हिंदुस्तान जिंक ने मलेशिया में भारत का प्रतिनिधित्व किया, दुनिया के सामने टिकाऊ जिंक तकनीकों की मिसाल पेश की

उदयपुर। दुनिया की सबसे बड़ी जिंक बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने हाल ही में मलेशिया में आयोजित 13वें एशिया-पैसिफिक जनरल गैल्वनाइजिंग सम्मेलन में भारत की तरफ से भाग लिया और दुनिया को यह दिखाया कि टिकाऊ (सस्टेनेबल) जिंक तकनीकों और नवाचारों (नई खोजों) के मामले में भारत अब पीछे नहीं है।

यह सम्मेलन 23 से 26 जून तक मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में हुआ, जिसमें दुनिया भर से आए प्रतिनिधियों के बीच हिंदुस्तान जिंक को अपनी तकनीकी ताकत और भविष्य की योजनाओं को दिखाने का शानदार मौका मिला।

3डी अनुभव और भविष्य की झलक

सम्मेलन में हिंदुस्तान जिंक ने बूथ नंबर 10 पर अपना एक खास स्टॉल लगाया था, जिसमें 3D ऑगमेंटेड रियलिटी के ज़रिए लोगों को यह दिखाया गया कि उनकी खदानों और फैक्ट्रियों में किस तरह की आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इस खास अनुभव ने लोगों को कंपनी की असली ताकत और काम के तौर-तरीकों को सीधे महसूस कराया।

कंपनी ने एक चर्चा सत्र भी आयोजित किया जिसका विषय था – गैल्वनाइजिंग इंडस्ट्री का वर्तमान और उसका असर। इसमें दुनिया के उद्योग विशेषज्ञों, नीति बनाने वालों और रिसर्चरों ने हिस्सा लिया और यह बात सामने आई कि किस तरह जिंक आने वाले समय में टिकाऊ और मजबूत बुनियादी ढांचे के लिए एक अहम धातु साबित होगा।

सीईओ अरुण मिश्रा की बड़ी बात

हिंदुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्रा ने कहा, “जैसे-जैसे दुनिया स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रही है, जिंक की मांग और अहमियत भी तेज़ी से बढ़ रही है। हमें गर्व है कि हम इस बड़े मंच पर भारत की तरफ से अपनी ताकत दिखा सके। दक्षिण-पूर्व एशिया के तेज़ी से बढ़ते बाज़ारों के लिए, अच्छी क्वालिटी का जिंक उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है। हमारा मकसद है – मेक इन इंडिया, फॉर द वर्ल्ड, यानी भारत में बने उत्पादों को पूरी दुनिया तक पहुंचाना।”

खदान से फैक्ट्री तक, सबकुछ एक छत के नीचे

हिंदुस्तान जिंक एक ऐसी कंपनी है जो माइन-टू-मेटल यानी खदान से लेकर तैयार धातु तक की पूरी प्रक्रिया खुद करती है। यही वजह है कि कंपनी की सप्लाई चेन (वितरण प्रणाली) बहुत मज़बूत है और वो दुनिया भर में समय पर और भरोसेमंद तरीके से जिंक और दूसरी धातुएं पहुंचा पाती है।

दुनिया के लिए कई किस्मों में जिंक

हिंदुस्तान जिंक का प्रोडक्ट पोर्टफोलियो बहुत ही विस्तृत और खास है। कंपनी दुनिया भर में जिन जिंक उत्पादों की सप्लाई करती है, वे लंदन मेटल एक्सचेंज और लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन जैसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में पंजीकृत हैं। इनके उत्पादों में शामिल हैं : स्पेशल हाई ग्रेड (SHG) जिंक, हाई ग्रेड (HG) जिंक, प्राइम वेस्टर्न जिंक, जिंक डाई कास्टिंग अलॉय (जिंक से बनी विशेष मिश्र धातुएं), स्पेशल हाई ग्रेड लेड, सिल्वर बार और सिल्वर पाउडर।

और सबसे खास – इकोजेन, एशिया का पहला कम-कार्बन ग्रीन जिंक, जो रिन्यूएबल एनर्जी यानी अक्षय ऊर्जा से तैयार किया जाता है और जिसका कार्बन उत्सर्जन सामान्य से 75% तक कम होता है।

जिंक क्यों है इतना ज़रूरी?

जिंक का सबसे अहम काम होता है – स्टील को जंग से बचाना, जिसे गैल्वनाइजेशन कहते हैं। जिंक की यह खासियत उसे इंफ्रास्ट्रक्चर (सड़कों, पुलों, इमारतों), ऑटोमोबाइल (गाड़ियों), इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस, रिन्यूएबल एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसी जरूरी इंडस्ट्री में बेहद अहम बना देती है।

गैल्वनाइजेशन यानी जिंक की परत चढ़ाना स्टील को कई सालों तक मजबूत और सुरक्षित बनाए रखने का सबसे असरदार तरीका है।

भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के लिए क्यों ज़रूरी है गैल्वनाइजेशन?

भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम और श्रीलंका जैसे देशों की एक बड़ी समस्या है – नम हवा और समुद्र के खारे पानी से स्टील का जल्दी खराब हो जाना। भारत की तटरेखा लगभग 7,800 किलोमीटर लंबी है, और यहां हर साल जंग की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को 5% GDP यानी करीब 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान होता है।

इस नुकसान को रोका जा सकता है अगर गैल्वनाइजेशन तकनीकों को सही से अपनाया जाए। जिंक से बने उत्पाद बुनियादी ढांचे की उम्र बढ़ाते हैं, मरम्मत पर होने वाले खर्च को घटाते हैं, और देश के संसाधनों को अन्य ज़रूरी कामों के लिए बचाते हैं।

भारत में जिंक उत्पादन की ताकत न केवल देश में, बल्कि दक्षिण एशिया के सभी देशों में ढांचागत मजबूती और आर्थिक लचीलापन बढ़ा सकती है।

ग्राहकों के लिए भरोसेमंद सपोर्ट

हिंदुस्तान जिंक का फोकस सिर्फ उत्पाद बनाने पर नहीं है, बल्कि वह अपने ग्राहकों के साथ मिलकर उनकी ज़रूरतों को समझकर उन्हें समाधान देने पर भी ध्यान देती है। इसके लिए कंपनी की ग्राहक तकनीकी सेवा टीम और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ग्राहकों के साथ मिलकर काम करते हैं।

कंपनी के जिंक उत्पाद : EPD यानी Environmental Product Declaration से प्रमाणित हैं, जो यह दिखाता है कि इनके निर्माण में पर्यावरण का खास ख्याल रखा गया है।

BIS यानी भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रमाणित हैं, जो गुणवत्ता की गारंटी है।

REACH सर्टिफिकेशन भी है, जिससे ये यूरोपीय बाज़ार में भी बेचे जा सकते हैं।

About Author

Leave a Reply