
लतीफ, उदयपुर।
“नदी का बहाव तेज़ है, अंधेरा गहरा चुका है… और इसी अंधेरे में एक युवक पानी के शिकंजे में फँस गया है। उसका नाम है शेरू खान, उम्र महज़ 30 साल। वो पुलां का रहने वाला था… दो छोटे बच्चे उसके आँगन में खेलते हैं… मगर इस वक्त वो तेज़ धाराओं में अपनी ज़िंदगी से जूझ रहा है।”
(रात 12 बजे) : “यहाँ लोग मोबाइल की रोशनी और टॉर्च लेकर नदी किनारे दौड़ते नज़र आ रहे हैं। रेस्क्यू टीम भी जुट चुकी है। पानी गरज रहा है, जैसे किसी मासूम की ज़िंदगी पर कहर बनकर टूट पड़ा हो। हर कोई उम्मीद लगाए है कि शेरू कहीं किसी कोने में ज़िंदा मिल जाए।”

(तड़के 4 बजे) : “घंटों की कोशिशें… रस्सियाँ डाली गईं, टॉर्च की रोशनी हर लहर पर डाली गई… लेकिन शेरू नहीं मिला। परिजनों की आँखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। रात अब और भी भारी हो गई है।”
(सुबह 9 बजे) : “13 घंटे बाद… उफनती नदी आखिर अपना बोझ बाहर ले आई। पुल से आधा किलोमीटर दूर, पानी ने शेरू को ठहरने की जगह दी—लेकिन ज़िंदा नहीं। अब उसके बच्चों की मासूम आँखें पूछेंगी कि ‘पापा क्यों नहीं लौटे?’ और इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।”

मार्मिक सबक : आयड़ की ये धाराएं हमें समझा रही हैं कि चाहे मछली पकड़ने का शौक हो या रोमांच का जुनून—पानी की एक लहर पूरी ज़िंदगी बहा ले जाती है।
👉 आप अकेले नहीं जीते, आपका परिवार भी आपके साथ जीता है।
👉 पानी का बहाव कभी किसी की ताकत नहीं देखता।
आज उदयपुर ने एक बेटे, एक पिता और एक घर का चिराग खो दिया… सवाल यही है कि क्या हम इस हादसे से सबक लेंगे?
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