उदयपुर में पानी की जंग : कलेक्टर मेहता ने कसा अधिकारियों पर शिकंजा


उदयपुर। तपती गर्मी और सूखते कंठों के बीच, उदयपुर के जिला कलेक्टर नमित मेहता एक्शन मोड में आ गए हैं! सोमवार को जिला जल एवं स्वच्छता मिशन की हाई-वोल्टेज बैठक में, उन्होंने पेयजल की बदहाल व्यवस्था को लेकर अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई। उनका साफ कहना था, “पानी पिलाना पुण्य का काम है, और इसमें कोई भी हीला-हवाली बर्दाश्त नहीं की जाएगी!”
कलेक्टर मेहता ने अधिकारियों को खुली चुनौती दी कि वे फील्ड में मुस्तैदी दिखाएं और हर नागरिक तक पानी पहुंचाना सुनिश्चित करें। उन्होंने यह भी ऐलान कर दिया कि खजाने की चाबी पानी के मामलों में खुली है, बस लोगों की प्यास बुझनी चाहिए। “कोई भी आदमी पानी के लिए तरसता नहीं दिखना चाहिए, क्योंकि यह उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का सबसे जरूरी हिस्सा है,” उन्होंने गरजते हुए कहा।
बैठक में तब गरमा-गर्मी और बढ़ गई जब बंद पड़े हैंडपंपों का मुद्दा उठा। कलेक्टर ने पीएचईडी के अधिकारियों को रडार पर लेते हुए कहा, “मुझे हर ब्लॉक से बंद पड़े हैंडपंपों की लिस्ट चाहिए, और वह भी तुरंत! मई का पहला हफ्ता डेडलाइन है, उसके बाद कोई बहाना नहीं चलेगा।” उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि जिन इलाकों में ट्यूबवेल हांफ रहे हैं, वहां भी मरम्मत का काम तेजी से हो।
कलेक्टर मेहता ने अधिकारियों को संवेदनशीलता का इंजेक्शन लगाते हुए कहा कि यह सिर्फ सरकारी काम नहीं, बल्कि इंसानियत का फर्ज है। “सरकार पानी को लेकर सीरियस है, और आप लोगों को जमीन पर जी-जान से जुटना होगा ताकि लोगों को राहत मिले,” उन्होंने सख्त लहजे में समझाया।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती! कलेक्टर ने जल जीवन मिशन के कार्यों की प्रगति का भी पोस्टमार्टम किया। जिन ब्लॉकों में काम कछुए की चाल चल रहा था, वहां के अधिकारियों को स्पेशल टास्क फोर्स बनाने और तेजी लाने के निर्देश दिए गए। स्कूलों और आंगनबाड़ियों में तो पानी का कनेक्शन तुरंत पहुंचाने का फरमान जारी हुआ। पंचायत भवन और स्वास्थ्य केंद्र भी इस दौड़ में पीछे नहीं रहने चाहिए, इसकी सख्त हिदायत दी गई।
इस हाई-प्रोफाइल मीटिंग में पीएचईडी के बड़े-बड़े अधिकारी भी पसीने-पसीने हो रहे थे। अधीक्षण अभियंता रविन्द्र चौधरी और एक्सईएन ललित कुमार नागौरी जैसे दिग्गजों की भी कलेक्टर की तेजतर्रार बातों के आगे एक न चली।
अब देखना यह है कि कलेक्टर मेहता के इन कड़े निर्देशों का जमीन पर कितना असर होता है। क्या उदयपुर में वाकई हर कंठ तक पानी पहुंचेगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल तो अधिकारियों की नींद जरूर उड़ गई होगी!

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