उदयपुर में हिरासत मौतों पर सुप्रीम कोर्ट सख़्त, राजस्थान सरकार से मांगा थानों में सीसीटीवी पर जवाब

उदयपुर/नई दिल्ली | उदयपुर संभाग में इस साल जनवरी से अगस्त के बीच हुई 11 हिरासत मौतों ने सुप्रीम कोर्ट का ध्यान खींच लिया है। हर मामले में पुलिस द्वारा सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध न कराना या फुटेज न होने का हवाला देना अब राज्य सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से दो हफ़्तों के भीतर विस्तृत जवाब माँगते हुए पुलिस महानिदेशक का हलफ़नामा पेश करने का आदेश दिया।

उदयपुर के आंकड़ों से हिला सुप्रीम कोर्ट

मामला तब गंभीर हुआ जब एक मीडिया रिपोर्ट ने खुलासा किया कि उदयपुर संभाग के पुलिस थानों में लगातार हिरासत मौतें हो रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि हर मामले में पुलिस ने या तो कैमरे काम न करने की बात कही या फुटेज देने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने इसे परमवीर सिंह सैनी बनाम बलजीत सिंह (2021) मामले में जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन मानते हुए कहा कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। अदालत ने साफ़ कहा, “सीसीटीवी कैमरों का काम न करना और वीडियो डेटा का सुरक्षित न रखना, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।”

राजस्थान को सौंपे गए 12 सवाल

अदालत ने राज्य से पुलिस थानों में सीसीटीवी व्यवस्था को लेकर 12 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है, जिनमें शामिल हैं:

उदयपुर और अन्य जिलों में पुलिस थानों की वास्तविक संख्या

हर थाने में कैमरों की स्थिति और तकनीकी गुणवत्ता

वीडियो डेटा की स्टोरेज व बैकअप व्यवस्था

खराब कैमरों की मरम्मत और रखरखाव का रिकॉर्ड

इंटरनेट कनेक्टिविटी और केंद्रीय सर्वर से एकीकरण

फुटेज की निगरानी व सुरक्षित रखने की SOP

डेटा संरक्षण कानूनों और न्यायिक उपयोग की स्थिति

क्यों महत्वपूर्ण है उदयपुर मामला?

उदयपुर संभाग में हाल के वर्षों में हिरासत मौतों के मामले लगातार सुर्खियों में रहे हैं। मानवाधिकार संगठनों ने भी बार-बार पुलिस थानों में पारदर्शिता की कमी और सीसीटीवी के नाकाम होने पर सवाल उठाए हैं। 11 मौतों में से कई मामलों में परिजनों ने पुलिस पर ज़्यादती का आरोप लगाया, लेकिन फुटेज न होने से जांच अधूरी रह गई।

सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि एक केंद्रीकृत नियंत्रण कक्ष बनाया जाए, जो किसी भी तरह की छेड़छाड़ या कैमरे बंद होने की स्थिति में तुरंत अधिकारियों को अलर्ट कर सके। अदालत ने यह भी पूछा कि क्या राज्य सरकार औचक निरीक्षण और फोरेंसिक सत्यापन की व्यवस्था रखती है।

अब सबकी निगाहें राजस्थान सरकार के जवाब पर हैं। 14 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि राज्य ने उदयपुर समेत पूरे प्रदेश में सीसीटीवी व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए क्या कदम उठाए हैं।

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