
उदयपुर। आवरी माता मंदिर के शांत परिसर में, एक भारी हृदय और नम आँखों के साथ, हम उस हथिनी रामू के लिए प्रार्थना कर रहे हैं जो जीवन और मृत्यु के बीच एक नाजुक डोर पर झूल रही है। उसकी स्थिर हालत की खबर ज़रूर आई है, लेकिन हर धड़कन के साथ, हम उसकी पीड़ा को महसूस कर सकते हैं, जैसे कोई अपना तड़प रहा हो।
मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव एसआर यादव का उस स्थान पर पहुंचना, जहाँ रामू अपनी ज़िंदगी की जंग लड़ रही है, एक उम्मीद की किरण जगाता है। उनके चेहरे पर चिंता और करुणा का भाव स्पष्ट है, और उनका हर शब्द उपचार टीम के थके हुए कंधों पर एक स्नेह भरा हाथ रखता है, उन्हें यह याद दिलाता है कि वे अकेले नहीं हैं।
उप वन संरक्षक वन्यजीव उदयपुर सुनील कुमार सिंह की आवाज़ में रामू के लिए गहरी चिंता झलकती है। उन्होंने बताया कि उसे लगातार उपचार दिया जा रहा है, हर बूंद दवा और हर मिलीलीटर तरल पदार्थ उसके शरीर में जीवन की एक नई उम्मीद बनकर उतर रहा है। उसके घावों पर जो मरहम लगाया जा रहा है, वह सिर्फ दवा नहीं, बल्कि उन सभी लोगों की दुआएं हैं जो उसे प्यार करते हैं।
वनतारा से आए हाथी विशेषज्ञ डॉ गोविंद ने बताया कि यह राह लंबी और कठिन है। उनके शब्दों में धैर्य और दृढ़ संकल्प है, जो हमें यह याद दिलाता है कि हमें रामू के लिए अपनी उम्मीदों को बनाए रखना होगा, चाहे मुश्किलें कितनी भी बड़ी क्यों न हों। वाइल्ड लाईफ एस.ओ.एस. के डॉ प्रमोद ने लेज़र थेरेपी और स्वच्छता की महत्ता बताई है, हर छोटी सी सावधानी रामू के जीवन को बचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
पशुपालन विभाग के डॉ कमेन्द्र का यह कहना कि हर 36 घंटे में रामू की करवट बदली जा रही है, हमें उन अनगिनत छोटे-छोटे प्रयासों की याद दिलाता है जो उसकी देखभाल में किए जा रहे हैं। यह सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि उसके दर्द को कम करने और उसे आराम पहुँचाने का एक मानवीय स्पर्श है। डॉ शैलेन्द्र शुक्ला ने रामू की स्थिति को स्थिर बताया है, एक ऐसा शब्द जो हमें थोड़ी राहत देता है, लेकिन हमारी चिंताएं अभी भी आसमान की ओर देख रही आँखों की तरह हैं।
दिन और रात, वनकर्मी उस जगह पर मौजूद हैं, जहाँ रामू अपनी ज़िंदगी की लड़ाई लड़ रही है। उनकी उपस्थिति सिर्फ कर्तव्य नहीं, बल्कि उस मूक प्राणी के लिए उनका प्यार और समर्पण है। उनकी आँखों में रामू के लिए करुणा और उसे फिर से स्वस्थ देखने की गहरी इच्छा है।
यह सिर्फ एक हथिनी का इलाज नहीं है, यह प्रकृति के एक मासूम बच्चे को बचाने की मार्मिक कहानी है। रामू सिर्फ एक जानवर नहीं, वह हमारी धरती का एक हिस्सा है, और उसकी पीड़ा हम सबकी पीड़ा है। हम सब मिलकर प्रार्थना करते हैं कि वह इस मुश्किल वक़्त से गुज़र जाए और फिर से अपनी सूंड उठाकर इस दुनिया को प्यार से देखे। उसकी हर सांस हमारे लिए अनमोल है, और हम उसके स्वस्थ होने की उम्मीद कभी नहीं छोड़ेंगे।
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