ठप पड़ते कार्ड स्वाइप मशीनें, पेट्रोल पंपों पर बढ़ती हताश भीड़ — ये दृश्य महज असुविधा नहीं थे, यह एक सिस्टम फेलियर की खुली किताब थी।
गर्मी से बेहाल लोग, हीटवेव के बीच बंद एसी, और संचार नेटवर्क का ध्वस्त होना — इन समस्याओं ने एक साथ यह सवाल खड़ा कर दिया कि अगर बिजली चली जाए, तो हमारी जिंदगियां कितनी असहाय हो जाती हैं?
भविष्य की चुनौती: तकनीक पर भरोसे के साथ बैकअप प्लान जरूरी
स्पेन और पुर्तगाल की सरकारें हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन यह घटना बताती है कि भविष्य के लिए तैयारियां सिर्फ तकनीकी उन्नति से नहीं होंगी।
स्मार्ट ग्रिड, बैटरी स्टोरेज, लोकलाइज्ड पावर सप्लाई, और इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम जैसे उपाय अब ‘विकल्प’ नहीं, बल्कि ‘आवश्यकता’ हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में भारी उतार-चढ़ाव, ट्रांसमिशन नेटवर्क पर जबरदस्त दबाव डालते रहेंगे। ऐसे में अगर सिस्टम को बार-बार झटके सहने के लिए तैयार नहीं किया गया, तो भविष्य में इससे भी बड़े संकट आ सकते हैं।
सबक सिर्फ यूरोप के लिए नहीं — पूरी दुनिया के लिए
स्पेन और पुर्तगाल का बिजली संकट एक स्थानीय घटना नहीं है। यह पूरी दुनिया के लिए चेतावनी है कि तकनीक की दीवारें जितनी ऊंची होती हैं, उनकी बुनियाद को उतना ही मजबूत बनाना पड़ता है।
वर्ना एक दिन अचानक, आपकी मोबाइल स्क्रीन पर ‘नो नेटवर्क’, लिफ्ट के दरवाजों पर ‘नो पॉवर’, और सड़कों पर अंधेरा पसरा हुआ मिलेगा — और तब आपको एहसास होगा कि सुविधा की चमक के नीचे कितना गहरा अंधकार छुपा है।
About Author
You may also like
-
अंतराष्ट्रीय योग दिवस 2025 में 52 दिन शेष : देश के 100 स्थानों पर 100 दिनों पूर्व तैयारियां शुरू
-
रिक्शा चालक की बेटी अदीबा बनीं महाराष्ट्र की पहली मुस्लिम महिला IAS : पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है
-
राज कपूर : हिंदी सिनेमा के अमर “शोमैन” की जीवनी
-
क्या आतंकियों का मकसद पूरा हो गया? या फिर… हम अब भी भारत हैं
-
पहलगाम के बाद ट्रंप का रिएक्शन : मैं भारत के भी बहुत क़रीब हूं और पाकिस्तान के भी बहुत क़रीब हूं, दोनों हल निकाल लेंगे