
भाजपा की लंबे समय से प्रतीक्षित प्रदेश कार्यकारिणी आखिर घोषित हो गई। कुल 34 नाम—यानी संगठन ने संख्या नहीं, संरचना बदलने पर ज़ोर दिया है। यह बदलाव किसी बड़े चुनावी सेशन की तरह नहीं, बल्कि एक सर्जिकल स्ट्राइक जैसा है: कम लोग, ज्यादा काम, और सबसे बढ़कर—एक साफ़ संदेश कि “परफॉर्मेंस ही परमानेंस है।”

1. उपाध्यक्षों में नए-पुराने का संतुलन
मदन राठौड़ की नई टीम में 9 उपाध्यक्ष बनाए गए हैं—पहले यह संख्या 10 थी।
नए चेहरों में–
सुरेन्द्र पाल सिंह टीटी
बिहारीलाल विश्नोई
छगन माहुर
हकरू माईड़ा
अल्का मुन्दड़ा
सरिता गेना
ये नाम साफ दिखाते हैं कि क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और जातीय संतुलन पर विशेष ध्यान दिया गया है।
इसी बीच पुराने और अनुभवी चेहरे—
नाहर सिंह जोधा
मुकेश दाधीच
डॉ. ज्योति मिर्धा
—को फिर से मौका मिला है। यानी संकेत साफ: संगठन में अनुभव को ‘री-यूज़’ किया जाता है, ‘डिस्पोज़’ नहीं।
2. किन्हें जगह नहीं मिली—और क्यों?
सबसे बड़ा संदेश यही कि
“कमिटी में होना स्थायी सदस्यता नहीं, परफॉर्मेंस का प्रमाणपत्र है।”
तिजारा विधायक बाबा बालकनाथ जैसे हाई-प्रोफाइल नेता से लेकर
सरदार अजयपाल सिंह
नारायण पंचारिया
चुन्नीलाल गरासिया
प्रभुलाल सैनी
सीआर पाटिल
मोतीलाल मीणा
…कई बड़े नाम बाहर हो गए। यह दिखाता है कि वर्तमान नेतृत्व चेहरे बदलने और नई ऊर्जा लाने के मूड में है।
3. महामंत्रियों में बड़ा झटका + बड़ी एंट्री
5 की जगह इस बार केवल 4 महामंत्री—यानी ‘लंबी सूची नहीं, मजबूत सूची’।
इनमें से एकमात्र रिपीट—
श्रवण सिंह बगड़ी
बाकी को रिप्लेस कर दिया गया।
नए महामंत्री—
कैलाश मेघवाल
भूपेन्द्र सैनी
मिथिलेश गौतम
पुरानी टीम के—
जितेन्द्र गोठवाल
दामोदर अग्रवाल
संतोष अहलावत
ओमप्रकाश भडाणा
—को बाहर किया गया है।
इसमें संदेश भी है और व्यंग्य भी:
“बीजेपी में कोई कुर्सी स्थायी नहीं, सिर्फ जनता स्थायी है।”
4. प्रमोशन पॉलिटिक्स—कौन ऊपर चढ़ा?
यह भाग सबसे रोचक है, क्योंकि इससे संगठन की रणनीति साफ दिखती है।
प्रमोट किए गए नाम:
भूपेन्द्र सैनी – मंत्री से महामंत्री
मिथिलेश गौतम – मंत्री से महामंत्री
कैलाश मेघवाल – मोर्चा अध्यक्ष से महामंत्री
नारायण मीणा – एसटी मोर्चा अध्यक्ष से मंत्री
यह प्रमोशन बताता है कि भाजपा मोरचों में काम करने वालों को मुख्यधारा में आगे लाने की नीति पर चल रही है।
यानी—“जो बूथ तक जाता है, वह सूची तक आता है।”
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