जयपुर। राजस्थान के धौलपुर जिले में बाल विकास के क्षेत्र में एक बड़ा और प्रेरणादायक बदलाव देखने को मिल रहा है। वेदांता की सामाजिक पहल ‘नंदघर’ ने जॉन स्नो इंक. (JSI) और रॉकेट लर्निंग के साथ मिलकर ‘प्रोजेक्ट बालवर्धन’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य परंपरागत आंगनवाड़ियों को अत्याधुनिक नंदघर में बदलकर बच्चों के प्रारंभिक शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण को सशक्त बनाना है। यह एक सामूहिक और प्रणालीगत प्रयास है, जो न केवल बच्चों को बल्कि महिलाओं और पूरे समुदाय को लाभान्वित करेगा।
राजस्थान की बाल विकास की चुनौती
राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में बाल विकास की चुनौतियाँ जटिल और बहुआयामी हैं। NFHS-5 के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में पांच वर्ष से कम उम्र के 31.8% बच्चे स्टंटिंग (कुपोषण के कारण कम कद) और 16.8% बच्चे वेस्टिंग (कुपोषण के कारण कम वजन) की समस्या से जूझ रहे हैं। यह स्थिति बच्चों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास पर गहरा असर डालती है।
धौलपुर जैसे जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, पोषण की समस्याएं, और आंगनवाड़ी केंद्रों की पारंपरिक प्रणाली के कारण बच्चों का संपूर्ण विकास बाधित होता रहा है। इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए ‘प्रोजेक्ट बालवर्धन’ के तहत नंदघर पहल शुरू की गई है।
नंदघर : आंगनवाड़ियों का नया स्वरूप
‘नंदघर’ वेदांता की प्रमुख सामाजिक पहल है, जो भारत के 15 राज्यों में फैली हुई है। यह पहल पारंपरिक आंगनवाड़ियों को ‘बिल्डिंग एज लर्निंग एड’ (BaLA) डिज़ाइन, स्मार्ट शिक्षा उपकरणों, एलईडी टीवी, और बच्चों के अनुकूल इंटीरियर से लैस आधुनिक केंद्रों में बदलती है।
धौलपुर में स्थापित नंदघर केंद्रों में 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए आकर्षक और सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। बच्चों को न केवल प्रारंभिक शिक्षा दी जाती है, बल्कि उन्हें पोषक आहार, स्वास्थ्य सेवाएं, और पोषण सहायता भी प्रदान की जाती है। माताओं को भी स्वास्थ्य एवं पोषण के प्रति जागरूक किया जाता है और उन्हें कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाता है।
प्रोजेक्ट बालवर्धन : साझेदारी में सामूहिक प्रयास
‘प्रोजेक्ट बालवर्धन’ अनिल अग्रवाल फाउंडेशन, वेदांता के नंदघर, राजस्थान सरकार, जिला प्रशासन, जॉन स्नो इंक. (JSI) और रॉकेट लर्निंग के बीच एक रणनीतिक साझेदारी है। इस परियोजना का उद्देश्य कुपोषण को कम करना और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की क्षमताओं को मजबूत बनाना है।
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JSI का योगदान :
JSI मातृ एवं बाल पोषण और स्वास्थ्य में सुधार के लिए काम करता है। यह डिजिटल ग्रोथ मॉनिटरिंग, वैज्ञानिक पद्धतियों पर आधारित मातृ पोषण जागरूकता बढ़ाने, और आंगनवाड़ी केंद्रों के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने में मदद करता है। -
रॉकेट लर्निंग की भूमिका :
रॉकेट लर्निंग आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाली प्रारंभिक बाल देखभाल और शिक्षा प्रदान करने में सक्षम बनाता है। बच्चों की उपस्थिति और भागीदारी बढ़ाने के लिए राज्य-आधारित शैक्षणिक सामग्री और प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करता है।
धौलपुर में बदलाव का दायरा
धौलपुर जिले में 800 से अधिक आंगनवाड़ी केंद्रों को नंदघर में बदलने की योजना है। इस पहल से लगभग 80,000 बच्चे और 14,000 महिलाएं सीधे लाभान्वित होंगी। इसके अतिरिक्त, करीब 1,00,000 से अधिक समुदाय के लोग भी इस सकारात्मक बदलाव का हिस्सा बनेंगे।
