एमबी अस्पताल में मातृ शिशु स्वास्थ्य सेवा को बड़ी सौगात : कलेक्टर नमित मेहता ने दी स्वीकृति, 120 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा अत्याधुनिक पन्नाधाय अस्पताल

 

उदयपुर। शहर के स्वास्थ्य ढांचे को नई ऊंचाई देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए कलेक्टर एवं डीएमएफटी अध्यक्ष नमित मेहता ने आरएनटी मेडिकल कॉलेज परिसर में मातृ विज्ञान संस्थान (पन्नाधाय राजकीय महिला चिकित्सालय) के नवीन भवन निर्माण को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की है। इस परियोजना पर कुल 120 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें 60 करोड़ रुपये उदयपुर विकास प्राधिकरण तथा 60 करोड़ रुपये डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) से उपलब्ध कराए जाएंगे।

कलेक्टर नमित मेहता ने स्वीकृति आदेश जारी करते हुए कहा कि इस परियोजना के पूरा होने से उदयपुर ही नहीं, पूरे मेवाड़-वासियों को उच्चस्तरीय मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कार्य समयसीमा में पूरा होना चाहिए ताकि जनता को शीघ्र लाभ मिल सके।

पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर

स्वीकृति आदेश में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि – भवन निर्माण की डीपीआर और तकनीकी स्वीकृति 15 दिन के भीतर पूरी की जाए। वित्तीय नियमों, RTTPP नियम-2013 और DMFT नियमावली की सख्ती से पालना हो। कार्य की प्रत्येक प्रगति रिपोर्ट हर माह प्रस्तुत की जाए।

निर्माण कार्य की जियो-टैगिंग सहित फोटो डॉक्यूमेंटेशन अनिवार्य रूप से किया जाए।

 

इन बिंदुओं से यह साफ है कि जिला प्रशासन ने इस बार पारदर्शिता और जवाबदेही को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।

कलेक्टर नमित मेहता की प्राथमिकता : बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था

पिछले कुछ समय से कलेक्टर नमित मेहता लगातार DMFT मद से होने वाले खर्चों में पारदर्शिता और जनता को प्रत्यक्ष लाभ देने पर जोर देते आए हैं। मातृ विज्ञान संस्थान का यह प्रोजेक्ट उनकी इसी सोच का प्रतिफल है। इस संस्थान के माध्यम से महिला एवं शिशु स्वास्थ्य से जुड़े जटिल मामलों का इलाज बेहतर ढंग से किया जा सकेगा।

सुझाव : पैसों के सही इस्तेमाल की कसौटी

हालांकि परियोजना का उद्देश्य सराहनीय है, लेकिन यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि 120 करोड़ रुपये की यह बड़ी राशि वास्तविक जरूरतों पर ही खर्च हो। इसके लिए कुछ बिंदुओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है:

गुणवत्ता नियंत्रण – निर्माण कार्य की गुणवत्ता की नियमित जांच स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जानी चाहिए।

जनता की भागीदारी – DMFT फंड के उपयोग में स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की राय ली जाए।

समयसीमा की सख्ती – यदि कार्य में देरी होती है तो जिम्मेदार एजेंसी से जवाबदेही तय की जाए।

स्थायी लाभ – भवन निर्माण के साथ-साथ पर्याप्त डॉक्टर, नर्स और तकनीकी स्टाफ की नियुक्ति सुनिश्चित हो।

पारदर्शी रिपोर्टिंग – मासिक प्रगति रिपोर्ट जनता के लिए सार्वजनिक पोर्टल पर भी उपलब्ध कराई जाए।

उदयपुर में मातृ विज्ञान संस्थान का निर्माण एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह केवल भवन निर्माण नहीं बल्कि मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर को बदलने वाला कदम है। कलेक्टर नमित मेहता के नेतृत्व में यह परियोजना तभी सफल होगी जब पारदर्शिता, गुणवत्ता और समयसीमा की सख्ती से पालना की जाएगी। जनता को उम्मीद है कि यह 120 करोड़ रुपये सचमुच उन तक राहत पहुंचाने में खर्च होंगे, जिनके लिए यह स्वीकृति दी गई है।

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