लेखा शिक्षा और अनुसंधान : राष्ट्र निर्माण के दो स्तंभ – राज्यपाल बागडे


राजस्थान विद्यापीठ में दो दिवसीय 47 वें अखिल भारतीय लेखांकन सम्मेलन के महाकुंभ का हुआ आगाज

उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ में रविवार को दो दिवसीय 47वें अखिल भारतीय लेखांकन सम्मेलन का महाकुंभ भव्य रूप से शुरू हुआ। इस अवसर पर राजस्थान के राज्यपाल महामहिम हरिभाऊ किसनराव बागडे ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और कहा कि “लेखा शिक्षा और अनुसंधान एक-दूसरे के पूरक हैं। अनुसंधान से प्राप्त नवीन तथ्यों को शिक्षा में समाहित करना शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने का मार्ग है।”

राज्यपाल बागडे ने युवा प्रतिभागियों को समय का सर्वोत्तम उपयोग करने, अपने शब्दों और वाणी को मूल्यवान संपत्ति मानने और राष्ट्रहित में पारदर्शिता एवं नैतिकता अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का उदाहरण देते हुए कहा कि राजकीय कोष और व्यय प्रणाली में पारदर्शिता, नैतिक मूल्य और राष्ट्रहित को प्राथमिकता देनी चाहिए। बागडे ने कहा कि विचारों की परिपक्वता, सादगी और सत्य के प्रति साहस मिलकर सशक्त व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।

राज्यपाल को एनसीसी कैडेट्स ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर सम्मानित किया। समारोह का शुभारंभ माॅ सरस्वती की प्रतिमा, संस्थापक मनीषी जनार्दनराय नागर और कवि राव मोहन सिंह की तस्वीर पर पुष्पांजलि और दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

वैदिक नीतियों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक: भारत का उभरता लेखा दृष्टिकोण

कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए मेवाड़ के वीर एवं प्रेरणा स्रोत महापुरुषों – महाराणा प्रताप, मीरा बाई, पन्ना धाय, हाड़ी रानी और भामाशाह – को नमन किया। उन्होंने कहा कि उनके त्याग, वीरता और लोकसेवा की भावना आज भी समाज के लिए दिशा-निर्देशक है।

प्रो. सारंगदेवोत ने सम्मेलन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह आयोजन भारतीय वैदिक काल से आधुनिक समय तक की नीतियों, धर्म और मानवीय मूल्यों को केंद्र में रखकर किया गया है। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और लेखांकन की नवीनतम तकनीकें भारत की आर्थिक संरचना को मजबूत बनाने के साथ-साथ देश को वैश्विक स्तर पर उभरती हुई व्यवस्था के रूप में प्रतिष्ठित कर रही हैं।

नवाचार और नैतिकता: लेखांकन का नया सूत्र

मुख्य वक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य बदल रहा है और लेखांकन को परंपरागत सीमाओं से बाहर निकालकर नवाचार और तकनीकी उन्नति अपनाना आवश्यक है। उन्होंने अपने ट्रेन मॉडल के माध्यम से लेखांकन शिक्षा में नैतिक आचरण, उत्तरदायित्व और दक्षता को जोड़ने की नई पहल पेश की। प्रो. वल्लभ ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे परिवर्तन की प्रतीक्षा न करें, बल्कि उसे प्रारंभ करें और नवाचार की मशाल जलाकर देश की अर्थव्यवस्था में नई दिशा दें।

निति निर्माण में लेखांकन: प्रेरक शक्ति

राज्य मंत्री प्रो. मंजू बाघमार ने कहा कि विकसित भारत 2047 की संकल्पना को साकार करने के लिए लेखांकन एक ठोस व्यूह रचना का आधार है। उन्होंने कहा कि एआई, तकनीकी नवाचार और भारतीय परंपरा पर आधारित नैतिक ज्ञान का समन्वय लेखांकन क्षेत्र को आधुनिक युग के अनुरूप ढालने के लिए अनिवार्य है। युवाओं को उन्होंने अपने करियर में मौलिकता, नैतिकता और तकनीकी दक्षता अपनाने और देश की आर्थिक प्रगति में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रेरित किया।

अध्यक्षीय और अन्य संबोधन

प्रो. के.एस. ठाकुर, अध्यक्ष भारतीय लेखांकन संघ, ने संगोष्ठी के उद्देश्यों और उच्च शिक्षा में नवाचार को उचित मंच देने पर प्रकाश डाला।

भंवरलाल गुर्जर, कुलप्रमुख, ने लेखा क्षेत्र की भावी संभावनाओं और आयोजन का महत्व साझा किया।

महासचिव प्रो. संजय भायाणी ने आईएए की स्थापना और कार्यप्रणाली का परिचय दिया।

संगोष्ठी में डॉ. शूरवीर सिंह भानावत, सीए हेमंत और डॉ. दुर्गा सिंह की लिखित आयकर पुस्तक का विमोचन हुआ। यंग रिसर्च अवॉर्ड सहायक आचार्य डॉ. अभिषेक एन को प्रदान किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. हीना खान और डॉ. हरीश चैबीसा ने किया जबकि आभार आयोजन सचिव प्रो. शूरवीर सिंह भानावत ने व्यक्त किया।

सम्मेलन में 18 राज्यों से 900 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित थे, जिनमें विश्वविद्यालय के कुलपति, पूर्व कुलपति, प्रोफेसर और लेखा क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल थे।

सोर्स : कृष्णकांत कुमावत, निजी सचिव कुलपति

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