यह पहल न केवल बच्चों की पोषण और शिक्षा की स्थिति में सुधार लाएगी, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, स्वास्थ्य सेवा को बेहतर करने और समुदाय के समग्र विकास को गति देने में भी सहायक होगी।
360-डिग्री प्रणालीगत दृष्टिकोण
प्रोजेक्ट बालवर्धन एक समग्र प्रणालीगत दृष्टिकोण अपनाता है, जिसमें :
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प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ECCE) को सुदृढ़ किया जाता है।
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सभी प्रकार के कुपोषण से निपटने के लिए व्यवहार परिवर्तन पद्धतियों पर जोर दिया जाता है।
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ICDS राजस्थान के दिशा-निर्देशों के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण पूरक पोषण सुनिश्चित किया जाता है।
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मातृ एवं बाल स्वास्थ्य की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है।
समुदाय के साथ साझेदारी और सशक्तिकरण
यह पहल केवल सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों का संयुक्त प्रयास नहीं है, बल्कि स्थानीय समुदाय, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, और फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स की भागीदारी के बिना सफल नहीं हो सकती थी।
नंदघर के माध्यम से आंगनवाड़ी दीदियाँ न केवल सेवाएं प्रदान करती हैं, बल्कि अपने प्रशिक्षण के जरिए बच्चों के बेहतर विकास में अहम भूमिका निभाती हैं। महिला सशक्तिकरण के लिए आयोजित कौशल विकास कार्यक्रमों से ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के नए अवसर भी मिल रहे हैं।
नेतृत्व का संकल्प
नंदघर के सीईओ, श्री शशि अरोड़ा ने प्रोजेक्ट बालवर्धन की प्रतिबद्धता पर ज़ोर देते हुए कहा,
“हमारा मानना है कि असली बदलाव जड़ों से शुरू होता है। हम बच्चों में कुपोषण मिटाने और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। राजस्थान सरकार, JSI और रॉकेट लर्निंग के साथ मिलकर हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यह बदलाव जमीनी स्तर पर प्रभावी हो और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित भविष्य बने।”
राजस्थान की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती दीया कुमारी जी के मार्गदर्शन और समर्थन से यह परियोजना और अधिक प्रभावी ढंग से संचालित हो रही है।
भविष्य की दिशा
धौलपुर की यह पहल पूरे राजस्थान में आंगनवाड़ी सेवाओं के स्तर को बढ़ाने का एक मॉडल बनेगी। वर्तमान में 15 राज्यों में 8300 से अधिक नंद घर कार्यरत हैं, जो लाखों बच्चों और महिलाओं के जीवन में बदलाव ला रहे हैं।
इस परियोजना का दीर्घकालिक लक्ष्य पूरे भारत में 25,000 नंद घर स्थापित करना है, जिससे 7 करोड़ बच्चों और 2 करोड़ महिलाओं के जीवन में सुधार संभव हो सके।
धौलपुर में नंदघर के माध्यम से आंगनवाड़ी केंद्रों का रूपांतरण केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है। यह पहल बच्चों के शारीरिक, मानसिक और शैक्षिक विकास की नई मिसाल कायम कर रही है। साथ ही, महिलाओं को सशक्त बनाने और समुदाय के स्वास्थ्य व समृद्धि के लिए भी यह मील का पत्थर साबित हो रही है।
यह कहानी हमें सिखाती है कि सामूहिक प्रयास, आधुनिक तकनीक, और सरकार-संगठन-समुदाय के समन्वय से कैसे किसी भी सामाजिक समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। धौलपुर की यह पहल निश्चित रूप से भारत के विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है।
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